बसंत पंचमी क्यों मनाते हैं – पूरी जानकारी हिन्दी में

वसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है? इस प्रश्न का उत्तर बेहद ही सरल है, हिंदू धर्म में पौराणिक मान्‍यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही विद्या और संगीत की देवी सरस्वती का जन्‍म हुआ था. इसलिये इस दिन को ज्ञान की देवी मां सरस्‍वती की जन्मोत्सव के रूप में सदियों से मनाया जाता है।

जैसा कि हम सभी को विधित है, भारत एक धार्मिक देश हैं. जहां पर प्रतिदिन भिन्न-भिन्न तीज, व्रत और त्यौहारों को मनाए जाने की परंपरा है. अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग धर्मानुसार त्योहार मनाते है. अच्छी बात यह है कि, अलग-अलग धर्मों के लोग एक साथ मिलकर सभी त्यौहार और पर्व की खुशी मनाते है. शायद यही कारण हैं की विदेशी लोग भी भारत की एकजुटता से प्रभावित होकर यहां के त्यौहार में शामिल होने के लिए भारत पहुंचते हैं.

भारत के प्रसिद्ध और प्रमुख त्यौहारों में से एक बसंत पंचमी भी हैं. बसंत पंचमी के दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, वहीं शीत ऋतु के विदाई का समय माना जाता है. दोस्तों आपने अक्सर बसंत पंचमी का नाम सुना होगा लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते होंगे की ‘बसन्त पंचमी क्यों मनाई जाती हैं?’ यदि आप भी बसन्त पंचमी के बारे में अधिक नहीं जानते तो आज का यह पोस्ट आपके लिए ही हैं.

बसंत पंचमी एक हिंदू त्यौहार हैं. वैसे तो इसे भारत के बाहर भी कई देश जैसे की नेपाल, भूटान, पाकिस्तान और बंगलादेश में भी मनाया जाता हैं लेकिन पर्व का सबसे अधिक उत्साह भारत में ही देखने को मिलता है.वसन्त पंचमी होली से 40 दिन पूर्व यानी की पहले आती हैं और इसी दिन से होली पर्व की तैयारियां भी शुरू की जाती हैं।

हिंदू धर्म में पौराणिक मान्यता हैं कि, वसंत पंचमी विद्यार्थियों के लिए सर्वश्रेष्ठ त्यौहार हैं. पंचमी तिथि के बाद से छात्र-छात्राओं के लिए वातावरण भी पढ़ाई के अनुकूल रहता है क्योंकि न तो ज्यादा सर्दी होती हैं न ही ज्यादा गर्मी होती हैं. चलिए पोस्ट के जरिए वसंत पंचमी के बारे में विस्तार पूर्वक और जानकारी प्राप्त करते हैं.

वसंत पंचमी क्या है – What is Basant Panchami in Hindi 2023

वसंत पंचमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है, यह वसंत ऋतू के आगमन के लिए प्रारंभिक तैयारी को दर्शाता करता है. वसंत पंचमी का शुद्ध हिंदी नाम ‘वसंत पंचमी‘ हैं लेकिन भारत के अधिकांश प्रांतों में इसे सामान्य भाषा में बसंत पंचमी ही बोला जाता हैं. जिसके कारण यह नाम सबसे अधिक लोकप्रिय हैं. भारत के बिहार राज्य में पंचमी को बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन शिक्षा से जुड़े कार्यों पर विराम लगा रहता है.

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Basant Panchami in Hindi

दूसरी ओर वसन्त पंचमी को श्रीपंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता हैं. वसंत पंचमी का त्यौहार हिंदू देवी सरस्वती माँ से जुड़ा हुआ हैं. सरस्वती माँ को विद्या और संगीत की देवी के रूप में पूजा जाता हैं. किवदंति है कि, माँ सरस्वती की पूजा और आराधना करने से विद्या के क्षेत्र में अचूक सफलता मिलती हैं.

हिंदी भाषा में विद्या का एक पर्यायवाची शब्द सरस्वती भी हैं. माता सरस्वती का पूजन पूरे भारत वर्ष में किया जाता हैं. भारत के समस्त स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में विद्या की देवी मानकर रोजाना पूजा जाता हैं. गायत्री मन्त्र जैसे शुद्ध श्लोक भी माँ सरस्वती को ही समर्पित हैं. वसंत पंचमी को मुख्य रूप से सरस्वती देवी का त्यौहार ही माना जाता हैं. वसंत पंचमी का सबसे अधिक महत्व पूर्वी भारत में हैं. भारत के बाहर नेपाल और बंगला देश में भी वसंत पंचमी बहुत ही धूम धाम और उत्साह से मनाई जाती हैं.

