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मंगला गौरी व्रत 2023 | व्रत की मंगला गौरी पूजा विधान | Mangala Gauri Fast 2023 | मंगला गौरी उदयापन विधि | मंगला गौड़ व्रत क्या है

मंगला गौरी व्रत 2023 | व्रत की मंगला गौरी पूजा विधान | मंगला गौरी कहानी | मंगला गौरी उदयापन विधि | मंगला गौड़ व्रत क्या है | Mangala Gauri Fast 2023

मंगलवार भगवान हनुमान का प्रिय दिन है, लेकिन क्या आपकों पता है। श्रावण माह में जितने भी मंगलवार आते है, सभी व्रत मंगला गौरी व्रत के नाम से जाने जाते हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि, यह व्रत मंगलवार को रखे जाते है। हिंदी कैलेंडर में मौजूद श्रावण माह भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। किसी भी स्त्री द्वारा श्रावण माह के दौरान व्रत करने का संकल्प लेती हैं या फिर श्रावण मास की शुरुआत से, आने वाले सोलह सप्ताह व्रत करने का संकल्प लेती हैं। मंगल गौरी व्रत केवल स्त्रियों द्वारा ही किए जाने का विधान है।  स्त्रियाँ, मुख्यतः नवविवाहित स्त्रियाँ, सुखी वैवाहिक जीवन के लिये माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने मंगल गौर व्रत करने का संकल्प करती है।

मंगला गौरी व्रत की पूजा विधान

मंगल गौरी व्रत का संकल्प लेने के बाद, अगले दिन सुबह स्नान कर एक चौकी पर सफेद लाल कपड़ा बिछाला चाहिए। सफेद कपड़े पर चावल से नौ ग्रह बनाते हैं तथा लाल कपड़े पर गेहूँ से षोडश माता बनाते हैं। चैकी के एक तरफ चावल व फूल रखकर कलश स्थापित करते हैं। कलश में जल रखते हैं। आटा का चैमुखी दीपक बनाकर 16-16 तार की चार बत्तियाँ डालकर जलाते हैं। सबसे पहले गणेशजी का पूजन करते हैं। पूजन करके जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, सुपारी, लौंग, पान, चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढ़ाते हैं। इसके बाद कलश का पूजन गणेश पूजन की तरह किया जाता है। फिर नौ ग्रह तथा षोडश माता की पूजा करके सारा चढ़ावा ब्राह्मण को दे देते हैं। इसके बाद मिट्टी की मंगला गौरी बनाकर उन्हें जल, दूध, दही आदि से स्नान करवा कर वस्त्र पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दूर, मेंहदी व काजल लगाते हैं। सोलह प्रकार के फूल पत्ते माला चढ़ाते हैं। पाँच प्रकार के सोलह-सोलह मेवा, सुपारी, लौंग, मेंहदी, शीशा, कंघी व चूड़िया चढ़ाते हैं। कथा सुनकर सासुजी के पाँव छूकर एक समय एक अन्न खाने का विधान है। अगले दिन मंगला गौरी का विसर्जन करने के बाद भोजन करते हैं।

मंगला गौरी व्रत कथा

मंगला गौरी व्रत के साथ एक कथा का संबंध भी बताया जाता है जिसके अनुसार प्राचिन काल में एक नगर में धर्मपाल नामक का एक सेठ अपनी पत्नी के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन कर रहा होता है. उसके जीवन में उसे धन वैभव की कोई कमी न थी. किंतु उसे केवल एक ही बात सताती थी जो उसके दुख का कारण बनती थी कि उसके कोई संतान नहीं थी. जिसके लिए वह खूब पूजा पाठ ओर दान पुण्य भी किया करता था. उसके इस अच्छे कार्यों से प्रसन्न हो भगवान की कृपा से उसे एक पुत्र प्राप्त हुआ, लेकिन पुत्र की आयु अधिक नहीं थी ज्योतिषियों के अनुसार उसका पुत्र सोलहवें वर्ष में सांप के डसने से मृत्यु का ग्रास बन जाएगा।

