गणेश भगवान के मुख की जगह हाथी का ही चेहरा क्यों लगाया गया इसके पीछे का रहस्य और कहानी
How Ganesha got his Elephant Head In Hindi
युगों युगों से भारतीय धर्म ग्रंथों का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है. भारत युगों-युगों से आविष्कारों भी भूमि रही हैं, जिनका उल्लेख हमारे धर्म ग्रंथों में हजारों वर्ष पूर्व किया जा चुका है और बाद में वैज्ञानिकों ने उन आविष्कारों पर अपना दावा करके अपना श्रेय लिया. ब्रह्मास्त्र जैसे विनाशकारी हथियारों का उल्लेख महाभारत महाकाव्य में पहले ही बताया जा चुका है. जिसके बाद में वैज्ञानिक रोबोट ऑपर हाइमन भगवत गीता से प्रेरित होकर ब्रह्मास्त्र का आविष्कार किया. तब तक यहां हथियार सिर्फ एक कल्पना मात्र थी. यह बात हिंदू धर्म ग्रंथों में आपकों स्पष्ट रूप से पढ़ने को मिल जाएगी.
हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हमें उल्लेख मिलता है कि गांधारी ने अपने एक गर्भ से 100 कौरवों को जन्म दिया था. जिस प्रक्रिया को वर्तमान समय में हम क्लोंनिंग कहते हैं. ऐसे कई साक्षात उदाहरण देखने को मिलते हैं जो इस बात को साबित करते हैं कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में बताई गई बातें महज सिर्फ कल्पना नहीं है बल्कि आज के विज्ञान का एक मजबूत प्रामाणिक आधार है.
एक पौराणिक कथा में उल्लेख मिलता है कि, भगवान शिव ने गणेश का सिर अपने त्रिशूल से अलग कर दिया था और फिर उसकी जगह हाथी का सिर लगाया गया था. क्या आप जानते कि हाथी का ही सिर क्यों लगाया गया.
How Ganesha Got his Elephant Head In Hindi
मनुष्य और हाथी के शरीर में काफी हद तक समानता हैं. हाथियों में बुद्धिमान प्रजातियों के वो सभी गुण पायें जाते हैं. जो किसी प्राइमेट में होती हैं. प्राइमेट स्तनपायी प्राणियों में सर्वोच्च श्रेणी के जीव होतें हैं. संरचना और जटिलता के आधार पर हाथी और मनुष्य के दिमाग में भी काफी समानता हैं.
यही नहीं एक हाथी के कोर्टेक्स में उतने ही न्यूरोंस होते हैं जितने कि एक सामान्य मनुष्य के मस्तिष्ट में पाए जाते हैं, हाथियों में कई ऐसे व्यवहार भी पाए जाते हैं जो आम मनुष्य में भी पाए जाते हैं. जैसे दुखी होना, सीखना या किसी की मदद करना. हाथियों के दिमाग में मौजूद हिप्पोकैम्पस उतना ही विकसित हैं जितना एक मनुष्य का होता हैं. ये हिस्सा भावनाओं से संबंधित होता हैं. हाथी को भी एक साधारण मनुष्य की भांति मानसिक बीमारी हो सकती हैं.
Story of elephant face of Lord Ganesha in hindi
हाथियों को पोस्ट ट्राउमैटिक डिस्डोर भी हो सकता हैं जो कि इंसानों में होना एक आम बात हैं. यदि एक इंसानी जीव के मष्तिष्क का निचला हिस्सा देखे तो हमारे दिमाग में गणेश जी का प्रतिबिम्ब भी दिखाई देता हैं. परन्तु इस बात का वैज्ञानिक आधार नहीं हैं. इस आस्था की नजर से देखा जाएँ तो मनुष्य के मस्तिष्क में गणेश का आकर दिखाई देता हैं.
शल्य चिकित्सा अर्थात सर्जरी की शुरुआत भारत में ही हुई थी. भारत के प्राचीन चिकित्सक सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता हैं. परन्तु आज हमारा दुर्भाग्य हैं कि भारत के लोग ही उन्हें नहीं जानते हैं. पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक हमेशा से ही हमारी भारतीय संशोधक और प्राचीन ग्रंथों से प्रेरित होकर नए आविष्कार किये और उनका श्रेय लेते आये हैं.
आज तक जानवरों पर किए गए शोध से यह पता चला हैं कि अगर किसी जानवर का सिर उनके शरीर से अलग होता हैं तो वह कुछ सेकंड तक ही जीवित रह सकता हैं. हेड ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया आज तक किसी मनुष्य पर अभी तक आजमाई नहीं गई हैं. ट्यूरिन उन्नत न्यूरोमोडुलेशन समूह (turin advanced neuromodulation group) में वर्ष 2013 में हेड ट्रांसप्लांट की घोषणा कर दी थी और वे इस पर कार्य कर रहे हैं.परन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहियें कि हेड ट्रांसप्लांट और न्यूरो सर्जरी का वर्णन सबसे पहले हिन्दू धर्म ग्रंथों में ही उल्लेख किया गया हैं.
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