जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है और कब मनाई जाती है? Janmashtami Kyu Manayi Jati Hai Hindi
क्या आप जानते हैं जन्माष्टमी 2023 क्यों मनाई जाती हैं ? यदि नहीं पता तो आज का हमारा लेख आपके लिए बेहद ही महत्वपूर्ण होने वाला है. पूरे भारत में जन्माष्टमी पर्व का उत्साह हर एक प्रांत में देखा जा सकता है. बाल गोपाल के जन्मोत्सव के अवसर पर भारत के प्रत्येक कृष्ण मंदिरों पर आकृर्षक साज सज्जा की जाती है. ब्राह्मण जाति के लोगों के घरों में इस दिन व्रत किया जाता है. पूरा दिन गैस चूल्हा नहीं जलाया जाता है. वहीं श्रीकृष्ण के जन्म के बाद व्रत तोड़ा जाता है. देश के भिन्न-भिन्न राज्यों में अंनूठी और प्राचीन परंपराओं के साथ कान्हाजी का जन्मोत्सव मनाकर इसकी बधाई प्रेषित की जाती है.
गोविंदा बाल गोपाल, कान्हा ,गोपाल, ठाकुर जी, मोरे श्रीकृष्ण, बाल मुकुंद जैसे करीब 108 नामों से पुकारे जाने वाले भगवान युगों-युगों से हर कृष्ण भक्त के हृदय में विराजमान हैं. श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर एक आम मानव की तरह जन्म लेकर पृथ्वी को दुष्टों के प्रकोप से बचाया था. इसलिए पौराणिक काल से जन्माष्टमी के पर्व को पूरे उत्साह के साथ सनातन धर्म में मनाया जाता है.
दोस्तों हम सभी को जन्माष्टमी कब मनाई जाती है? जन्माष्टमी का महत्व? जन्माष्टमी की कहानी? तथा जन्माष्टमी को मनाने के कारणों के बारे में विस्तृत जानकारी होना चाहिए. यदि आप बाल गोपाल के सच्चे भक्त हैं, तो यह पोस्ट आपकों जन्माष्टमी से संबंधित सारी जानकारी उपलब्ध कराने वाला है. तो दोस्तों आइए आज के इस लेख का शुरू करते हैं और जानते हैं की जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है. तो फिर देर किस बात कि, चलिए शुरू करते हैं.
जन्माष्टमी क्या है – What is Janmastami 2023 in Hindi
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जन्माष्टमी पर्व यादव समुदाय के आराध्य देव श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव होता है. प्रत्येक हिंदू के लिए यह एक विशेष दिन होता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन कृष्ण भगवान को भक्ति भाव से प्रसन्न करने पर संतान, सम्रद्धि एवं अधिक उम्र की प्राप्ति होती है. सभी हिंदुओं द्वारा जन्माष्टमी पर्व को श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. जन्माष्टमी पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए सभी हिंदुओं द्वारा उपवास रखा जाता है. श्रीकृष्ण मंदिरों में आकृर्षक साज सज्जा की जाती है. कृष्ण भक्तों द्वारा मंदिरों में भजन कीर्तन और नाट्य का मंचन किया जाता है.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2023 कब मनाया जाता है?
कृष्ण भगवान के जन्म दिन से हिंदू पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार भद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के आंठवे दिन हिंदुओं द्वारा प्रति वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस साल वर्ष 2023 18 अगस्त गुरुवार को कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जायेगा और यह 19 अगस्त शुक्रवार को ख़त्म होगा.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी आरम्भ | Thursday, 18 August 2023 |
श्री कृष्ण जन्माष्टमी समाप्त | Friday, 19 August 2023 |
जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है
हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं और जनश्रुतियों के अनुसार सृष्टि के पालनकर्ता कहे जाने वाले भगवान श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार प्रभु श्री कृष्ण हैं. और कृष्णा जी जन्मोत्सव के इस शुभ अवसर पर इस दिन को जन्माष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाता है.
भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात करीब 12 बजे यूपी के मथुरा में कृष्ण भगवान ने पृथ्वी पर अपना अवतार लिया. उस समय मथुरा के राजा अत्याचारी कंस के प्रहार से प्रजा काफी दुखी थी! इसलिये दिन: दुखियों के रक्षक भगवान श्री कृष्ण स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे तथा उन्होंने कंस का वध किया. बताते चले कि कंस श्रीकृष्ण के सगे मामा थे.
जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?
जन्माष्टमी की तिथि पता लगते ही भारतीय बाजारों में इसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है. बाजारों में लोग जन्मोत्सव में उपयोग होने वाले साज श्रृंगार की वस्तुएं खरीदना शुरू कर देते है. श्री कृष्ण भक्तों द्वारा जन्माष्टमी पर्व पर उपवास रखा जाता है, मंदिरों को सजाया जाता है, लड्डू-गोपाल की मूर्ति को बाल स्वरूप मानकर पालने में झूला झूलाया जाता है, भजन-कीर्तन किये जाते हैं. इसका साथ ही अनेक स्थानों पर युवाओं में इस दिन दही- हंडी तोड़ने का कार्यक्रम आयोजित करते हैं.
वहीं दूसरी ओर भगवान कृष्ण की नगरी उत्तर प्रदेश के मथुरा में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धा भक्ति भाव से भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन पूरी मथुरा नगरी में भगवान कृष्ण के पर्व की रौनक देखते ही बनती है. मंदिरों को फूल-मालाओं से सुज्जित किया जाता है.
