18 साल की उम्र पार करते ही दुर्लभ पर 9 मुकदमे दर्ज हो चुके थे. ऐसा कहा जाता हैं की दुर्लभ को उज्जैन का भाई बनाने में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ था. इसने अपने फेसबुक के अकाउंट के बायो में लिख रखा था की कि वह कुख्यात बदमाश है, हत्यारा और अपराधी है कोई सा भी विवाद हो, कैसा भी विवाद हो तो उससे संपर्क करें.
ऐसे तमाम पोस्ट के जरिए वो और उसका गैंग लोगों को धमकाने का काम करने लगें. लेकिन कहते है न की जुर्म का साथ अधिक दिनों तक नहीं रहता. जैसे ही उज्जैन पुलिस को इन पोस्ट के बारे में 27 अक्टूबर 2018 पता चला वैसे ही दुर्लभ और उसके गैंग के 23 लड़कों को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया. ऐसा पहली बार नहीं हुआ था कि, जब दुर्लभ कश्यप को जेल हुई. जेल आना जाना दुर्लभ का एक पेशा हो गया था.
दुर्लभ कश्यप जब जेल में था, तो उस वक़्त उज्जैन के तत्कालीन एसपी सचिन अतुलकर ने उससे कहा था कि कश्यप तूने कम उम्र में ज्यादा दुश्मनी पाल ली है, तू जेल में जब तक है तब तक ज़िन्दा है बाहर निकलेगा तो कोई न कोई तुझे मार देगा” और बाद में एसपी साहब की भविष्यवाणी बिल्कुल सत्य साबित हुई.
साल 2020 में लॉकडाउन के पूर्व दुर्लभ जमानत पर छूटकर जेल से बाहर आया था, और इंदौर में रहने लगा जब लॉकडाउन खुला तो वो अपनी माँ के पास उज्जैन वापस चला गया.
वो 6 सितम्बर 2020 की रात थी जब
6 सितम्बर 2020 की रात को दुर्लभ की माँ ने अपने बेटे और उसके दोस्तों के लिए दाल बाटी बनाई थी, सबने साथ बैठकर खाना खाया, इसके बाद दुर्लभ अपने चार दोस्तों के साथ चाय और सिगरेट पीने के लिए अमन उर्फ़ भूरा की दूकान पर पहुंचा था.
रात के करीब डेढ़ बजे थे, यहाँ पर दूसरी गैंग के शहनवाज, शादाब, इरफ़ान, राजा, रमीज और उनके कई साथी पहले से मौजूद थे. पुरानी रंजिश के चलते दोनों एक दूसरे को घूरने लगे और शहनवाज से दुर्लभ की कहासुनी हो गयी. शाहनवाज और उसके साथियों ने चाकुओं से हमला कर दिया, दुर्लभ ने शाहनवाज पर गोली चला दी जो उसके कंधे पर लगी जिससे वो घायल हो गया.
इसी के बाद शहनवाज के साथी दुर्लभ और उसके दोस्तों पर टूट पड़े. दुर्लभ के साथ उसके चार दोस्त थे, जबकि शाहनवाज के साथियों की संख्या ज्यादा थी. इन लोगों ने दुर्लभ पर चाकुओं से वार करना शुरू कर दिया और उसके दोस्त अपनी जान बचाकर भाग गए.
दुर्लभ कश्यप के दोस्त अभिषेक शर्मा का कहना था कि शादाब चाक़ू मार रहा था और चाय वाला अमन उर्फ़ भूरा कह रहा था कि “शादाब भाई इसे ख़त्म कर दो जिन्दा मत छोड़ना”.
दुर्लभ को 34 बार चाकुओं से गोदा गया था और मात्र 20 साल की उम्र में उसकी मौत हो गयी.
एक माँ ने कुछ समय पहले अपने जिस बेटे को खाना खिलाया था, थोड़ी ही देर बाद उसी बेटे की लाश की शिनाख्त करने के लिए उसे बुलाया गया था. दुर्लभ कश्यप की मौत के 7 महीने बाद उसकी माँ पदमा ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया. पिता मनोज कश्यप चाहते हैं कि जिस राह पर उनका बेटा गया कोई और युवा अपराध के उस रस्ते को न चुने.
दुर्लभ हत्याकांड के मुख्य आरोपी की भी जेल में मौत हो गयी. वो छत पर चड़ा और वहां से ओंधे मुंह नीचे कूद गया जिससे उसके सिर में गहरी चोट आई, उपचार के लिए उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसकी मौत हो गयी.