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मैरवा धाम : हरिराम बाबा का इतिहास ( श्री हरिराम ब्रह्म स्थान)। Mairwa Dham Siwan
मैरवा धाम : हरिराम बाबा का इतिहास ( श्री हरिराम ब्रह्म स्थान) । Mairwa Dham: History of Hariram Baba (Shri Hariram Brahmasthan) । Mairwa Dham Siwan
मैरवा सिवान जिले का एक शहर है. यह बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है. इष्टदेव बाबा हरिराम ब्रह्मा की नगरी मैरवा धाम है. भूत प्रेत की पीढ़ा से परेशान लोगों के लिए यह प्रमुख स्थान है. यह सिवान जिले से महज 15 किलोमीटर दूर है. Mairwa Dham का इतिहास गौरवशाली रहा है.
प्राचीन किवदंतियों की मानें तो यहां अकबर,सिकन्दर और बाबर जैसे शासक आ चुके हैं. मैरवा धाम में कई वर्षो तक ब्रिटिश हुकूमत का शासन रहा है. मैरवा की धरती पर प्रसिद्ध कवि “तुलसीदास” का भी आगमन हो चुका है. स्थानीय लोगों के अनुसार यहां महाभारत के पांडवों का भी आगमन हो चुका है.
इतना ही नहीं सुनने में यह भी आया है कि यहां चीनी प्रसिद्ध इतिहासकार (ह्वेनसांग) भी मैरवा धाम आया था. उन दिनों Mairwa Dham कोसल गणराज्य का हिस्सा हुआ करता था. मैरवा के इतिहास ह्वेनसांग ने अपनी किताब में भी किया है. बाबा हरिराम ब्रह्मा मंदिर, सिवान जिले के मैरवा शहर में झरही नदी के किनारे स्थित है.
मंदिर 250 सालों से भी अधिक पुराना है. यह मंदिर 1724 में बनाया गया था. मंदिर के समीप एक तालाब मौजूद है, जो वर्षभर पानी से लबालब रहता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तालाब के पानी का स्रोत 7 कुओं से है जो इस तालाब में ही मौजूद हैं.
महाकवि तुलसीदास जी जब Mairwa Dham पहुंचे थे तो, उन दिनों मैरवा धाम को (कनकगढ़) के नाम से जाना जाता था. कालांतर में यहां “राजा कनक सिंह” का शासन था. राजा का किला वहीं पर था जहां वर्तमान में हरिराम कॉलेज का संचालन होता है. बाबा हरिराम की जन्मस्थान बभनौली थी, तुलसीदास ने मैरवा पहुंचकर राजा को आदेश दिया कि आज से कनकगढ़ मुक्तिधाम के नाम से जाना जाएगा.
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