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गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है | Ganesh Chaturthi Kyu Manai Jati Hai

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है | Ganesh Chaturthi Kyu Manai Jati Hai

Ganesh Chaturthi 2023 : पूरे भारत वर्ष में गणेश चतुर्थी उत्सव दस दिनों तक उत्साह के साथ मनाया जाता है. लेकिन बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि,  गणेश चतुर्थी के पीछे छिपी कहानी क्या हैं और इसे दस दिनों तक क्यों मनाया जाता है?

गणेश चतुर्थी की कहानी: भारत त्योहारों का देश है. प्रतिदिन यहां कोई ना व्रत, पर्व या त्योहार होता है. दीपाेत्सव की तरह ही गणेश चतुर्थी भी भारतीयों का प्रमुख त्यौहार है. भारतीय हिन्दू महीनें में प्रत्येक चंद्र माह में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं. पूर्णिमासी या कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा को संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है. वहीं शुक्ल पक्ष के दौरान अमावस्या के बाद एक विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है. लेकिन आप में से ऐसे बहुत से लोग है जिन्हें इस बारे में पूरी जानकारी नहीं होगी कि, क्यों गणेश चतुर्थी मनाया जाता है?

जानना जरूरी है कि, गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. श्रीगणेश भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं. गणेश चतुर्थी वैसे तो भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन भारत के महाराष्ट्र प्रांत में इसे वृहद स्तर पर बनाया जाता है. मुंबई के लोगों का इस त्यौहार का बेसब्री से इंतज़ार होता है.

भारतीय पुराणों के अनुसार भगवान गणेश ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता है. भारतीय द्वारा कोई भी शुभ कार्य करने के पूर्व भगवान गणेश को पूजा जाता है. सरल शब्दों में कहा जाएं तो कार्य को विघ्न पूर्ण पूरा करने के लिए विघ्नहर्ता गणेश की पूजा करते है. भगवान गणेश को विनायक और विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है. गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है. इसलिए आज हम आपकों पोस्ट के जरिए आप लोगों की गणेश चतुर्थी क्या हैं इसे क्यों मनाया जाता है के विषय में विस्तार से जानकारी देने जा रही है. आशा करते हैं कि, आप लेख को शुरू से लेकर अंत तक पढ़ेंगे. तो फिर चलिए शुरू करते हैं.

गणेश चतुर्थी क्या है?

Table of Contents

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहते हैं, यह असल में एक हिंदू त्योहार है. इस दौरान लोग भगवान श्री गणेश का पूजन करते है. गणेश चतुर्थी की शुरुआत वैदिक भजनों, प्रार्थनाओं और हिंदू ग्रंथों जैसे गणेश उपनिषद को पढ़कर कि जाती है. प्रार्थना के बाद गणेश जी को उनका पंसदीदा प्रसाद मोदक का भोग लगाकर आरती पूर्ण की जाती है. गणेश उत्सव के दौरान पंडालों में आकृर्षक विद्युत साज सज्जा की जाती है. इन दस दिनों के उत्सव में पूरा भारत गणेश जी की भक्ति से सराबोर रहता है. मुंबई के लाल बाग के राजा गणेश को पूरे विश्व में प्रसिद्धि हासिल है. लाल बाग के राजा को देखने के लिए विदेशी पर्यटक भी मुंबई पहुंचते है.

    Day       Date                               States
मंगलवार (Tuesday) 19 September 2023 Maharashtra, Goa, Tamil Nadu, Karnataka, and Andhra Pradesh

गणेश चतुर्थी कब है 2023 में?

गणेश चतुर्थी को इस वर्ष 2023 में मंगलवार, 19 September (19/09/2023) को मनाया जायेगा.

नाम गणेश चतुर्थी
अन्य नाम चविथी, चौथी, गणेशोत्सव, गणेश पूजा
आरम्भ भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष, चतुर्थी तिथि
समाप्त शुरुआत के 11 दिन बाद
तिथि भाद्रपद, शुक्ल, चतुर्थी
उद्देश्य धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन
अनुयायी हिन्दू, भारतीय
आवृत्ति सालाना
2023 तारीख 19 सितंबर (मंगलवार)

गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?

हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य भगवान गणेश को माना जाता है. इन्हें विघ्गहर्ता इसलिए ही कहा जाता है, क्योंकि इनके नाम मात्र स्मरण से सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाते है. गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए लोग गणेश जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है.

करीब-करीब हर भारतीय घर में गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाती है. दोनों समय भगवान की आरती की जाती है. भगवान के भोग के लिए प्रतिदिन नए-नए पकवान बनाए जाते है. हिंदू धर्म में गणेश जी की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि जो लोग पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी पूजा करते हैं, उन्हें खुशी, ज्ञान, धन और लंबी आयु प्राप्त होगी. और उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त कब है?

बड़े बुजुर्गों द्वारा हमेशा से यही बताया जाता है की मूर्ति हमेशा घर को शुभ मुहूर्त में ही लाना चाहिए. यदि आप भी अपने घर को गणेश जी की मूर्ति लाना चाहते हैं 19 September 2023 को तब नीचे के मुहूर्त में ही लाएं.

लाभ समय : दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से 3 बजकर 52 मिनट तक
सुभ समय : सुबह 7 बजकर 58 से 9 बजकर 30 तक

वहीं शाम का मुहूर्त है : – 06:54 PM to 08:20 PM

गणेश जी की मूर्ति स्थापना आप 19 September 2023 को इस समय में कर सकते हैं:

अमृत समय : 03:53 PM to 05:17 PM
शुभ समय : 09:32 AM to 11:06 AM

गणेश पूजा को हमेशा ज्यादा अच्छा समझा जाता है अगर आप उसे दोहपर के समय में करें:

11:25 AM से लेकर 01:54 PM के बीच में.

इस मुहूर्त को सबसे बढ़िया माना गया है गणेश जी की पूजा करने के लिए.

गणेश चतुर्थी के मुख्य मंत्र क्या हैं?

गणेश चतुर्थी में इस्तमाल किये जाने वाले मन्त्रों में से जो सबसे मुख्य है वो है,

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ .
निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा …

गणेश चतुर्थी का महत्व

भारतीय देवी-देवताओं के अवतार को लेकर कहानियां बेहद ही रोचक और शिक्षाप्रद होती है. ठीक उसी प्रकार भगवान श्री गणेश के जन्म की कहानी भी बेहद ही रोचक है. चलिए आज उसी के विषय में विस्तार में जानते हैं.

एक पौराणिक कथा में उल्लेख मिलता है कि, भगवान शिव ने गणेश का सिर अपने त्रिशूल से अलग कर दिया था और फिर उसकी जगह हाथी का सिर लगाया गया था. क्या आप जानते कि हाथी का ही सिर क्यों लगाया गया.

मनुष्य और हाथी के शरीर में काफी हद तक समानता हैं. हाथियों में बुद्धिमान प्रजातियों के वो सभी गुण पायें जाते हैं. जो किसी प्राइमेट में होती हैं. प्राइमेट स्‍तनपायी प्राणियों में सर्वोच्‍च श्रेणी के जीव होतें हैं. संरचना और जटिलता के आधार पर हाथी और मनुष्य के दिमाग में भी काफी समानता हैं.

यही नहीं एक हाथी के कोर्टेक्स में उतने ही न्यूरोंस होते हैं जितने कि एक सामान्य मनुष्य के मस्तिष्ट में पाए जाते हैं, हाथियों में कई ऐसे व्यवहार भी पाए जाते हैं जो आम मनुष्य में भी पाए जाते हैं. जैसे दुखी होना, सीखना या किसी की मदद करना. हाथियों के दिमाग में मौजूद हिप्पोकैम्पस उतना ही विकसित हैं जितना एक मनुष्य का होता हैं. ये हिस्सा भावनाओं से संबंधित होता हैं. हाथी को भी एक साधारण मनुष्य की भांति मानसिक बीमारी हो सकती हैं.

एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थी. तब उन्होंने द्वार पर पहरेदारी करने के लिए अपने शरीर के मैल से एक पुतला बनाया. और उसमें प्राण डालकर एक सुन्दर बालक का रूप दे दिया. माता पार्वती, बालक को कहती हैं कि मै स्नान करने जा रही हु, तुम द्वार पर खड़े रहना और बिना मेरी आज्ञा के किसी को भी द्वार के अंदर मत आने देना. यह कहकर माता पार्वती, उस बालक को द्वार पर खड़ा करके स्नान करने चली जाती हैं.

वह बालक द्वार पर पहरेदारी कर रहा होता है कि तभी वहां पर भगवान् शंकर जी आ जाते हैं और अंदर जैसे ही अंदर जाने वाले होते तो वह बालक उनको वहीँ रोक देता है. भगवान शंकर जी उस बालक को उनके रास्ते से हटने के लिए कहते हैं लेकिन वह बालक माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए, भगवान शंकर को अंदर प्रवेश करने से रोकता है. जिसके कारण भगवान शंकर क्रोधित हो जाते हैं और क्रोध में अपनी त्रिशूल निकल कर उस बालक की गर्दन को धड़ से अलग कर देते हैं.

बालक की दर्द भरी आवाज को सुनकर जब माता पार्वती जब बहार आती है तो वो उस बालक के कटे सिर को देखकर बहुत दुखी हो जाती हैं. भगवान् शंकर को बताती है कि वो उनके द्वारा बनाया गया बालक था जो उनकी आज्ञा का पालन कर रहा था. और माता पार्वती उनसे अपने पुत्र को पुन: जीवित करने के लिए बोलती है.

फिर भगवान शंकर अपने सेवकों को आदेश देते हैं कि वो धरतीलोक पर जाये और जिस बच्चे की माँ अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो, उस बच्चे का सिर काटकर ले आये. सेवक जाते हैं, तो उनको एक हाथी का बच्चा दिखाई देता है. जिसकी माँ उसकी तरफ पीठ करके सो रही होती है. सेवक उस हाथी के बच्चे का सिर काटकर ले आते है. फिर भगवान् शंकर जी, उस हाथी के सिर को उस बालक के सिर स्थान पर लगाकर उसे पुनः जीवित कर देते हैं.

गणेश चतुर्थी व्रत कथा

बहुत पुराने समय की बात है, किसी गांव में एक दृष्टिहीन गरीब बुढ़िया अपने एक बेटे और बहू के साथ रहती थी. बुढ़िया नियमित रूप से गणेश का पूजन करती थी. उसकी उपार भक्ति से खुश होकर एक दिन गणेश जी ने उसे दर्शन दिए. और बुढ़िया से बोले-

बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले.’ मैं तेरी मनोकामना पूरी करूंगा.

बुढ़िया बोलती है मुझसे तो मांगना नहीं आता. कैसे और क्या मांगू?

गणेशजी बोलते है कि अपने बेटे-बहू से पूछकर मांग ले कुछ.

फिर बुढ़िया अपने बेटे से पूछने चली जाती है. और बेटे को सारी बात बताकर पूछती है की पुत्र क्या मांगू मैं. पुत्र कहता है कि मां तू धन मांग ले. उसके बाद बहू से पूछती तो बहू नाती मांगने के लिए कहती है.

फिर बुढ़िया ने सोचा कि ये सब तो अपने-अपने मतलब की चीज़े मांगने के लिए कह रहे हैं. फिर वो अपनी पड़ोसिनों से पूछने चली जाती है, तो पड़ोसन कहती है, बुढ़िया, तू तो थोड़े दिन और जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे. तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी जिंदगी आराम से कट जाए.

बहुत सोच विचार करने के बाद बुढ़िया गणेश जी से बोली- यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें.’

यह सुनकर गणेशजी बोले- बुढ़िया मां! तुमने तो सब कुछ मांग लिया. फिर भी जो तूने मांगा है वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा. और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो जाते है. बुढ़िया मां ने जो- जो मांगा, उनको मिल गया.

हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना.

