सर्प मंदिर, मन्नारशाला – भारत के 7 आश्चर्यों में होती है गिनती, मंदिर परिसर में है 30000 सर्प प्रतिमाएं । Snake Temple Mannarasala Kerala History in Hindi
Snake Temple Mannarasala Kerala History in Hindi : पूरी दुनिया का भार सर्प देव अपने फन पर लेकर बैठे है, वहीं भारत में सांपों को समर्पित दर्जनों मंदिर है, लेकिन इनमें सबसे प्रसिद्ध है मन्नारशाला का स्नेक टेम्पल है. मालूम हो कि, इस टेम्पल की गिनती भारत के सात आश्चर्यों में की जाती है.
मन्नारशाला, आलापुज्हा (अलेप्पी) से मात्र 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पर नागराज और उनकी संगिनी नागयक्षी को समर्पित एक मंदिर है. यह मंदिर करीब 16 एकड़ की भूमि पर फैला है. और आपकी आंखें जिधर जाएगी आपकों सर्पों की प्रतिमाएं ही दिखेंगी. एक अनुमान के अनुसार मंदिर में करीब 30000 के ऊपर संपों की प्रतिमाएं है.
एक बेहद ही प्राचीन किवदंति है कि, महाभारत काल में खंडावा नामक कोई वन प्रदेश था जिसे जला दिया गया था. परन्तु एक हिस्सा बचा रहा जहां पर सर्पों ने और अन्य जीव जंतुओं ने शरण ले ली. मन्नारशाला वहीं जगह बताई जाती है. मंदिर परिसर से ही लगा हुआ एक नम्बूदिरी का साधारण सा खानदानी घर (मना/इल्लम) है.
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मंदिर के मूलस्थान में पूजन का कार्य वहां के नम्बूदिरी घराने की बहू निभाती है. जिन्हें वहां पर अम्मा कह कर संबोधित किया जाता है. विवाहित होने के उपरांत भी वह ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए दूसरे पुजारी परिवार के साथ अलग कमरे में निवास करती है.
कहा जाता है कि उस खानदान की एक स्त्री निसंतान थी. उसके अधेड़ होने के बाद भी उसकी प्रार्थना से वासुकी प्रसन्न हुआ और उसकी कोख से एक पांच सर लिया हुआ नागराज और एक बालक ने जन्म लिया. उसी नागराज की प्रतिमा इस मंदिर में लगी है.
यहाँ की महिमा यह है कि निस्संतान दम्पति यहाँ आकर यदि प्रार्थना करें तो उन्हें संतान प्राप्ति होती है. इसके लिए दम्पति को मंदिर से लगे तालाब (बावडी) में नहाकर गीले कपड़ों में ही दर्शन के लिए जाना होता है. साथ में ले जाना होता है एक कांसे का पात्र जिसका मुंह चौड़ा होता है. इसे वहां उरुली कहते है.
उस उरुली को पलट कर रख दिया जाता है. संतान प्राप्ति अथवा मनोकामना पूर्ण होने पर लोग वापस मंदिर में आकर अपने द्वारा रखे गए उरुली को उठाकर सीधा रख देते हैं और उसमें चढ़ावा आदि रख दिया जाता है. इस मंदिर से जुड़ी और भी बहुत सारी किंवदंतियाँ हैं.
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