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हजरत अली का जन्मदिन 2025 में कब हैं | Hazrat Ali Birthday in Hindi

हजरत अली का जन्मदिन 2025 में कब हैं | Hazrat Ali Birthday in Hindi

अली इब्रे अबी तालिब या फिर जिन्हें ‘हजरत अली’ के नाम से पूरी दुनिया में पहचाना जाता है, ईस्लामिक कैलैंडर की मानें तो उनका जन्म 13 रजब 24 हिजरी पूर्व वहीं ग्रोगेरियन कैलेंडर की मानें तो 17 मार्च 600 ईस्वी को हुआ था। वह इस्लाम के पैंगबर मोहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद थे, आधुनिक युग में वह मुस्लिम लोगों के बीच हजरत अली के नाम से बहुत प्रसिद्ध हैं।

उन्होंने 656 ईस्वी से लेकर 661 ईस्वी तक इस्लामिक साम्राज्य के चौथे खलीफा के रुप में शासन किया। बताते चलें कि, हजरत साहब ने शिया इस्लाम के अनुसार वह 632 से 661 तक पहले इमाम के रुप में भी कार्यरत रहे। उनकी याद में भारत समेत विश्व के अन्य मुस्लिम देशों में उनके जन्मदिन पर्व को काफी उत्साह उमंग और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

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Hazrat Ali Birthday in Hindi

Hazrat Ali Birthday in Hindi

टॉपिक हजरत अली का जन्मदिन
लेख प्रकार आर्टिकल
साल 2025
हजरत अली का जन्म मक्का, काबा
हजरत अली लोगों क्या दिया करते थे अमन का पैगाम
साल 2025 में हजरत अली का जन्मदिन कब मनाया जाएगा 14 जनवरी 2025
14 जनवरी 2025 कौन सा दिन है मंगलवार

हजरत अली का जन्मदिन 2025 (Hazrat Ali Birthday 2025)

वर्ष 2023 में हजरत अली का जन्मदिन 05 फरवरी, रविवार के दिन मनाया जायेगा।

Year Weekday Date Name Holiday Type
2019 Thu 21 Mar Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2020 Mon 9 Mar Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2021 Fri 26 Feb Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2022 Tue 15 Feb Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2023 Sun 5 Feb Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2024 Thu 25 Jan Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2025 Tue 14 Jan Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2026 Sat 3 Jan Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2026 Wed 23 Dec Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2027 Sun 12 Dec Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2028 Fri 1 Dec Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday
2029 Tue 20 Nov Hazarat Ali’s Birthday Restricted Holiday

हजरत अली का जन्मदिन क्यों मनाया जाता है? (Why Do We Celebrate Hazrat Ali Birthday)

पैगंबर मुहम्मद की मौत के बाद इस्लाम धर्म दो विचारों में बट गया जिन्होंने अबु बकर को अपना नेता चुना वह सुन्नी मुस्लिम कहलाये और जिन्होंने हजरत अली को अपना नेता चुना वह शिया मुस्लिम कहलाये। हजरत अली मुहम्मद साबह के चचेरे भाई और दामाद होने के साथ ही उनके कानून उत्तराधिकारी भी थे। शिया संप्रदाय के लोगों का तर्क है कि, पैगंबर मुहम्मद की मौत के बाद हजरत अली को ही खलीफा नियुक्त किया जाना चाहिए था। बावजूद पैगंबर मोहम्मद के बातों को नजरअंदाज करके उन्हें तीन लोगो के बाद खलीफा बनाया गया।

मुस्लिम धर्म की मान्यताओं के अनुसार वह पहले पुरुष थे, जिन्होंने इस्लाम स्वीकार किया था। हजरत अली के एक बहुत ही उदार  और सरल किस्म के दयालु व्यक्ति थे। अपने साहस, विश्वास और दृढ़ संकल्प के कारण उन्हें मुस्लिम समुदाय में काफी सम्मान दिया जाता था। अपने ज्ञान तथा विभिन्न विषयों के बारीक समझ के कारण उन्हें पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है। इसका सीधा कारण है कि, वह किसी भी चीज को लोगों को बड़े ही सरल तरीके से समझा पाते थे।