दही हांडी महोत्सव (Janmashtami Dahi Handi Mahotsav)
हिंदू धर्म के सभी अनुयायी यह बात से तो परिचित होंगे कि, श्रीकृष्ण बाल अवस्थ्या में काफी नटखट थे. श्रीकृष्ण को माखन चोरी करते हुए उनकी माता हमेशा पकड़ लेती थी.
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भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का कृष्ण भक्तों द्वारा नाट्य रूप में मंदिरों में प्रस्तुत किया जाता है. मुंबई में दही हांडी का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. माखन मिश्री वाली हांडी को कई सौ फीट उपर लटकाया जाता है. जिसे गोविंदाओं की टोली द्वारा घोड़ी बनाकर फोड़ा जाता है. मुंबई की दही हाड़ी कार्यक्रम पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. दिन ब दिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. दही-हांडी या मटकी फोड़ने की रस्म भक्तों के दिलों में भगवान श्रीकृष्ण की यादों को ताजा कर देती हैं.
जन्माष्टमी की कहानी
भगवान श्री कृष्ण ने धरती लोक पर देवकी एवं वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में कारागर में जन्म लिया. जन्म के समय एक आकाशवाणी हुई कि देवकी का यह दुष्ट पुत्र कंस का वध करेगा. युवा अवस्था में पहुंचकर श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध करके प्रजा का जीवन बचाया.
कंस के अत्याचार से पूरी मथुरा नगरी में हाहाकार मचा हुआ था. निर्दोष लोगों को सजा दी जा रही थी. यहां तक कि कृष्ण के मामा कंस ने अपनी बहन देवकी तथा उनके पति वासुदेव को बेवजह काल-कोठरी (जेल) में बंद कर रखा था.
इतना ही नहीं कंस अपने अत्याचार से देवकी के सात संतानों को पहले ही मार चुका था तथा देवकी के गर्भ से भगवान कृष्ण ने फिर इस पृथ्वी में आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया.
कृष्ण के जन्मोत्सव पर आकाश में मूसलाधार वर्षा होने लगी चारों तरफ घना अंधेरा छा गया. कृष्ण भगवान को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए वासुदेव सिर पर टोकरी में कृष्ण भगवान को रखते हुए. यमुना की उफनती नदी को पार कर अपने मित्र नंद गोप के यहां पहुंच गए.
जहां पर कृष्ण भगवान को यशोदा मां के पास सुला कर आ गए. जिसके बाद देवकी के पुत्र कृष्ण भगवान का यशोदा ने पालन-पोषण किया. इसलिए कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की दो माताएं थी देवकी एवं यशोदा.
बचपन से ही कृष्ण भगवान ने कंस द्वारा भेजे गए दुष्टों का संहार किया! तथा कंस द्वारा प्रजा को कष्ट देने के सभी प्रयासों को विफल कर दिय. फिर अंत में एक दिन कंस का वध करके उसके अत्याचारों से प्रजा को मुक्ति दिलाई.
जन्माष्टमी का महत्व
जिस प्रकार से भारतवर्ष में हिंदुओं के प्रमुख त्योहार होली, दीपावली और रक्षाबंधन को उत्साह के साथ के मनाया जाता है. ठीक उसी प्रकार कृष्ण की जन्माष्टमी हर्षों उल्लास के साथ मनाई जाती है.
देश के प्रत्येक राज्य में भिन्न-भिन्न रस्मों रिवाजों से जन्माष्टमी पर्व पर पूजन कर श्री कृष्ण को प्रसन्न किया जाता है. लेकिन एक खास बात जो इस पर्व में आस्था के रूप में देखी जाती है की इस दिन आराध्य के जन्म में सभी माताएं बहने बच्चे बूढ़े व्रत/उपवास करते हैं.
तथा शाम को पूजा के बाद व्रत को तोड़ते हैं! भगवान कृष्ण का युगों युगों से आस्था के केन्द्र के रूप में हिंदुओं द्वारा पूजन जाते हैं. अतः भक्ति एवं सौहार्द के साथ इस महापर्व को साथ में मिलकर सेलिब्रेट किया जाता है।
भगवान् कृष्ण का जन्मस्थान कहाँ पर स्तिथ है?
मथुरा भगवान् कृष्ण का जन्मस्थान है।
जन्माष्टमी पर क्या खाया जाता है ?
अगर आपने व्रत रखा हे तो फल, पानी, साबूदाना खिचड़ी का सेवन करें।
2023 में जन्माष्टमी कब है?
2023 में जन्माष्टमी 18 अगस्त गुरुवार को है।
भगवान श्री कृष्ण का कौन सा जन्मदिन है?
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के 12 बजे हुआ था। इसी दिन को जन्माष्टमी के नाम से विश्वभर में मनाया जाता है।
भगवान कृष्ण का जन्मस्थान कहाँ पर स्तिथ है?
मथुरा भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है।
जन्माष्टमी पर क्या खाया जाता है?
अगर आपने व्रत रखा हे तो फल, पानी, साबूदाना खिचड़ी का सेवन करे।
भगवान कृष्ण के कुल कितने नाम है?
भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम है जैसे बाल गोपाल, कान्हा, मोहन, गोविंदा, केशव, श्याम, वासुदेव, कृष्णा, देवकीनंदन, देवेश और कई अन्य।
आज आपने क्या सीखा
मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.
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English summary
Why is Janmashtami celebrated : According to the mythological beliefs and legends of Hinduism, Lord Shri Krishna is the eighth incarnation of Lord Shri Hari, who is called the maintainer of the universe.On this auspicious occasion of Krishna ji’s birth anniversary, this day is celebrated as Janmashtami festival.