धर्म

सुदर्शन चक्र का घमंड किसने तोड़ा था- Sudarshan Chakra ka Ghamand Thoda

सुदर्शन चक्र का घमंड किसने तोड़ा था l Sudarshan Chakra ka Ghamand Toda

दोस्तों हम सभी ने सुदर्शन चक्र की शक्तियों के बारे में बचपन से सुना हैं। यदि नहीं सुना तो इतना तो पता होगा कि, भगवान श्री कृष्ण के एक हाथ में सुदर्शन चक्र था, जिसे एक बार छोड़ने के बाद वह बिना गर्दन काटकर वापस नहीं लौट सकता। आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे की, सुदर्शन चक्र का घमंड किसने तोड़ा था।

दोस्तों, प्राचीन समय की बात है कि, सुदर्शन चक्र को अपनी शक्तिओं का अहंकार हो गया था लेकिन यह अहंकार बहुत अधिक समय तक नहीं टिक पाया।

दोस्तों क्या आप जानते हैं कि सुदर्शन चक्र का घमंड किसने तोड़ा था, यदि नहीं जानते तो इस रोचक आर्टिकल में आपको उस कथा का वर्णन मिल जाएगा जिसमे सुदर्शन चक्र के अहंकार के समाप्त होने की बात कही गयी हैं।

सुदर्शन चक्र का घमंड किसने तोड़ा था l Sudarshan Chakra ka Ghamand Toda

इस  घटनाक्रम के पीछे एक छोटी सी लेकिन बहुत रोचक कथा है तो आइये हमारे साथ जानते हैं क्या है वह कथा –

एक बार द्वारका में जब भगवान कृष्ण की रानी सत्यभामा, गरुड़ तथा सुदर्शन चक्र एक ही महल में उपस्थित थे, तभी सत्यभामा में कृष्ण से कहा कि स्वामी जब आपने राम के रूप में जन्म लिया था तब आपका विवाह सीता से हुआ था, क्या वह मुझसे भी ज्यादा सुंदर थी? यह सुन कर कृष्ण समझ गये कि रानी को सुन्दरता का अहंकार हो गया है। इसके बाद गरुण ने कहा कि स्वामी मुझसे तेज कोई उड़ सकता है क्या? इन प्रश्नों के बीच सुदर्शन चक्र ने भी प्रश्न किया कि क्या मुझसे से ज्यादा कोई शक्तिशाली भी है? मैंने कितने सारे युद्धों में आपको विजय दिलाई है। इन सब प्रश्नों को सुन कर कृष्ण ने निश्चित किया कि इन तीनो के अहंकार को तोड़ना होगा।

जिसके बाद गरुड़ से कहा कि गरुड़ जाओ और श्री हनुमान जी को बुला कर यहां ले लाओ और उन्हें कहना कि द्वारका में राम और सीता उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। फिर उन्होंने सुदर्शन चक्र से कहा कि “तुम द्वार पर जाओ और किसी को महल के अंदर प्रवेश मत करने देना”। इसके बाद उन्होंने सत्यभामा से कहा हम दोनों राम तथा सीता का रूप धारण कर लेते हैं फिर उन्होंने रूप धारण किया और वह सिंहासन पर पुनः आ कर बैठ गये।

गरुण जी श्री हनुमान जी के पास पहुचे और गरुड़ ने हनुमान जी से कहा कि “द्वारका में भगवान राम और माता सीता आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं, आइये चलिए मेरी पीठ पर बैठ कर द्वारका चलते हैं कम समय में पहुँच जाएँगे क्योकि में काफी तेजी से उड़ सकता हूँ।” पर हनुमान ने कहा कि “आप चलो में आता हु”। जैसे कि गरुण द्वारका पहुचे तो उन्होंने देखा कि हनुमान जी पहले से ही द्वारका में उपस्थित है और वह सुदर्शन चक्र को मुह में रख कर महल के अंदर प्रवेश कर रहे हैं।

जब हनुमान भगवान कृष्ण के समीप पहुचे और मुख से सुदर्शन को निकल कर कहा कि “प्रभु माफ़ करना मेने आपके सेवक के साथ ऐसा किया पर यह मुझे आपसे मिलने से रोक रोक रहा था।”

फिर हनुमान ने भगवान कृष्ण से (जो अभी राम के रूप में सिंहासन पर है) एक वाक्य और कहा “प्रभु आप यह किस दासी के समीप बैठे हुए है और माता सीता कहा है।” यह सुन कर सत्यभामा को जो सुन्दरता का अहंकार हुआ था वह नष्ट हो गया।

इस घटना में गरुड़, सुदर्शन तथा सत्यभामा तीनो का अहंकार टूट गया और वह समझ गये कि कभी भी शक्ति तथा रूप का घमंड नही करना चाहिए।

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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