
ऋषि पंचमी 2023 में कब हैं । Rishi Panchami 2023 Mein Kab Hai : मासिक धर्म के दौरान महिलाओं से अनजाने में हुए भूल की क्षमा याचना के लिए हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है. प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है. इस व्रत से एक दिन पहले तीज और गणेश चतुर्थी का व्रत भी होता है. ऋषि पंचमी व्रत 20 सितंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा.

ऋषि पंचमी 2023 में कब हैं । Rishi Panchami 2023 Mein Kab Hai
Table of Contents
- ऋषि पंचमी 2023
- बुधवार, 20 सितंबर 2023
- ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:37 बजे तक
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 19 सितंबर 2023 अपराह्न 01:22 बजे
- पंचमी तिथि समाप्त: 20 सितंबर 2022 दोपहर 04:49 बजे
ऋषि पंचमी 2023 कब मनाई जाती हैं और मुहूर्त क्या है? (Rishi Panchami Vrat 2023 Date, time and Muhurat)
भाद्र शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी कहते हैं. व्रत को स्त्री मनुष्य जीवन में किए गए पापों की निवृति के लिए करते हैं. ऋषि पंचमी का व्रत रखने वाला किसी नदी या जलाशय में स्नान कर आंगन बेदी बनावें.
जिसके बाद गोबर से लीपकर मिट्टी या तांबे जल भरा कलश रखकर अष्टदल कमल बनावें, और अरुंधती सहित सप्तऋषियों का पूजन कर आचार्य को दक्षिणा दे तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं.
ऋषि पंचमी 2023 में कब हैं । Rishi Panchami 2023 Mein Kab Hai
यह व्रत भाद्र पद की शुक्ल पंचमी को किया जाता हैं. पश्चिमी कलैंडर के अनुसार यह दिन अगस्त अथवा सितम्बर माह में पड़ता हैं, इससे पूर्व गणेश चतुर्थी तथा हरतालिका व्रत मनाया जाता हैं. इस साल 2023 में ऋषि पंचमी व्रत 20 सितम्बर 2023, बुधवार को मनाया जाएगा.
चमी तिथि को सुबह जल्दी उठकर इस व्रत को विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति का कल्याण होता है. इस दिन सप्त ऋषियों की पांरपरिक पूजा का विधान है. 7 ऋषियों के नाम हैं – ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भारद्वाज, ऋषि विश्वमित्र, ऋषि गौतम, ऋषि जमदग्नि और ऋषि वशिष्ठ। इन्होंने समाज कल्याण के लिए काम किया था. इसलिए उनके सम्मान में यह व्रत और पूजन करते हैं. हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कोई भी व्यक्ति खासकर महिलाएं इस दिन सप्त ऋषियों का पूजन करते है और सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं. प्राचीन किवंदति है कि, महिलाओं को रजस्वला दोष लगता है. इसलिए कहते हैं कि ऋषि पंचमी व्रत करने से मासिक धर्म के दौरान भोजन को दूषित किए गए पाप से मुक्ति मिलती है.
ऋषि पंचमी उद्यापन विधि (Rishi Panchami Vrat Udyapan Vidhi)
- विधि पूर्वक पूजा कर इस दिन ब्राहमण भोज करवाया जाता हैं.
- सात ब्रह्मणों को सप्त ऋषि का रूप मान कर उन्हें दान दिया जाता हैं.
- अपनी श्रद्धानुसार दान का विधान हैं.
इस व्रत से जुड़ा एक प्रसंग महाभारत में देखने को मिलता हैं, जब उतरा के युद्ध के समय उसके गर्भ में पल रहे नवजात की मृत्यु हो गई. तब इन्होने ज्ञानी पंडितों का परामर्श लिया,
जिन्होंने उसे ऋषि पंचमी का व्रत कर विधि विधान के अनुसार पूजा करने को कहा. उसने ऐसा ही किया जिसके परिणामस्वरूप राजा परीक्षित का जन्म हुआ, जो आगे चलकर हस्तिनापुर के उत्तराधिकारी बने.
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यह व्रत जीवन की दुर्गति को खत्म का जीव मात्र के सभी पापों को धो देता हैं. ऋषि पंचमी का व्रत रखने वाली स्त्री को सम्पूर्ण दोषों से मुक्ति के साथ ही सन्तान प्राप्ति व सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं.
इस दिन व्रत रखने वाली स्त्री विधि पूर्वक पूजा कर ऋषि पंचमी की कथा सुने तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा सात ब्राह्मणों को श्रद्धानुसार दान देकर विदा करे.