गोगा जी का प्रसिद्ध मंत्र – ॐ नमो जहर वीराय | Gogaji Famous mantra
मध्य प्रदेश, हरियाण, हिमाचल और राजस्थान में बेहद ही प्रसिद्ध देव को पूजा जाता है। इनका नाम गोगा जी है। इनका अनुसरण करने वाले श्रद्धालुओं को इनके मंत्र और आरती का ज्ञान होना बहुत ही जरूरी है। इसलिए हम आपके लिए लाएं है गोगाजी का मंत्र और आरती बेहद ही सरल शब्दों में जिनका प्रयोग आप पूजन के दौरान कर सकते हैं। इस मंत्र का जाप गोगा जी का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने, उनकी दिव्य उपस्थिति और जरूरत के समय सहायता पाने के लिए किया जाता है। यह एक सरल लेकिन शक्तिशाली मंत्र है जो गोगा जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है।
“ॐ नमो जहार वीराय, गोगाजी महाराजाय।”
अर्थ: ॐ साहसी योद्धा गोगाजी महाराज को मेरा प्रणाम।
यह मंत्र गोगा जी को नमस्कार और भक्ति का एक रूप है, उनकी वीरता को पहचानता है और एक पूजनीय देवता के रूप में उनकी स्थिति का सम्मान करता है। यह जीवन के विभिन्न पहलुओं में उनका आशीर्वाद, सुरक्षा और मार्गदर्शन चाहता है। मंत्र की शुरुआत में “ओम” का उपयोग एक सार्वभौमिक ध्वनि का प्रतीक है जो दिव्य ऊर्जा से जुड़ता है। गोगा जी की उपस्थिति का आह्वान करने और उनकी कृपा पाने के लिए मंत्र का जाप किया जाता है।
गोगा जी की आरती | Gogaji Aarti
जय जाहर वीर गोगा महाराज,
गरीब दीन दयाल तेरे द्वार आए आज।
दुःखित को तू करता उद्धार,
जग में कोई तुझसे दोस्त निहार।
आशीष तुम्हारी सब पर बरसाए,
रोगी शीघ्र ठीक हो जाए।
संकट विपदा से मुक्ति पावे,
मन की शांति तुझमें ही भावे।
आरती गोगा महाराज की,
सब रोगों की दूर करती सुनी।
जो भी जाते हैं तेरे द्वार,
उनका संकट तू ही हरता पार।
जय जहार वीर गोगा महाराज,
गरीब दीन दयाल तेरे द्वारका आए आज।
गोगा आरती एक भक्ति भजन है जो अपनी बहादुरी और करुणा के लिए जाने जाने वाले श्रद्धेय योद्धा-संत गोगा जी को समर्पित है। यह लघु गीत भक्ति व्यक्त करता है और गोगा जी से कष्टों को कम करने, खतरों से बचाने और कल्याण लाने का आशीर्वाद मांगता है। आरती के माध्यम से, भक्त गोगा जी की दिव्य उपस्थिति और जरूरतमंद लोगों को सांत्वना और उपचार प्रदान करने की उनकी पौराणिक क्षमता का आह्वान करते हैं।
इसे भी पढ़े :
- Best 30+ रक्षाबंधन त्यौहार के बेहतरीन सन्देश
- रक्षाबंधन के दिन क्या करें और क्या न करें, जानें यहां सब कुछ
- रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन का इतिहास हिंदी में
- सिवान दरौंदा प्रखंड के भीखाबांध ;भैया-बहिनी मंदिर का इतिहास, जानें यहां