जब वह इस्लामिक साम्राज्य के चौथे खलीफा चुने गये, तो उन्होंने सामान्य जनता की भलाई के लिए कई सारे कार्य किये। जिसके वजह से उन्हें आमजनों द्वारा काफी पसंद किया जाता था। इसी कारणवश उनके विचारों और समाज के उत्थान के लिए किये गये प्रयासों को देखते हुए, उनके सम्मान में हर वर्ष उनके जन्म उत्सव को विश्व भर के कई देशों में इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

हजरत अली का जन्मदिन कैसे मनाया जाता है – रिवाज एवं परंपरा (How Do We Celebrate Hazrat Ali Birthday –  Custom and Tradition of Hazrat Ali Birthday)

हजरत अली के जन्म उत्सव को विश्व के कई देशों में काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। भारत में भी इस दिन को काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है, खासतौर से शिया मुस्लिमों द्वारा इस दिन विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भारत में शिया समुदाय के सबसे बड़े केंद्र लखनऊ में इस दिन का उत्सव देखते ही बनता है।

इस दिन लखनऊ में स्थित विभिन्न इमामबाड़ों तथा मस्जिदों को काफी भव्य रुप से सजाया जाता है। इस दिन शहरों में विभिन्न प्रकार के जुलूस निकाले जाते है, धार्मिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भारत के अवाला ईरान में भी इस दिन को काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

इसके साथ ही इस दिन सभी मुस्लिम लोग अपने घरों की अच्छे से साफ-सफाई करते हैं और अपने घरों को सुन्दर तरीके से सजाते हैं। सभी मस्जिदों की भी काफी खूबसूरती से सजावट की जाती है और प्रर्थना सभाओं का आयोजन किया जाता है।

इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा अपने घरों में विभिन्न प्रकार के लजीज प्रकार के व्यंजन बनाये जाता है तथा अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को अपने घरों पर पर दावत के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस दिन मुस्लिम श्रद्धालु पैगंबर मोहम्मद और हजरत अली को याद करते हुए अपने परिवार के लिए दुआ करते हैं और इस दिन का जश्न मनाते हैं।

हजरत अली के जन्मदिन की आधुनिक पंरपरा (Modern Tradition of Hazrat Ali Birthday)

वर्तमान में हजरत अली के जन्मदिन मनाने के तरीकों में कई तरह के परिवर्तन आये है। पहले के अपेक्षा आज के समय में यह पर्व काफी वृहद और भव्य स्तर पर मनाया जाता है। इस दिन मस्जिदों और इबादतगाहों में नमाज के साथ विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। जहां लोगो को हजरत अली के जीवन से जुड़ी तमाम तरह की रोचक जानकारियां और उनकी शिक्षाओं के विषय में बताया जाता है।

ताकि लोग उनके जीवन से जुड़ी विभिन्न घटनाओं और बातों से सीख ले सके। इस दिन लोग अपने घरों को सुंदर तरीके से सजाते है तथा प्रार्थना सभाओं और दावतों का आयोजन किया जाता है। हमें इस बात का प्रयास करना चाहिए कि हजरत अली द्वारा मानवता के भलाई के विषय में बतायी गयी, यह बातें अधिक से अधिक लोगों तक पहुचें। तभी इस पर्व का वास्तविक अर्थ सार्थक हो पायेगा और इसका पारंपरिक रुप भी बना रहेगा।

हजरत अली के जन्मदिन का महत्व (Significance of Hazrat Ali Birthday)

हजरत अली के जन्मदिन का यह पर्व हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह दिन उनके जैसे महान व्यक्ति के याद में मनाया जाता है क्योंकि उनके जैसे व्यक्ति इतिहास में बहुत कम ही देखने को मिलते है। कुशल योद्धा और धर्मज्ञाता होने के साथ ही वह एक बहुत ही दयालु इंसान भी थे।