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

गणेश चतुर्थी  के प्रथम दिन सबसे पहले स्नान आदि कार्य कर निवृत्त हो जाए. जिसके बाद लाल वस्त्र धारण करें. पूजन के दौरान श्री गणेश जी का मुख उत्तर या पूर्व की दिशा की ओर रखें.

जिसके बाद पंचामृत से गणेश जी का अभिषेक करें. जिसके बाद गणेश जी पर रोली और कलावा चढ़ाए.

रिद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी और पान चढ़ाए. जिसके बाद फल, पीला कनेर और दूब अर्पित करें. गणेश जी के 12 नामों का और उनके मंत्रों का उच्चारण कर आरती कर पूजा संपन्न करें.

गणेश चतुर्थी के कितने मुख्य अनुष्ठान होते हैं और क्या हैं, साथ में इन्हें कैसे किया जाता है?

गणेश चतुर्थी के मुख्य रूप से चार अनुष्ठान होते हैं.

प्राणप्रतिष्ठा – इस प्रक्रिया में भगवान (deity) को मूर्ति में स्थापित किया जाता है.

षडोपचार – इस प्रक्रिया में 16 forms (सोलह रूप) में गणेश जी को श्रधांजलि अर्पित किया जाता है.

उत्तरपूजा – यह एक ऐसी पूजा है जिसके करने के उपरांत मूर्ति को को कहीं भी ले जाया जा सकता है एक बार भगवान को स्थापित कर दिया जाये उसमें तब.

गणपति विसर्जन – इस प्रक्रिया में मूर्ति को नदी या किसी पानी वाले स्थान में विसर्जित किया जाता है.

गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है?

भारत त्योहारों का देश है. प्रतिदिन यहां कोई ना व्रत, पर्व या त्योहार होता है. दीपाेत्सव की तरह ही गणेश चतुर्थी भी भारतीयों का प्रमुख त्यौहार है. भारतीय हिन्दू महीनें में प्रत्येक चंद्र माह में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं. पूर्णिमासी या कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा को संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है. वहीं शुक्ल पक्ष के दौरान अमावस्या के बाद एक विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है.

किस महापुरुष ने गणेश चतुर्थी को एक सार्वजनिक उत्सव घोषित किया और इसके पीछे का कारण क्या है?

लोकमान्य तिलक जी ने ही सर्वप्रथम इस पर्व को एक निजी उत्सव से बदलकर एक सार्वजनिक उत्सव घोषित किया था. इसके पीछे उनकी मंशा थी कि, वह चाहते थे की ब्राह्मण और दूसरे जाति के लोगों के बीच का अंतर समाप्त हो. इससे उनके भीतर एकता की भावना जागृत हो.

किस राजा ने गणेश चतुर्थी की एक सार्वजनिक समारोह घोषित किया था?

मराठा के महाराजा Shivaji ने गणेश चतुर्थी को एक सार्वजनिक समारोह घोषित किया था.

किनके द्वारा गणेश जी की प्रतिमा को सबसे पहले सार्वजनिक स्थान में स्थापित किया गया था?

भाऊसाहेब लक्ष्मण जवाले जी ने ही सबसे पहले गणेश जी की प्रतिमा को सबसे पहले सार्वजनिक स्थान में स्थापित किया था.

भारत के किस राज्य में सबसे बढ़िया ढंग से गणेश चतुर्थी को मनाया जाता है?

भारत के महाराष्ट्र राज्य में सबसे बढ़िया ढंग से गेश चतुर्थी को मनाया जाता है.

गणेश चतुर्थी भारत को छोड़कर इसे और कहाँ मनाया जाता है?

गणेश चतुर्थी का त्यौहार भारत को छोड़कर Thailand, Cambodia, Indonesia, Afghanistan, Nepal और China में भी मनाया जाता है.

आज आपने क्या सीखा

दोस्तों हमें पूरी आशा है कि, हमारा यह लेख गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है पसंद आई होगी. यदि आपके मन में इस लेख को लेकर कोई भी शंका हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं. हमें उत्तर देने में बेहद ही खुशी होगी.

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KAMLESH VERMA

बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है.

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