राक्षसों के खून से उपजे हैं प्याज़ और लहसुन | Vrat Me Lehsun Pyaaz Kyon Nahi khate
हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व बेहद ही पवित्र माना जाता है.यह पर्व वर्ष में दो बार कार्तिक और चैत्र मास में आता है. हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि या बासंतिक नवरात्रि कहा जाता है. इस बार चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल 2021 से आरंभ होंगी और नवरात्रि का समापन 21 अप्रैल 2021 को होगा. इन नौ दिनों तक मां भवानी के नौ स्वरूपों की पूजा करने का विधान है. आपकों जानकर हैरानी होगी कि प्याज और लहसुन राक्षसों के खून से उपजा है. इसलिए Vrat Me Lehsun Pyaaz Kyon Nahi khate
नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान पूरी तरह से सात्विक आहार ग्रहण किया जाता है. जो उपासक व्रत करते हैं वे तो केवल फलाहार ही करते हैं. इसके अलावा जो लोग व्रत नहीं करते उनके लिए भी किसी भी तरह से मांस मदिरा का सेवन करना निषिद्ध माना गया है. इतना ही नहीं नवरात्रि के दौरान भोजन में प्याज और लहसुन का सेवन और आहार में प्रयोग भी वर्जित माना गया है. ऐसे में लोगों के मन में प्रश्न उठता है कि लहसुन प्याज तो सब्जी हैं फिर भी उन्हें नवरात्रि के दौरान निषेध क्यों माना जाता है. जानिए इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण.
इस वजह से नवरात्रि में नहीं खाते लहसुन प्याज : Vrat Me Lehsun Pyaaz Kyon Nahi khate
हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के 9 दिन माता की भक्ति और संयम रखने का समय होता है. ऐसे में साधक को आध्यात्मिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है. जिससे उसका मन विचलित न हो. प्याज और लहसुन खाने के शरीर में गर्मी बढ़ती है, जिससे मन में कई प्रकार की इच्छाओं का जन्म होता है. इसके अलावा व्रत के समय दिन में सोने को वर्जित माना गया है. यह भोजन शरीर में सुस्ती भी बढ़ाता है. यही कारण है नवरात्रि के 9 दिनों में प्याज और लहसुन नहीं खाया जाता है.
ये है पौराणिक कथा :
प्राचीन धार्मिक कथा के अनुसार जब समुंद्र मंथन से अमृत प्राप्त हुआ तो मोहिनी रूप धारण करे हुए भगवान विष्णु जब देवताओं में बांट रहे थे तभी स्वर्भानु नाम का एक राक्षस देव रूप धारण करके देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और धोखे से अमृत का सेवन कर लिया था. सूर्य और चंद्रमा ने उसे देख लिया और यह बात विष्णु जी को संज्ञान में दे दी. भगवान विष्णु को जैसे ही यह मालूम हुआ तो उन्होंने क्रोध में असुर का सर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन तब तक राक्षस के मुख में गले तक अमृत पहुंच चुका था इसलिए उसका धड़ और सिर अलग होने पर भी वह जीवित रहा जब विष्णु जी ने राक्षस का सिर धड़ से अलग किया तो मृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं जिनसे प्याज और लहसुन उपजा.
प्याज और लहसुन अमृत की बूंदों से उपजे होने के कारण यह सेहत के लिए बहुत स्वास्थ्य वर्धक होता है और रोगों को नष्ट करने में सहायक होते हैं लेकिन इनमें मिला अमृत राक्षसों के मुख से होकर गिरा हैं, इसलिए इनमें तेज गंध है. यही कारण है कि राक्षस के मुख से गिरे होने के कारण इन्हें अपवित्र माना जाता है और देवी देवताओं के भोग में उपयोग नहीं किया जाता.
प्याज लहसुन के बारे में क्या कहता है आयुर्वेद :
आयुर्वेद की मानें तो भोजन को तीन भागों में बांटा गया है. इसमें राजसिक भोजन, तामसिक भोजन और सात्विक भोजन आता है. प्याज और लहसुन दोनों ही फायदेमंद माने गए हैं लेकिन प्याज को तामसिक और लहसुन को राजसिक श्रेणी में रखा गया है. व्रत (उपवास) के दौरान सात्विक आहार ग्रहण लिया जाता है इसलिए नवरात्रि के दिनों में प्याज लहसुन शामिल नहीं करते हैं. इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी माना गया है.
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दूसरी ओर वैज्ञानिक आधारों को देखा जाए तो मौसम में आ रहे बदलाव की वजह से शरीर की इम्यूनिटी कम हो जाती है. गरिष्ठ और अधिक मसालेदार भोजन करना सेहत के लिए हानिकारक होता है. कारण यह आसानी से पचता नहीं है तो वहीं सादा-सात्विक भोजन आसानी से पच जाता है.
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