उंचकागांव प्रखंड के नेटवावीर बाबा का इतिहास, गर्भवती ने खा लिया था सर्प का जूठा खीर । History of Netwavir Baba of Gopalganj Unchkagaon Block
गोपालगंज जिले के उंचकागांव प्रखंड के मथौली खास के समीप एक पेड़ बेहद ही प्रसिद्ध है. ग्रामीण जन वृक्ष को नेटवावीर बाबा के नाम से संबोधित करते है. वृक्ष ग्रामीणों की अप्रत्यक्ष यानी अदृश्य रूप से रक्षा करते है. धार्मिक महत्वता रखने वाले पकड़ी के पेड़ की नित्य लोग पूजा अर्चना करते है.
किवदंति है कि जिस स्थान पर वृक्ष है सालों पहले यहां पर नेटवा (दलित जाति, जिसे बिहार में नेटवा नाम से संबोधित किया जाता है) जाति का एक जत्था उक्त स्थान पर ठहरा था. जत्थे में मौजूद लोग समीप मौजूद चवरा में मेहनत मजदूरी करते थे और रात्रि के दौरान अपने ठिकाने पर आकर विश्राम करते थे. चलिए अब आपकों कहानी से रुबरु कराते हैं.
उंचकागांव प्रखंड के नेटवावीर बाबा का इतिहास, गर्भवती ने खा लिया था सर्प का जूठा खीर । History of Netwavir Baba of Gopalganj Unchkagaon Block
नेटवावीर बाबा का स्थान मथौली गांव और बरमाईन गांव पहुंचमार्ग के बीचो बीच स्थित है. ग्रामीणों के अनुसार बहुत समय पूर्व नेटवा जाति के लोगों का जत्था बिहार के गोपालगंज उंचकागांव प्रखंड के मथौली खास गांव के चवरा में पहुंचा. करीब एक दर्जन लोगों के जत्थे में एक गर्भवती महिला भी थी, सब कुछ ठीक ही चल रहा था, लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था. एक दिन गर्भवती महिला को मीठा व्यंजन खाने की इच्छा हुई. पति की आज्ञा से महिला ने खीर बनाई और पति के घर लौटने का इंतजार करने लगी. दोनों ने खुशी-खुशी खीर खाया और सो गए. बची हुई खीर को महिला ने एक पेड़ पर रख दिया.
अब हुआ यूं कि रात को खीर के बर्तन में एक विषैला सर्प घुस गया और उसने खीर को जूठा कर दिया. इस बात से महिला बिल्कुल अंजान थी, कि खीर में विष मिला हुआ है. सुबह उठकर महिला ने दोबारा खीर खाया, विष होने के कारण महिला और गर्भ में पल रहे शिशु की मौत हो गई.
किसी को कुछ समझ नहीं आया कि महिला की मौत कैसे हुई, समय बीतता गया, महिला की मौत के बाद नेटवा जाति के लोग उस स्थान को छोड़कर चले गए. समय के साथ उक्त रास्ते पर भिन्न-भिन्न प्रकार की परेशानियां आने लगी. कई लोगों को उस स्थान पर विशाल सर्प दिखाई देने लगा.
लोग इस बात को समझ ही नहीं पा रहे थे कि, रास्ते पर इतनी अड़चने क्यों आ रही है. एक दिन गांव के किसी व्यक्ति को स्वप्न में नेटवा महिला की मौत होने की पूरी सच्चाई बताई, जिसके बाद उक्त वृक्ष के पास ग्रामीणों ने पूजन करना शुरू कर दिया. पूजा शुरू होने के बाद से नेटवावीर बाबा के नाम से जाना जाने लगे.
नोट : न्यूजमग.इन का उद्देश्य तकनीकी युग की युवा पीढ़ी को देहात परिवेश की रोचक कहानियां और किस्सों को उन तक स्पष्ट भाषा में पहुंचाना है. कारण है कि, रोजगार के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश के लाखों युवक शहरों में जाकर बस गए है, लेकिन गांव के मिट्टी की खूशबू उनके जहन में आज भी है, उनके बच्चे अब शहरों की चकाचौंध में डूब चुके है, यदि हम देहात के पुराने किस्सों को भुल जाएंगे तो पूर्वांचल की माटी के साथ देशद्रोह होगा. हमारा उद्देश्य किसी धर्म, भाषा, जाति या व्यक्ति विशेष की भावनाओं को आहत करना नहीं है. यदि आपके गांव में या कस्बे में भी कोई देवीय स्थान, किवदंति या किस्से प्रसिद्ध है तो आप हमारे वाट्सएप नंबर 7000019078 पर भेज सकते है. कंटेट की गुणवत्ता के अनुसार उसे प्रमुखता से पब्लिश किया जाएगा.
लेटेस्ट नागदा न्यूज़, के लिए न्यूज मग एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।
इसे भी पढ़े :
- हरिराम बाबा मैरवा धाम की अनसुनी कहानी, बिनव्याही महिला के पुत्र थे श्री हरिराम
- हरिराम बाबा मैरवा धाम की कहानी । Mairwa Dham Siwan
- गोपालगंज के उंचकागांव ब्लाॅक में है जोगबीर बाबा, बेहद ही रोचक है बाबा की कहानी
- थावे मंदिर का इतिहास । Thawe Mandir Bihar । थावे मंदिर गोपालगंज बिहार
- भूत को भगाने के लिए मशहूर गोपालगंज का लछवार धाम की कहानी
- रामकोला धर्मसमधा दुर्गा मंदिर की पूरी कहानी, जानें क्या है इतिहास
- हथुआ राज का इतिहास, अपशगुनी गिद्ध के कारण राजपरिवार को छाेड़ना पड़ा था महल
- बिहार का हरिराम बाबा मैरवा धाम, जहां पर भूतों को मिलते हैं किराए के घर
- उंचकागांव प्रखंड के मथौली खास का बनकट्टा ब्रह्म स्थान, शेर का मांस खाने के बाद बाबा ने छोड़ दिया था देह