गोपालगंज थावे मंदिर की रोचक कहानी, रहषु ने शेरों के गले में सांप डालकर किया था दंउरी । Interesting story of Gopalganj Thawe temple, Rahsu did the snake by putting a snake in the neck of the lion। gopalganj thawe mandir ki kahani । maa thawewali mandir gopalganj
गोपालगंज के थावे मंदिर की ख्याति से हर कोई चिरपरिचित है. राजा मननसिंह की हटधर्मिता के बाद रहषु भगत के बुलावे पर मां कमाख्या से चलकर कोलकाता (काली के रूप में दक्षिणेश्वरमें प्रतिष्ठित), पटना (यहां मां पटन देवी के नाम से जानी गई), आमी (छपरा जिला में मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध स्थान) होते हुए थावे पहुंची थीं, और रहषु के मस्तक (सिर) को विभाजित (फाड़कर) करते हुए साक्षात दर्शन दिए थे.
लेकिन आप सभी को इस बात की शायद ही जानकारी होगी कि, रहषु भगत बाघों के गले में सर्प यानी सांप बांधकर अनाज की दउंरी (खेतों से अनाज काटे जाने के बाद उसे थ्रेसर की सहायता से अलग निकाले जाने की विधि को बिहार में दउंरी कहा जाता है) करवाते थे. जी हां, यह बिल्कुल सत्य है. यदि आप थावे मंदिर घूमने गए हो तो आप लोगों ने भी नोटिस किया होगा कि, रहषु प्रतिमा के समीप लगे बाघों के गले में सर्प दर्शाए गए है. बाघों में गले में लटके सर्प इस बात का प्रमाण है कि, रहषु भगत दउंरी करने के लिए बाघ और सांपों का इस्तेमाल करते थे.
दरअसल राजा मननसिंह के राज्य में एक बार भीषण अकाल पड़ गया था, चहुं ओर त्राही-त्राही मची हुई थी. प्रजा लगान (टैक्स) देने में असमर्थ थी. राज्य में भूखमरी के हालत पैदा हो गए थे. ऐसे में मां भवानी के आराधक रहषु भगत माता के शक्ति के प्रभाव से खेतों से घास काटकर उसे अनाज का रुप देते थे, और उक्त अनाज को जरूरतमंदों में बांट दिया करते थे.
अनाज की दउरी के लिए रहषु भगत जंगल से सांप और बाघों का आह्वान कर उनकी मदद लेते थे. इस बात की सूचना जब राजा को लगी तो उसने रहषु से माता की अपार शक्ति प्राप्त करने का रास्ता पूछा. इस दौरान रहषु ने राजा मननसिंह को अपनी माता मुनिया और अपने जन्म की पूरी कथा. जिसमें बताया कि, उसका जन्म उसकी माता की ऊंगली से हुआ है, और भवानी मां का आर्शीवाद उन्हें जन्म पूर्व से ही प्राप्त है.
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