थावे वाली माई के रहसू भगत की कहानी, माता की अंगुली से जन्मे थे थावे के रहषु भगत । Story of Rahsu Bhagat of Thawe Wali Mai, Rahsu Bhagat of Thave was born from mother’s finger । thawe rahsu bhagat ki kahani
बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित थावे प्रखंड के थावे मंदिर से हर बिहारवासी भली भांति परिचित है. मंदिर किसी प्रसिद्धि का मोहताज नहीं है. यदि थावे में रहषु भक्त का जन्म नहीं होता तो शायद आज थावे मंदिर कोई नहीं जानता. थावे मंदिर का इतिहास रहसु भगत से जुड़ा है. आप सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि, रहसू भगत का जन्म माता की कोख से नहीं बल्कि उनकी हाथों की अंगुली से हुआ है. लेख के जरिए आज हम आपकों थावे वाली माई के रहसू भगत की कहानी को विस्तार से बताएंगे. अनुरोध है कि, आप हमारे पोस्ट को अपने परिचितों और सगे संबंधियों के साथ सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक शेयर करें.
थावे वाली माई के रहसू भगत की कहानी, माता की अंगुली से जन्मे थे थावे के रहषु भगत । Story of Rahsu Bhagat of Thawe Wali Mai, Rahsu Bhagat of Thave was born from mother’s finger । thawe rahsu bhagat ki kahani
सालों पुरानी बात है, थावे गांव में मुनिया नामक एक युवती रहती थी. मुनिया मां भवानी की बहुत बड़ी उपासक थी. परेशानी वाली बात यह थी कि, वह दलित समाज से थी. जिसके कारण गांव के मंदिरों पर उसका पूजन करना वर्जित था. बावजूद मुनिया छिप-छिपाकर गांव के देवी मंदिर के ओटले पर सोमवार और शुक्रवार को पुजन करती थी. चेत्र नवरात्र के दिनों में मुनिया रोजाना की तरह गांव के देवी मंदिर पर पूजन करने पहुंची.
इसी दौरान गांव की महिलाओं ने मुनिया को देख लिया और उसे भला बुरा कहते हुए मंदिर के ओटले से बाहर खदेड़ दिया. महिलाओं के इस बर्ताव से मुनिया बहुत आहत हुई, और रोते हुए गांव के जंगल में जाकर बैठ गई.
इसी दौरान माता दुर्गा ने मुनिया को दर्शन दिया और उसे पुत्र रत्न का वरदान दिया. माता ने यह भी बताया कि, तुम बिन व्याही मां बनोगे, तुम्हारा पुत्र तुम्हारी अंगुली से जन्म लेगा. आगे चलकर तुम्हारा पुत्र रहषु भगत के नाम से पूरे विश्व में विख्यात होगा. माता द्वारा दिए गए वरदान के अनुसार मुनिया कुछ समय बाद अपनी हथेली की अंगुली से पुत्र को जन्म दिया. आगे चलकर यही बालक रहषु भगत थावे के राजा मनन सिंह की मृत्यु का कारण बना.
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