ग्रेसिम उद्योग नागदा के वित्त विभाग के उपाध्यक्ष को धमकाया । nagda grasim news : Grasim industry threatens Nagda’s vice president of finance
नागदा। ग्रेसिम उद्योग नागदा (Grasim Udyog Nagda) प्रबंधन द्वारा शहरवासियों व स्थानीय राजनेताओं से बनाई गई दूरी को लेकर प्रतिदिन उद्योग प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन हो रहे है। कुछ दिन पूर्व एक राष्ट्रीय दल के तीन से चार युवाओं ने ग्रेसिम उद्योग नागदा के जनरल ऑफिस में पहुंचकर उद्योग के वित्त विभाग के वरिष्ट उपाध्यक्ष महावीर जैन के साथ अभद्वता की।
सूत्रों के मुतािबक युवाओं ने अधिकारी जैन को हथियार से डराया व धमकाया। हालांकि उद्योग ने इस की शिकायत पुलिस को नहीं कि है लेकिन जिस दल के यह नेता थे उसे दल के एक राष्ट्रीय नेता नागदा निवासी को फोन कर सूचना दी। जिस पर राष्ट्रीय नेता ने नारजगी भी जताई।
गौरतलब है कि एक नेता अपने समर्थक के साथ ग्रेसिम उद्योग नागदा परिसर में पहुंचा था, लेकिन उस समय उद्योग प्रबंधन ने पुलिस व अपने सुरक्षाकर्मी के माध्यम से उक्त नेता को बाहर कर दिया था। इस मामले में जब ग्रेसिम उद्योग के जनसंपर्क अधिकारी को फोन किया तो उन्होने फोन नहीं उठाया। मामले से संबंधित सभी साक्ष्य न्यूजमग टीम के पास सुरक्षित है.
क्यों हो रही ऐसी स्थिति
ग्रेसिम उद्योग नागदा प्रबंधन की कार्यप्रणाली को लेकर इन दिनों आए दिन विवाद हो रहे है। कोरोना कि आड़ में उद्योग प्रबंधन ने शहरवासियों, मीडियाकर्मी व स्थानीय नेताओं से और अधिक दूरी बना ली। उद्योग ने कोरोना का बाहना कर उद्योग के जनरल ऑफिस का मुख्य द्वार त्रिमूर्ति गेट को बंद कर दिया।
यह गेट 22 मार्च 2020 काे बंद किया गया था। हालांकि उस समय पूरा उद्योग बंद कर दिया गया था। लेकिन बाद में उद्योग तो शुुरु कर दिया, पर गेट के ताले अभी तक नहीं खोले। यहां तक उद्योग के कई अधिकारी भी नागदा ऑफिस पर नहीं बैठ रहे है।
ऐसे में किसी को भी कोई कार्य होता है तो उसे उद्योग के बिरला हाउस गेट पर जाना पड़ता है। जो त्रिमूर्ति गेट से लगभग 3 किमी दूर है। लेकिन इस गेट पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। यहां पर सुरक्षाकर्मी ग्रेसिम उद्योग नागदा के अधिकारी से फोन पर ही बात करा कर रवाना कर देते है। जबकि उद्योग के अधिकारी किसी का फोन भी नहीं उठाते है।
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राष्ट्रीय व जनप्रतिनिधि को ही मिल रहा है लाभ
उद्योग में वर्तमान में सत्तापक्ष के कई राष्ट्रीय व जनप्रतिनिधि को ही उद्योग में इंट्री दे रखी है। उद्योग के ठेके भी इन को ही मिल रहे है और इसका लाभ उद्योग प्रबंधन इस तरह उठा रहा है कि खुलेआम श्रमिकों का शोषण कर रहा है। कोरोना के दौरान उद्योग ने लगभग 3 हजार ठेका श्रमिकों को घर पर बैठा दिया था।
हालांकि उद्योग प्रबंधन ने इन में से कुछ मजदूर को तो कार्य पर रख लिया। लेकिन लगभग 75 प्रतिशत मजदूर अभी भी कार्य पर नहीं लौटे। मजदूरों ने कार्य पर रखने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन भी किया, यहां तक क्षेत्र के सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक दिलीपसिंह गुर्जर व पूर्व विधायक दिलीपसिंह शेखावत के समक्ष भी गुहार लगाई। इन राजनेताओं ने मुख्यमंत्री के समक्ष भी यह मांग रखी। लेकिन मजदूरों को इंसाफ नहीं मिला। जबकि उद्योग में राजनेताओं के ठेके चल रहे है।
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