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नवरात्रि में व्रत (उपवास) करने की विधी | Navratri Vrat Vidhi

नवरात्रि में व्रत (उपवास) करने की विधी | Navratri Vrat Vidhi

हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिनों व्रत रखने का विशेष महत्त्व बताया गया है. आमतौर पर व्रत अपनी श्रद्धा के ऊपर निर्भर करता है. यह नौ दिनों तक चलने वाला पर्व है क्योंकि ये नौ दिन नौ देवियों को समर्पित हैं. कुछ लोग पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं व कुछ लोग पहले और आखिरी दिन का व्रत रखते हैं. इसे चढ़ता उतरता व्रत कहा जाता है. कुछ लोग पर्व के नौ दिन की अखंड जोत जलाते हैं. जिसको नौ दिनों तक नहीं बुझने दिया जाता. व्रत को रखने के लिए हर एक व्यक्ति के अपने अलग-अलग उद्देश्य होते हैं. पुराणों के अनुसार व्रत या उपवास करने से माँ की कृपा सदा उनपे बनी रहती है व सारे कार्य सिद्ध होते हैं. व्रत को रखने के कुछ नियम हैं, जैसे व्रत में क्या खाना चाहिए, पूजा किस प्रकार करनी चाहिए आदि. आइये जानते हैं व्रत से जुड़ी बातें व कथा –

ब्रह्माजी द्वारा सुनाया गया वृतांत –

धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रहस्पति जी ने ब्रह्माजी से प्रश्न किया कि चैत्र व आश्विन मास की शुक्लपक्ष की नवरात्रि का व्रत और त्योहार क्यों मनाया जाता है, इस व्रत को करने से क्या फल मिलता है और इसे किस प्रकार करना चाहिए और सर्व प्रथम ये व्रत किसने किया था, बताइए?

जिसके उत्तर मैं ब्रह्माजी ने ब्रहस्पति जी के इस सवाल का जबाव दिया, हे ब्रहस्पति, प्राणियों की अच्छाई की इच्छा रखने के लिए तुमने बहुत अच्छा प्रश्न किया है, ये नवरात्रि का व्रत मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है, संतान की कामना करने वाले को संतान प्राप्ति होती है, दरिद्र लोगों को धन की प्राप्ति होती है, लोग धन-धान्य से पूर्ण हो जाते हैं और लोगों के सारे कष्ट नष्ट हो जाते हैं.

नवरात्रि व्रत कथा

पुरातन समय में मनोहर नामक नगर में पीठत नाम का एक अनाथ ब्राह्मण रहता था, वह दुर्गा माँ का सच्चा भक्त था. उसके यहाँ एक कन्या उत्पन्न हुई जिसका नाम सुमति रखा गया. सुमति, अपनी सहेलियों के साथ खेलते-कूदते बढ़ी होने लगी, जैसे शुक्ल पक्ष में चन्द्रमा की कला बढ़ती है.

ब्राह्मण पीठत, प्रतिदिन माँ दुर्गा की पूजा किया करता था और पूजा के समय वह कन्या सुमति, हमेशा वहां उपस्थित रहती थी. लेकिन एक दिन वह सहेलियों के साथ खेल-कूद में इतनी मगन हो गई कि उसे पूजा का ध्यान न रहा. इस वजह से पिता को अत्यंत क्रोध आया. उसके पिता ने उसे कहा कि आज तू भगवती की पूजा में शामिल नहीं हुई, अब में तेरा विवाह एक दरिद्र और कुष्ठ रोगी से कर दूँगा. तब सुमति ने कहा अपने पिता से कहा, “आप मेरे पिता हैं, आप जैसा उचित समझे, लेकिन मेरे भाग्य में जो लिखा है वही होगा”.

ऐसे वचन सुनकर पिता को और भी अधिक क्रोद्ध आया और उसने अपनी पुत्री का विवाह कुष्ठ रोगी के साथ करा दिया और बोला कि देखता हूँ कि अब तेरा भाग्य तेरा कितना साथ देगा. ऐसे वचन सुनकर सुमति सोचने लगी कि मेरा दुर्भाग्य ही ऐसा है इसीलिए मुझे ऐसा वर मिला है और इस प्रकार अपने पति के साथ वन को चली गयी.