वसंत पंचमी का महत्व

हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वसंत पंचमी के दिन से ही भीषण सर्द ऋतु का समय समाप्त होने लगता है. पंचमी के बाद से पढ़ने के लिए अनुकूल वातावरण बनना प्रारम्भ हो जाता हैं. वसंत ऋतु को भारत में पाई जाने वाली 6 ऋतुओं में से सबसे श्रेष्ठ माना जाता हैं क्योंकि वसन्त ऋतु के आते ही प्रकृति में एक नई सी उमंग आने लगती हैं.

वसन्त ऋतु की आहट से ही मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु व पक्षी भी एक अलग ही उल्लास में रंग जाते हैं. वसन्त ऋतु प्रकृति को समर्पित मानी जाती है. कारण वसन्त ऋतु में पेड़-पौधों पर नए व कोमल पत्ते आने लगते हैं. पौधों में कलिया आने लगती हैं जो आगे जाकर सुंदर फूल बनकर आसपास के वातावरण को महकाती हैं.

वसन्त पंचमी को वसन्त ऋतु की शुरुआत माना जाता हैं. किवदंति हैं कि, इस दिन से वसन्त ऋतु शुरू होती हैं. दूसरी ओर मरणासन की स्थिति में पहुंची प्रकृति वापस से एक बार फिर से अपने सुंदर अवतार में आना प्रारंभ हो जाती हैं. वसन्त ऋतु की पढ़ने के लिए और कला अध्यन के लिये सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता हैं और इस वजह से यह दिन ज्ञानी व कलाप्रेमी लोगो के लिए बहुत महत्व रखता हैं.

यह दिन कलाकारों के लिए और ज्ञानियों के लिए साल के सभी त्योहारों से अधिक बढ़कर होता हैं. इस दिन कला व विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है और उनसे ज्ञान के क्षेत्र और कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मनोकामना की जाती हैं.

मान्यता हैं कि, जितना महत्व दुकानदारों और व्यवसाय करने वालों के लिए दिवाली का होता है उससे कई अधिक महत्व कलाकारों और विद्वानों के लिए वसंत पंचमी का होता हैं. इसके अलावा वसन्त पंचमी को लेकर कई अन्य मान्यताये भी प्रचलन में है. कहा जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ही श्री राम शबरी नामक भीलनी के घर में पधारे थे और उसके झूठे बेर खाए थे.

शबरी की श्री राम के प्रति आनंद भक्ति थी और इस कारण से श्री राम ने उसके झूठे बेर भी प्रेम भाव से ग्रहण कर लिए. गुजरात के डांग जिले में आज भी शबरी नामक आश्रम आज भी मौजूद है और वहां पर शबरी माता का एक मंदिर भी है. वसन्त पंचमी के दिन मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है.

चौहानों में भी बसंत पंचमी को लेकर काफी लोकप्रिय मान्यता प्रचलित है. जनश्रुतियों में किवदंति है कि, वीर पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी नामक मुस्लिम शासक को 16 बार हराया और हर बार उन्होंने अपने हिंदुत्व का पालन करते हुए अपने शत्रु को माफ कर दिया. लेकिन 17वीं बार में मुस्लिम शासक गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

कुछ इतिहासकारों की मान्यता है कि मुस्लिम शासक गोरी ने बदले की आग में पृथ्वीराज चौहान की दोनों आंखें फोड़ दी और जब उन्हें फांसी के फंदे पर लटकाया जाना था उस समय मनोरंजन के लिए पृथ्वीराज चौहान से शब्दभेदी बाण की कला दिखाने की फरमाइश की. पृथ्वीराज चौहान ने अपने साथी चंदबरदाई की मदद से अपने शब्दभेदी बाण से गोरी को ही मार दिया और यह दिन वसन्त पंचमी का ही दिन था.