उनके नेकी और दयालुता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने हत्या करने की कोशिश करने वालों को भी क्षमा कर दिया। यहीं कारण है कि उन्हें वर्तमान समय में भी इतना अधिक सम्मान प्राप्त है। उनके इन्हीं गुणों और विशेषताओं के कारण लोगो में उनके इन्हीं विचारों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष उनके जन्मदिन को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

हजरत अली का इतिहास (History of Hazrat Ali Birthday)

हजरत अली के जीवन से जुड़े तमाम तरह की कहानियां प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि वह पहले पुरुष थे जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार किया था। इसके साथ यह भी मान्यता है कि वह एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिनका जन्म मक्का शहर के सर्वाधिक पवित्र स्थान काबा में हुआ था। इनके पिता का नाम हजरत अबुतालिब पुत्र हजरत अबुदल मुत्तालिब और माता का नाम फातिमा असद था।

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म रजब माह की 13वीं तारीख को हुआ था। हजरत अली वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने पैगंबर मोहम्मद के साथ नमाज पढ़ी। पैगंबर मोहम्मद ने अपने मृत्यु से पहले उन्हें अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था।

उन्होंने अपने जीवन में कई सारी लड़ईया लड़ी और खलीफा के रुप में अपने पांच वर्षीय शासनकाल में कई युद्धों, विद्रोंहो का सामना करते हुए भी समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने जनता को तमाम तरह के करों से मुक्ति प्रदान करते हुए, उन्हें और भी अधिक अधिकार प्रदान किये।

इसके साथ ही खलीफा नियुक्त किये जाने पर उन्होंने कई सारे आर्थिक सुधार भी किये, जैसे कि तीसरे खलीफा ने समाज के कुछ विशेष व्यक्ति को विभिन्न सार्वजनिक संपत्तिया प्रदान कर दी थी, उनको हजरत अली ने उनसे वापस ले ली और उन्हें सामान्य जनता की भलाई के लिए इस्तेमाल किया।

इसके साथ ही उन्होंने की भ्रष्ट शासकीय अधिकारियों को निलंबित किया और उनके स्थान पर ईमानदार व्यक्तियों को नियुक्त किया। हजरत अली राजकोष का विशेष ध्यान रखते थे क्योंकि उनका मानना था कि राजकोष सार्वजनिक संपत्ति है और इसका उपयोग सिर्फ जनता के भलाई के लिए उपयोग होना चाहिए नाकि किसी व्यक्ति के नीजी कार्यों में, हजरत अली के इन्हीं कार्यों के कारण कई सारे रसूखदार और शक्तिशाली व्यक्ति उनके शत्रु बन गये।

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान मास की 19वीं तारीख को जब वह सुबह की नमाज पढ़ने के लिए गये तो सजदा करते समय अब्दुर्रहमान नाम के व्यक्ति ने उनके ऊपर तलवार से हमला करके घायल कर दिया और इस घटना के दो दिन पश्चात यानि रमजान की 21 वीं तारीख को उनकी मृत्यु हो गयी।

यह उनकी नेकदीली और प्रेमभावना ही थी कि उन्होंने अपने कातिल को भी माफ कर दिया। उनके शहादत के समय की स्थिति काफी भयंकर थी, समाज में चारों ओर शत्रुता व्याप्त थी और इस बात का भय था कि कही शत्रु कब्र खोदकर लाश ना निकाल ले जाये।

इसी कारणवश उनके शरीर को गुप्त रुप से दफन किया और काफी लंबे समय बाद लोगों को उनके समाधि के बारे में जानकारी मिली। समाज और गरीबों के लिए किये इन्हीं कार्यों के कारण हजरत अली सामान्य जनता बीच काफी प्रसिद्ध थे। यहीं कारण हैं कि हर साल रजब माह की 13वीं तारीख को उनके जन्म उत्सव को विश्व के कई सारे देशों में इतने धूम धाम के साथ मनाया जाता है।