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एक दिन वन में इस कन्या के पूर्व जन्म के कर्म से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा वहां प्रकट हो गयीं और कहने लगीं कि जो भी वर तुम्हे चाहिए वह मांगों. कन्या ने कहा कि आप कौन हैं, तब माता ने उत्तर दिया कि मैं भगवती हूँ, मैं तुम्हारे पिछले जन्म के कर्मों से अत्यंत प्रसन्न हूँ इसीलिए तुम्हारी जो इच्छा है वैसा वरदान मैं तुम्हे दूँगी. माता ने कहा कि मैं तुम्हारे पिछले जन्म का वृतांत बताती हूँ – तुम पिछले जन्म में अति पतिव्रता नारी थी, तुम्हारा पति चोरी करते पकड़ा गया था, तब तुम दोनों को सिपाहियों ने कारागाह में बंद कर दिया था और उस दौरान तुम दोनों को कुछ भी खाने को भोजन नहीं दिया गया था, इस प्रकार तुमने नौ दिनों तक नवदुर्गा का व्रत कर लिया था और उस व्रत के प्रभाव से मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ इसीलिए जो वर मांगना है माँग सकती हो.

तब सुमति बोली “मुझे धन-धान्य कुछ नहीं चाहिए बस मेरे पति का कुष्ठ रोग दूर कर दीजिये”. तब माता ने उसे वरदान दिया कि तुम्हारा पति कुष्ठरोग मुक्त हो जाये और तू सदा खुश रहे. ऐसा कहकर वे अंतर्ध्यान हो गयीं और सुमति अत्यंत प्रसन्न हो उठी.

अर्थात यह फल सुमति को उन नौ दिनों के व्रत रखने से ही प्राप्त हुआ. तभी से व्रत रखने की परम्परा चली आयी.

नवरात्रि वृत में क्या नहीं खाया जाता है ? और क्या खाया जाता है ?

  • नवरात्रि वृत में क्या नहीं खाएं –

व्रत के नौ दिनाें में हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, हींग, सरसों का तेल, मेथी दाना, गर्म मसाला और धनिया पाउडर का उपयोग नहीं किया जाता है. नमक में केवल सेंधा नमक ही खाएं. रिफाइंड तेल या सोयाबीन ऑयल में खाना न पकाएं, घी में पका हुआ भोजन ग्रहण किया जा सकता हैं. फली, दाल, चावल, गेहूँ का आटा, रवा और मैदे का इस्तेमाल करने से बचें. प्याज, लहसुन का सेवन पूर्ण रूप से वर्जित होता है.

  • नवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए –

व्रत में रामदाना, आलू से बना हलवा या आलू से बनी चिप्स खा सकते हैं, हम आलू को उबाल कर उसमें दही मिला कर और सेंधा नमक, हरा धनिया डाल कर सेवन किया जा सकता हैं. और हाँ हम व्रत की किसी भी चीज में सेंधा नामक डाल कर ग्रहण कर सकते हैं. मेवा, फल, दूध, दही, साबूदाना, मूंगफली, कुट्टू, सिंगाड़े के आटे से बने पकवान आदि फलाहार कर सकते हैं. हो सके तो चीनी की जगह गुड़ का सेवन करें.

नवरात्रि में व्रत (उपवास) करने की विधी | Navratri Vrat Vidhi

इस नवरात्रि के दौरान ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके मन ही मन माता का स्मरण करें. जिसके बाद मातारानी के पूजन की तैयारी करें. पूजा में शुद्ध जल और दूध से माता का अभिषेक करें. दीपक जलाएं, माता के मंत्रो का जाप करें, साथ ही दुर्गासप्ताशी का पाठ करें, पूजा में कुमकुम, हल्दी, चन्दन, अक्षत्, पुष्प और अन्य सुगन्धित, चीज़ें जैसे की इत्र, धूप आदि का प्रयोग करें. पकवान, फल, मिठाईयों का भोग लगा कर के आरती करें.

नवरात्रि के पहले ही दिन से लोग अखंड ज्योति जलाते हैं जो कि पूरे नौ दिनों तक जलती है. याद रहे ये ज्योति नौ दिन तक बुझ न पाए. इसमें निरंतर घी डालते रहें. व्रत में फलाहार करने का एक समय निर्धारित करें, अतिशय भोजन न करें, अपने शरीर को हल्का रखें जिससे आप अपना ध्यान माँ की भक्ति में लगा सकें. इस प्रकार नियमों का पालन करते हुए नौ दिनों के व्रत को पूर्ण करें.

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Ravi Raghuwanshi

रविंद्र सिंह रघुंवशी मध्य प्रदेश शासन के जिला स्तरिय अधिमान्य पत्रकार हैं. रविंद्र सिंह राष्ट्रीय अखबार नई दुनिया और पत्रिका में ब्यूरो के पद पर रह चुकें हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय अखबार प्रजातंत्र के नागदा ब्यूरो चीफ है.

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