ग्रेसिम उद्योग नागदा का करोड़ों रुपए का वृक्षारोपण घोटाला आया सामने

Nagda News. देश के प्रसिद्ध बिड़ला घराने के नागदा स्थित ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड (स्टेपल फाइबर डिवीजन) (Grasim Industries Limited) एक बार फिर नई जांच के घेरे में आ गया हैं। सालों से किए जा रहे अवैधानिक गतिविधियों के दिन प्रतिदिन प्रमाण सामने आ रहे हैं । जिसमें करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के झूठे एवं फर्जी आंकड़े देखने को मिल रहे हैं।

ऐसा ही एक नया मामला नागदा में पर्यावरण सुधार एवं वृक्षारोपण के नाम पर 5 वर्ष में 5 करोड़ 17 लाख रुपए खर्च किए जाने का मामला प्रकाश में आया हैं। जिसके दस्तावेज़ सूचना का अधिकार एक्ट के तहत आरटीआई एक्टिविस्ट अभिषेक चौरसिया नागदा को प्राप्त हुए थे ।

जिसकी उच्च अधिकारियों के समक्ष मयदस्तावेज़ शिकायत के पश्चात उद्योग के विरूद्ध शासन स्तर से जांच का आदेश जारी कर दिया गया हैं । इसमें प्रदूषण नियंत्रण के लिए उद्योग के द्वारा किए जा रहे अन्य कार्यों की पोल भी खुलने के आसार हैं ।

सबसे बड़ा सवाल नागदा में 5 वर्ष में कब और कहां किया 81 हज़ार 110 पोधों का वृक्षारोपण : अभिषेक चौरसिया ने बताया हैं कि ग्रेसिम उद्योग प्रबंधन (Grasim Industries Limited) ने मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजें अपने पत्र में नागदा में वर्ष 2015 से वर्ष 2019 तक कुल 81 हज़ार 110 पोधें लगाने की जानकारी उपलब्ध करवाई हैं। जिसमें वर्ष 2015 में कुल 15500, वर्ष 2016 में कुल 15100, वर्ष 2017 में कुल 15510, वर्ष 2018 में कुल 20000 एवं वर्ष 2019 में कुल 15000 पौधों का वृक्षारोपण का कार्य पूर्ण किया जाना बताया गया हैं।

जबकि नागदा में ऐसा कोई ग्रीन बेल्ट अथवा ग्रीन जोन वर्तमान में उपलब्ध नहीं हैं जहां इतने व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण हुए जाने के प्रमाण उपलब्ध हुए हो। यदि ऐसा कोई ग्रीन बेल्ट नागदा में वर्ष 2015 से 2019 के बीच डेवलप किया गया है तो उसके साक्ष्य उद्योग प्रबंधन को सार्वजनिक करने चाहिए ।

पर्यावरण सुधार के नाम पर खर्च की 5 करोड़ 17 लाख रुपए की राशि, यूनिट हेड और वाइस प्रेसिडेंट ने लगाईं अपने ही उच्च अधिकारियों को चपत : अभिषेक चौरसिया ने बताया कि ग्रेसिम उद्योग प्रबंधन (Grasim Industries Limited) ने शासन को बताया हैं कि 5 वर्ष में नागदा में पर्यावरण सुधार एवं वृक्षारोपण के लिए उनके द्वारा कुल 5 करोड़ 17 लाख रुपए खर्च किए गए हैं । जिसके अंतर्गत वर्ष 2015 में 83 लाख रुपए, वर्ष 2016 में 91 लाख रुपए, वर्ष 2017 में 1 करोड़ रुपए, वर्ष 2018 में 1 करोड़ 15 लाख रुपए एवं वर्ष 2019 में 1 करोड़ 28 लाख रुपए खर्च किए गए हैं ।

जिससे की स्पष्ट होता है कि उद्योग के स्थानीय प्रबंधन ने मुंबई में बैठे अपने ही उच्च अधिकारियों को चूना लगाने का काम किया है । इतनी बड़ी राशि यदि वास्तव में नागदा में पर्यावरण सुधार के नाम पर खर्च की गई होती तो 5 वर्ष में नागदा में बहुत बड़ा ग्रीन बेल्ट विकसित हो गया होता । नागदा में हो रहे गंभीर वायु एवं जल प्रदूषण के स्तर में भी कमी आ गई होती । यह समस्त खर्च यूनिट हेड एवं वाइस प्रेसिडेंट के निर्देश पर ही खर्च किया जाता है ।

कमिश्नर और कलेक्टर के आदेश का उल्लंघन, टालमटोल कर 2 बार तहसीलदार आरके गुहा ने दबाया मामला : अभिषेक चौरसिया ने आरोप लगाया हैं कि नागदा के तहसीलदार आर के गुहा द्वारा उद्योग प्रबंधन के अधिकारियों के साथ साठगांठ कर उक्त मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा हैं। इस मामले में शासन स्तर से दो बार जांच का आदेश जारी होने के बावजूद उच्च अधिकारियों के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा हैं। उक्त मामले की जांच एसडीएम नागदा को दी गई थी।

जिसमें एसडीएम द्वारा स्वयं जांच किए जाने के बजाय अन्य अधिकारियों पर काम  ढोलने का प्रयास किया जा रहा हैं । जबकि पूर्व में कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा 4 माह पूर्व तत्काल भौतिक सत्यापन एवं जांच किए जाने का आदेश जारी किया गया था । उसे भी एक दूसरे पर टालने का प्रयास कर दबाने का काम किया गया था।

हाल ही में उप आयुक्त (राजस्व) श्रवण कुमार भंडारी द्वारा संभागीय आयुक्त आनंद कुमार शर्मा के आदेश पर पुनः जांच किए जाने हेतु उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह को आदेश जारी किया गया हैं । जिसमें कलेक्टर द्वारा एसडीएम नागदा को जांच का निर्देश दिया गया हैं । अब देखना होगा कि एसडीएम नागदा उच्च अधिकारियों के निर्देश का पालन करते हैं या फिर इस जनहित के मामले को दबाने का काम किया जाएगा ।

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