वसन्त पंचमी क्यों मनाया जाता है

विभिन्न समुदायों के लिए वसंत पंचमी का महत्व अलग-अलग है और इस वजह से लोग विभिन्न कारणों से वसंत पंचमी मनाते हैं. विद्वान लोग और कला प्रेमी लोग इस दिन माता सरस्वती की पूजा करते हैं. छात्रों के लिए वसंत ऋतु को पढ़ाई का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है और इस वजह से स्कूल में कॉलेजों में माता सरस्वती के पूजन के बाद आने वाली वार्षिक परीक्षाओं में शुभ परिणाम के लिए मनोकामना की जाती है.

जिस तरह से दिवाली पर माता लक्ष्मी की और कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है उसी तरह से वसंत पंचमी का त्यौहार माता सरस्वती को अर्पित मनाया जाता हैं. मुख्यतः इस त्यौहार को सरस्वती पूजा और माता सरस्वती से ज्ञान व कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने की मनोकामना करने के उद्देश्य से ही मनाया जाता हैं.

वसंत पंचमी 2023 कब मनाई जाती है?

अधिकतर भारतीय त्योहारों की तरह बसंत पंचमी भी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नहीं बल्कि भारतीय कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है. बसंत पंचमी को भारतीय महीने मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. अगर अंग्रेजी दिनांक की बात करें तो साल 2023 में बसंत पंचमी का त्यौहार 5 5 फरवरी को मनाया जाएगा.

वसंत पंचमी पूजा विधि

भिन्न-भिन्न प्रदेशों में अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार वसन्त पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. कुछ प्रांतों में किसान लोग इस दिन सरसों की खेती के लिए भगवान को धन्यवाद करने के लिए पूजा व यज्ञ आदि करते है तो कुछ जगह इस दिन दान देने की परम्परा प्रचलित हैं. लेकिन एक बात जो पूरे देश में सामान्य है वह यह है कि इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है.

बसंत पंचमी पूजा विधि की बात करें तो लोग सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करते हैं और उसके बाद पीले स्वच्छ व पवित्र वस्त्र धारण करते हैं. इसके बाद उत्तर दिशा में पाटन लगाकर और उस पर लाल व पीले वस्त्र बिछाकर शुद्ध चावल यानी कि अक्षत की मदद से अष्ट कमल मनाया जाता है.

अष्ट कमल के अग्रभाग में गणेश जी को स्थापित किया जाता है. सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है और उसके बाद प्रतिभा कामदेव की पूजा की जाती है. कुछ प्रदेशों में गणेश जी की पूजा के बाद सरस्वती की पूजा की जाती है और उन्हें सरसों, गेहूं आदि अन्य चढ़ाए जाते हैं.

बसन्त पंचमी क्यों मनाई जाती हैं?

हम एक ऐसे देश के निवासी है जहां पर धार्मिक मान्यताओं का बोलबाला है. यहीं कारण है कि, जहां एक तरफ अन्य देशों की संस्कृति या लुप्त होती जा रही है वही हमारी भारतीय संस्कृति आज भी बरकरार है।

ऐसे कई सारे भारतीय त्योहार है जिनके बारे में लोगों को पूर्ण जानकारी नहीं है और हमारे इस पोस्ट वसन्त पंचमी क्यों मनाई जाती हैं का उद्देश्य भी एक प्रसिद्ध भारतीय त्योहार वसंत पंचमी का महत्व और बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है के बारे में बताना था।

बसंत पंचमी कौन से माह में है?

बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि में मनायी जाती है।

बसंत पंचमी में किनकी पूजा की जाती है?

बसंत पंचमी में देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।

वसंत पंचमी के दिन शिव जी की पूजा क्यों की जाती है?

वसंत पंचमी के दिन भगवान शिव जी ने माता पार्वती को धन और सम्पन्नता की देवी होने का वरदान दिया था. यहीं कारण है की पार्वती मन को नील सरस्वती भी कहा जाता है. दूसरी ओर इस दिन सरस्वती माँ के साथ साथ शिव जी की भी पूजा की जाती है.

आज आपने क्या सीखा

दोस्तों हमें पूरा विश्वास है कि, आपकों हमारा यह लेख वसन्त पंचमी क्यों मनाया जाता है (Basant Panchami in Hindi 2023) जरुर पसंद आया होगा. हमारी हमेशा से यहीं कोशिश रहती है कि, readers को वसन्त पंचमी के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दूसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की आवश्यकता ही नहीं है.

इससे हमारे पाठकों के समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं. हमें आपके प्रश्नों का उत्तर देने में बेहद ही खुशी होगी.

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