हजरत अली की प्यारी बातें

  • नेक लोगों की सोहबत से हमेशा भलाई ही मिलती हैं, क्योकि हवा जब फूलो से गुज़रती हैं, तो वो भी खुशबूदार हो जाती हैं।
  • जब ज्ञान की बात आती है तो मौन में कोई अच्छाई नहीं होती है, जिस तरह अज्ञान की बात होने पर बोलने में कोई भलाई नहीं होती है।
  • यदि आप दयालुता के प्राप्तकर्ता हैं, तो इसे याद रखें। यदि आप दयालुता के दाता हैं, तो इसे भूल जाइए!
  • ज्ञान धन से बेहतर है, ज्ञान आपकी रक्षा करता है लेकिन धन, आपको इसकी रक्षा करनी होगी।
  • एक दोस्त द्वारा ईर्ष्या का मतलब उसके प्यार में दोष है।
  • किसी के नुक़सान में खुशी न दिखाएँ, क्योंकि आपके पास भविष्य में आपके लिए क्या है, इसका आपको कोई ज्ञान नहीं है।
  • उन पापों से डरें जो आप गुप्त रूप से करते हैं क्योंकि उन पापों का गवाह खुद न्यायाधीश है। अल्लाह से डरे। अल्लाह तुम्हारे कृत्यों को देख रहा है।
  • कभी-कभी आपकी प्रार्थनाएँ स्वीकार नहीं की जाती हैं, क्योंकि आप अक्सर अनजाने में वो चीज़े मांगते हैं जो वास्तव में आपके लिए हानिकारक हैं।
  • खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते हैं, लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं।
  • यदि आप किसी को याद करते हैं जब आप खुश होते हैं, तो बस यह जान लें कि आप उनसे प्यार करते हैं और अगर आप दुखी होने पर किसी को याद करते हैं तो बस यह जान लें कि वे आपसे प्यार करते हैं।

हजरत अली की इंसानों को नसीहतें

1.सोच समझकर बोलें। बोलने से पहले शब्द आपके गुलाम होते हैं, लेकिन बोलने के बाद आप लफ्जों के गुलाम बन जाते हैं।

2.भीख मांगने से बदतर कोई और चीज नहीं होती है।

3.अपनी सोच को पानी की बूंदों से भी ज्यादा साफ रखो। क्योंकि बूंदो से दरिया और सोच से ईमान बनता है।

4.चुगली करना उसका काम होता है, जो अपने आपको बेहतर बनाने में असमर्थ होता है।

5.अपनी जुबान की हिफाजत इस तरह करो, जिस तरह अपने माल की हिफाजत करते हो।

6.अगर इंसान को तकब्बुर (घमंड) के बारे में अल्लाह की नाराजगी का इल्म हो जाए तो बंदा सिर्फ फकीरों और गरीबों से मिले और मिट्टी पर बैठा करे।

7.मैं तुम पर दो चीजों से बहुत ज्यादा खौफजदा हू एक तो ख्वाहिश की पैरवी और दूसरी लम्बी उम्मीदें।

8.जो शख्स यह गुमान रखता है कि नेक आ’माल अपनाए बगैर जन्नत में दाखिल होगा, तो वह झूठी उम्मीद का शिकार है।

9.गुनाहों की नुहूसत से इबादत में सुस्ती और रिज्क में तंगी आती है।
10.इंसान का कद 22 साल तक बढ़ता है, अक्ल 28 साल तक बढ़ती है, इसके बाद मरते दम तक तजरिबात का सिलसिला रहता है।

FAQ’s:- हजरत अली का जन्मदिन | Hazrat Ali Birthday

Q. हजरत अली कौन थे?

Ans. मोहम्मद पैगंबर के चचेरे भाई और दामाद।

Q हजरत अली की मौत कहां हुई थी?

Ans. कुफा में  हजरत अली की मौत  हुई थी

Q. हजरत अली और फातिमा की औलादों को क्या कहा जाता है?

Ans. हजरत अली और फातिमा की औलादों को सैय्यद कहा जाता है

Q. हजरत अली की कितनी शादियां हुई थी

Ans. हजरत अली  की  नौ शादियां हुई थी।

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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