उंचकागांव प्रखंड के मथौली खास का बनकट्टा ब्रह्म स्थान, शेर का मांस खाने के बाद बाबा ने छोड़ दिया था देह । Bankatta Brahma place in Mathauli Khas of Unchkagaon block, Baba left the body after eating lion’s meat
उंचकागांव. गोपालगंज जिले में स्थित उंचकागांव प्रखंड का मथौली खास के बनकट्टा बरम बाबा की कहानी हर किसी जरूर जानना चाहिए. मथौली खास गांव उंचकागांव थाना में आता है. उंचकागांव ब्लॉक से ही बनकट्टा ब्रह्म बाबा का मंदिर सटा हुआ है. थाना सीमा में आने के कारण थाने पर तैनात पुलिस कर्मियों के लिए बरम स्थान धार्मिक महत्वता रखता है.
मथौली खास ग्राम का शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो बरम बाबा की महिमा से अज्ञान होगा. पौराणिक महत्वता वाले मथौली खास में बनकट्टा ब्रह्म स्थान की विशेषता यह है कि, रात्रि के अंधेरे में बरम बाबा ग्रामीणों की अप्रत्यक्ष रूप से मदद करते है. मथौली खास ग्रामीणों के अनुसार बनकट्टा ब्रह्म स्थान बेहद ही चमत्कारी है, यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.
किवदंति है कि, बाबा एक देव पुरुष थे, जो मथौली खास के मठिया पर रहते थे. ब्रह्म बाबा हमेशा दीन दुखियों की मदद करते है, इसलिए हर कोई उनका सम्मान करते थे, ब्रह्मण कुल के बाबा किसी को दुखी नहीं देख सकते थे, चलिए अब जान लेते हैं बनकट्टा ब्रह्म स्थान की प्राचीन कहानी.
उंचकागांव प्रखंड के मथौली खास का बनकट्टा ब्रह्म स्थान, शेर का मांस खाने के बाद बाबा ने छोड़ दिया था देह। Bankatta Brahma place in Mathauli Khas of Unchkagaon block, Baba left the body after eating lion’s meat
मथौली खास निवासी 51 वर्षीय बागेश्चर मिश्रा के अनुसार मथौली खास का बनकट्टा ब्रह्म स्थान सालों पुराना है वह बचपन से सुनते आ रहे है, मिश्रा बताते हैं कि बनकट्टा के बरम बाबा का वास्तविक नाम वनवीर था. वह सदैव जीवों की मदद करते थे. एक बार एक शेर एक गाय का मांस खा रहा था. गाय दर्द से चित्कार कर रही थी, बार-बार चिल्लाने के बाद भी शेर ने मूक गाय को नहीं छोड़ा.
वरन शेर ने बाबा के समक्ष यह शर्त रख दी कि, यदि आप सच में दिव्य पुरुष हो और मूक गाय को बचाना चाहते हैं तो आप भी गाय का मांस खाईये. यदि आप गाय का मांस खाएंगे तो मैं निश्चित रुप से गाय को छोड़ दूंगा. बाबा ने शेर की शर्त मान ली.
जिसके बाद जिस ओर से शेर गाय का मांस खा रहा था, ठीक उसके दूसरी ओर से बाबा ने गाय का मांस खाना शुरू कर दिया. शेर ने बाबा के साथ धोखा किया और गाय को पूरा मारकर खा गया. गाय के मृत होने से आह्त वनवीर बाबा मथौली खास के पोखरा (तालाब) पर गए और पश्चाताप स्वरूप उन्होंने अपने देह से लाद (शरीर के अंदरुनी अंग जैसे- किडनी) बाहर निकाल दिया. बाबा ने जैसे ही लाद पोखर में निकाला शेर की मृत्यु हो गई. कुछ ही क्षण बाद ही बाबा ने भी देह त्याग दिया.
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घटना की सूचना जब ग्रामीणों को पता चली तो, उन्होंने उंचकागांव ब्लॉक के समीप ही बाबा का स्थान बनवाया. वर्तमान में स्थान ग्रामीणों के लिए पूज्यनीय स्थान है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत बाबा को न्यौता देने के बाद ही की जाती है.
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