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2023 में देवउठानी एकादशी कब है । Dev Uthani Ekadashi 2023 Mein Kab Hai Date

2023 में देवउठानी एकादशी कब है (Dev Uthani Ekadashi 2023 Mein Kab Hai Date) और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है ?

देवउठनी ग्यारस, तुलसी विवाह या प्रबोधनी एकादशी 23 नवंबर, 2023, गुरुवार को आ रही हैं. सनातन धर्म में इस तिथि बेहद ही खास महत्व हैं. देवउठनी ग्यारस के दिन ही भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह के शयन के बाद जागे थे. सनातन धर्म में चार माह तक कोई भी धार्मिक, वैवाहिक व शुभ कार्य नहीं किया जाता हैं. देवउठनी ग्यारस अपने आप में एक अबूझ मुहूर्त है, इस दिन से  सभी मांगलिक और धार्मिक कार्य बिना मुहूर्त देखे प्रारंभ किए जाते हैं. भारतवर्ष में हिंदू रिति रिवाजों के अनुसार तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता हैं.

2023 में देव उठनी एकादशी कब है – Dev Uthani Ekadashi 2023 Mein Kab Hai

2023 mein Dev Uthani Ekadashi Kab Hai- कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (ग्यारस) को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। साल 2023 में देव उठनी एकादशी 23 नवंबर, 2023, गुरुवार की है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद माह की शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु ने दैत्य शंखासुर का वध किया था. भगवान विष्णु और दैत्य शंखासुर के बीच युद्ध सालों तक चला था.  युद्ध खत्म होने के बाद भगवान विष्णु बहुत अधिक थक गए. जिसके बाद तब वे उज्जैन स्थित क्षीरसागर में आकर सो गए. जिसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागे. भगवान के नींद से जागने के बाद देवी-देवताओं द्वारा भगवान विष्णु का पूजन किया गया. जिसके बाद से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी का महत्व बढ़ गया.

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तुलसी विवाह की ऐतिहासिक कथा

इस साल देवउठनी एकादशी 23 नवंबर, 2023, गुरुवार को पड़ रही है.एकादशी के दिन तुलसी विवाह की भी परंपरा है. इस दिन भगवान शालिग्राम के साथ तुलसीजी का विवाह किया जाता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है,  कहा जाता है कि, जालंधर को हराने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा नामक विष्णु भक्त के साथ छल कपट किया था. वृंदा ने विष्णु जी को श्राप देकर पत्थर का रुप दे दिया था, किंतु माता लक्ष्मी के अनुरोध पर वापस सही करके सती हो गई थीं. लक्ष्मी माता की राख से ही तुलसी के पौधे का जन्म हुआ. जिनके साथ शालिग्राम के विवाह का चलन प्रचलित हुआ.

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देवउठनी ग्यारस पूजन विधि (Dev Uthani Gyaras Puja Vidhi)

  • ग्यारस तिथि पर सूर्योदय के पहले ही स्नान करना चाहिए.
  • पूजन करने उपासक को निराहार व्रत रखना चाहिए. खासकर महिलाओं को निर्जला व्रत रखना चाहिए.
  • उपासकों को भगवान लक्ष्मी और गणेश जी की पूजन करना चाहिए.
  • एकादशी के दिन घरों में चावल नहीं बनाना चाहिए. चावल का सेवन निषेध माना जाता हैं.
  • पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि, ग्यारस के दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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देवउठनी ग्यारस तिथि और मुहूर्त समय (Dev Uthani Gyaras Date and Timings in 2023)

हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी, तुलसी विवाह या प्रबोधिनी एकादशी का त्यौहार मनाया जाता हैं. साल 2020 में देवउठनी ग्यारस और तुलसी विवाह 25 नवंबर बुधवार को है.

तारीख (Date) 23 नवंबर 2023
वार (Day) गुरुवार
एकादशी तिथि प्रारम्भ (Ekadashi Started) रात 11 बजकर 03 मिनट पर प्रारम्भ होगी
एकादशी तिथि समाप्त (Ekadashi Ended) 23 नवंबर को शाम 9 बजकर 01 मिनट पर यह एकादशी समाप्त होगी
पारण (व्रत तोड़ने का) समय (Parana Time) 24 नवंबर को सुबह 6 बजकर 51 मिनट से 8 बजकर 58 मिनट तक है।

 

साल 2023 में देव उठानी एकादशी 23 नवंबर 2023 की है, यह एकादशी 22 नवंबर को रात 11 बजकर 03 मिनट पर प्रारम्भ होगी और 23 नवंबर को शाम 9 बजकर 01 मिनट पर यह एकादशी समाप्त होगी।

देवउठनी ग्यारस की आरती (Dev Uthani Gyaras Aarti)

ॐ जय एकादशी माता, जय एकादशी माता
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
पापमोचनी फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला पापमोचनी
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम पापमोचनी, धन देने वाली
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥

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Ravi Raghuwanshi

रविंद्र सिंह रघुंवशी मध्य प्रदेश शासन के जिला स्तरिय अधिमान्य पत्रकार हैं. रविंद्र सिंह राष्ट्रीय अखबार नई दुनिया और पत्रिका में ब्यूरो के पद पर रह चुकें हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय अखबार प्रजातंत्र के नागदा ब्यूरो चीफ है.

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