अपने पुत्र की कम आयु जानकर उसके पिता को बहुत ठेस पहुंची लेकिन भाग्य को कौन बदल सकता है, अतरू उस सेठ ने सब कुछ भगवान के भरोसे छोड़ दिया और कुछ समय पश्चा अपने पुत्र का विवाह एक योग्य संस्कारी कन्या से कर दिया सौभाग्य से उस कन्या की माता सदैव मंगला गौरी के व्रत का पूजन किया करती थी अतरू इस व्रत के प्रभाव से उत्पन्न कन्या को अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद प्राप्त था जिसके परिणाम स्वरुप सेठ के पुत्र की दिर्घायु प्राप्त हुई।

mangala-gauri-vrat
Mangala Gauri Vrat

उद्यापन विधि

श्रावण माह के मंगलवारों का व्रत करने के बाद इसका उद्यापन करना चाहिए। उद्यापन में खाना वर्जित होता है। मेंहदी लगाकर पूजा करनी चाहिए। पूजा चार ब्राह्मणों से करानी चाहिए। एक चैकी के चार कोनों पर केले के चार थम्ब लगाकर मण्डप पर एक ओढ़नी बांधनी चाहिए। कलश पर कटोरी रखकर उसमें मंगलागौरी की स्थापना करनी चाहिए। साड़ी, नथ व सुहाग की सभी वस्तुएँ रखनी चाहिए। हवन के उपरान्त कथा सुनकर आरती करनी चाहिए। चाँदी के बर्तन में आटे के सोलह लड्डू, रुपया व साड़ी सासू जी को देकर उनके पैर छूने चाहिए। पूजा कराने वाले पंडितों को भी भोजन कराकर धोती व अंगोछा देना चाहिए।
अगले दिन सोहल ब्राह्मणों को जोड़े सहित भोजन कराकर धोती, अंगोछा तथा ब्राह्मणियों को, सुहाग-पिटारी देनी चाहिए। सुहाग पिटारी में सुहाग का सामान व साड़ी होती है। इतना सब करने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए।

2023 में मंगला गौरी व्रत तिथियां

राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड के लिए मंगला गौरी व्रत तिथियां

मंगलवार, 04 जुलाई 2023
श्रावण प्रारंभ *उत्तर प्रथम मंगला गौरी व्रत
श्रावण अधिक मास शुरू

मंगलवार, 11 जुलाई 2023
दूसरा मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 18 जुलाई 2023
अधिक मास, प्रथम श्रवण मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 25 जुलाई 2023
अधिक मास, दूसरा श्रवण मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 01 अगस्त 2023
अधिक मास, तीसरा श्रवण मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 08 अगस्त 2023
अधिक मास, चौथा श्रवण मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 15 अगस्त 2023
अधिक मास, पांचवां श्रवण मंगला गौरी व्रत

बुधवार, 16 अगस्त 2023
श्रवण अधिक मास समाप्त

मंगलवार, 22 अगस्त 2023
तीसरा मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 29 अगस्त 2023
चौथा मंगला गौरी व्रत

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु के लिए मंगला गौरी व्रत तिथियां

मंगलवार, 18 जुलाई 2023
श्रावण प्रारंभ *दक्षिण श्रावण अधिक मास प्रारंभ,
अधिक मास, प्रथम श्रवण मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 25 जुलाई 2023
अधिक मास, दूसरा श्रवण मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 01 अगस्त 2023
अधिक मास, तीसरा श्रवण मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 08 अगस्त 2023
अधिक मास, चौथा श्रवण मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 15 अगस्त 2023
अधिक मास, पांचवां श्रवण मंगला गौरी व्रत

बुधवार, 16 अगस्त 2023
श्रवण अधिक मास समाप्त

मंगलवार, 22 अगस्त 2023
प्रथम मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 29 अगस्त 2023
दूसरा मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 05 सितंबर 2023
तीसरा मंगला गौरी व्रत

मंगलवार, 12 सितंबर 2023
चौथा मंगला गौरी व्रत

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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