जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में । Janmastmi Par Nibandh Hindi Mein

जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में – Janmastmi Par Nibandh Hindi Mein

राधा के कृष्ण, ठाकुर जी हर किसी के प्रिय भगवान होते है. जैसा कि इनके नाम से स्पष्ट होता है कि, कृष्ण जन्माष्टमी यानि  कृष्ण + जन्म +आष्ट्मी  =  कृष्ण जन्माष्टमी. यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विभिन्न प्रकार के फलाहार, दूध,  दही,  पंचामृत,  धनिये,  मेवे की पंजीरी, तुलसीदल, मिश्री एवम् विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट मिठाई को बनाकर प्रभु का भोग लगाया जाता है और मध्य रात्रि इन्हीं प्रसाद को ग्रहण कर व्रत खोला जाता है. हिंदू धर्म के सभी पुरुष एवं स्त्री व्रत रखते हैं. कारण श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी में ही हुआ था,  जिस कारण से यह व्रत मध्य रात्रि में जाकर चन्द्रमा के निकल जाने के बाद ही व्रत खोला जाता है. इस दिन कृष्ण मंदिरों में बहुत चहल-पहल देखने को मिलेगी और सभी व्यापरी अपनी प्रतिष्ठान को तरह -तरह की लाइट और फूल माला से सजाते है. चलिए अब देखते है जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में – Janmastmi Par Nibandh Hindi Mein

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जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में – Janmastmi Par Nibandh Hindi Mein

परिचय- श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव भाद्रपद माह के – कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बेहद ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन मध्य रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. श्री कृष्ण जन्म अपने मामा कंस के यहाँ उन्ही के कारागृह में हुआ था. कंस बहुत ही दुष्ट और अत्याचारी राजा था. जिसके वध के लिए भगवान श्री कृष्ण का धरती पर अवतरण हुआ था. श्री कृष्ण को भगवान श्री हरी विष्णु का 8वां रूप भी कहा जाता है.

जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है – हिंदू धर्म की पौराणिक किवदंतियों में ऐसा कहा जाता है कंस को स्वपन में भविष्य वाणी हुई, की उनकी ही बहन देवकी की आठवीं संतान उसके वध का कारण बनेगी, फिर उसने इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी ही बहन देवकी को उनके पति सहित बंदी – गृह में डाल दिया और जब भी देवकी की कोई भी संतान जन्म लेती तो कंस उसका वध कर देता था.

इस प्रकार निर्दयी कंस ने देवकी – वासुदेव की सात सन्तानो का वध कर दिया. मगर श्री कृष्ण के जन्म होते ही वासुदेव ने श्री कृष्ण को माता यशोदा और नन्द बाबा के यहाँ पहुंचा दिया. श्री कृष्ण की महिमा के कारण कंस श्री कृष्ण तक पहुंचने में असमर्थ रहा और यही उसके वध का कारण बना.

अंत में अच्छाई ने बुराई पर विजय प्राप्त की और श्री कृष्ण ने कंस के अत्याचार से पूरी प्रजा को मुक्ति दिलाई, जिस कारण की वजह से उसी दिन जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है.

जन्माष्टमी कहाँ मनाई जाती है – वैसे तो जन्माष्टमी पूरे भारत में मनाई जाती है. लेकिन जन्माष्टमी को मानाने का हर जगह का अपना ही एक तरीका होता है. बहुत जगह दही-हांड़ी की प्रतियोगिता रखी जाती है और बहुत जगह बच्चो को बाल गोपाल के रूप में सजाया जाता है. सभी जगह के मंदिर और तीर्थस्थल को बहुत ही खूबसूरती के साथ सजाया जाता है. महाराष्ट्र में विट्ठल, राजस्थान में ठाकुर जी, उड़ीसा में जगन्नाथ जी अन्य जगह भी श्री कृष्ण को अलग अलग रूप में पूजा जाता हैं.

जन्माष्टमी के दिन भोग – श्री कृष्ण को बाल अवस्था से ही मक्खन, दूध बहुत प्रिय रहा था, तो इसलिए सर्व प्रथम इस दिन माखन – मिश्री से बालगोपाल का भोग लगाया जाता है. धनिये की बर्फी, मावे की बर्फी, फल आहार, चरणामृत, तुलसीदल को भी माखन मिश्री के साथ भोग में शामिल किया जाता है.

अन्य जानकारी-