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TOP 3 KRISHNA JANMASHTAMI ESSAY IN HINDI | कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध, देखें यहां l 2023

TOP 3 KRISHNA JANMASHTAMI ESSAY IN HINDI | कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध

राधा के कृष्ण, ठाकुर जी हर किसी के प्रिय भगवान होते है. जैसा कि इनके नाम से स्पष्ट होता है कि, कृष्ण जन्माष्टमी यानि  कृष्ण + जन्म +आष्ट्मी  =  कृष्ण जन्माष्टमी. यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विभिन्न प्रकार के फलाहार, दूध,  दही,  पंचामृत,  धनिये,  मेवे की पंजीरी, तुलसीदल, मिश्री एवम् विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट मिठाई को बनाकर प्रभु का भोग लगाया जाता है और मध्य रात्रि इन्हीं प्रसाद को ग्रहण कर व्रत खोला जाता है. हिंदू धर्म के सभी पुरुष एवं स्त्री व्रत रखते हैं. कारण श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी में ही हुआ था,  जिस कारण से यह व्रत मध्य रात्रि में जाकर चन्द्रमा के निकल जाने के बाद ही व्रत खोला जाता है. इस दिन कृष्ण मंदिरों में बहुत चहल-पहल देखने को मिलेगी और सभी व्यापरी अपनी प्रतिष्ठान को तरह -तरह की लाइट और फूल माला से सजाते है. चलिए अब देखते है TOP 3 KRISHNA JANMASHTAMI ESSAY IN HINDI | कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध

कृष्ण जन्माष्टमी पर छोटे-बडें निबंध (Short and Long Essay on Krishna Janmashtami in Hindi, Krishna Janmashtami par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द)

परिचय

श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को कृष्ण जन्माष्टमी पूरे भारत वर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यह पर्व हिंदु धर्म के परंपरा को दर्शाता है. सनातन संस्कृति को दर्शाने वाला यह बहुत बड़ा त्योहार है. अतः भारत से दूर अन्य देशों में बसे प्रवासी भी इस त्योहार को उल्लास के साथ मनाते हैं.

जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है

नटखट श्री कृष्ण को सनातन संस्कृति को मनाने वाले लोग अपने ईष्ट देवता के रूप में पूजते है. इसी कारण उनके जीवन से जुड़ी अनेकों प्रसिद्ध घटनाओं का स्मरण करते हुए उनके जन्मोत्सव को त्योहार के रूप में मनाते हैं.

विश्वभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम

जन्माष्टमी पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है. इसके अलावा बांग्लादेश के ढांकेश्वर मंदिर, कराची, पाकिस्तान के श्री स्वामी नारायण मंदिर, नेपाल, अमेरिका, इंडोनेशिया सहित अन्य देशों में एस्कॉन मंदिर के जरिए  जन्माष्टमी मनाई जाती है. बता दें कि, बांग्लादेश में यह राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, तथा इस दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित रहता है.

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत

यह भारत के विभिन्न राज्यों यह अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. इस उत्सव पर श्रीकृष्ण भक्त पूरा दिन उपवास रखते है.पूजा के लिए, घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रख कर झूला झूलाया जाता हैं. पूरा दिन भजन कीर्तन करते तथा उस मौसम में उपलब्ध सभी प्रकार के फल और सात्विक व्यंजन से भगवान को भोग लगा कर रात्रि के 12:00 बजे पूजा अर्चना कर व्रत तोड़ते है.

कृष्ण जन्माष्टमी की विशेष पूजा सामग्री का महत्व

पूजा हेतु सभी प्रकार के फलाहार, दूध, मक्खन, दही, पंचामृत, धनिया मेवे की पंजीरी, विभिन्न प्रकार के हलवे, अक्षत, चंदन, रोली, गंगाजल, तुलसी, मिश्री तथा अन्य भोग सामग्री से भगवान श्रीकृष्ण काे भोग लगाया जाता है. खीरा और चना का इस पूजा में विशेष महत्व है. ऐसी पौराणिक मान्यता है जन्माष्टमी के व्रत का विधि पूर्वक पूजन करने से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर वैकुण्ठ (भगवान विष्णु का निवास स्थान) धाम जाता है.

निष्कर्ष

श्री कृष्ण को द्वापर युग का युगपुरूष कहा गया है. इसके अलावा सनातन धार्मिक पुस्तकों के अनुसार विष्णु के आंठवे अवतार हैं, इसलिए पूरे विश्व में कृष्ण जन्मोत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.

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निबंध – 2 (400 शब्द)

परिचय

गोपियों के प्रिय श्री कृष्ण के भजन कीर्तन और गीतों के जरिए उनका आचरण और कहानियां विश्व विख्यात है.  जिसके कारण  श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को एक त्योहार के रूप में विश्व भर में मनाया जाता है. यह सनातन संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है, अतः इस दिन पर सभी हिंदू घरों में उपवास रखे जाने की पंरपरा है.

भारत के विभिन्न स्थान पर कृष्ण जन्माष्टमी

भारत के हर प्रांत की अपनी अलग भाषा और अपनी अलग संस्कृती है. भारत रंगीन (रंगो से भरा) देश है. इसमें सभी राज्य के रीति रिवाज, परंपरा एक दूसरे से असमानता रखते हैं. इसलिए भारत के भिन्न-भिन्न प्रांतों में कृष्ण जन्माष्टमी का विभिन्न स्वरूप देखने को मिलता है.

महाराष्ट्र की दही हांडी

दही हांडी की प्रथा की शुरुआत मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात से शुरू हुई. बढ़ती लोकप्रियता के कारण दही हाड़ी उत्सव आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो चुकी है. जन्माष्टमी के दिन विदेशी पर्यटक खासकर मुंबई की दही हाड़ी कार्यक्रम देखने के लिए भारत आते है. दुष्ट कंस द्वारा अत्याचार स्वरूप सारा दही और दुध मांग लिया जाता था. इसका विरोध करते हुए श्री कृष्ण ने दुध-दही कंस तक न पहुंचाने का निर्णय लिया. इस घटना के जन्माष्टमी में दही हांडी का उत्सव मटके मे दही भरकर मटके को बहुत ऊचाई पर टांगा जाता है तथा फिर गोविंदा यानी युवकों की टोली द्वारा उसे फोड़ कर मनाया जाता है.

मथुरा और वृदावन की अलग छटा

वैसे तो जन्माष्टमी का त्योहार विश्व भर (जहां सनातन संस्कृति को मानने वाले हैं) में मनाया जाता है, लेकिन यूपी के मथुरा और वृदावन में प्रमुख रूप से मनाया जाता है. यहां कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर रासलीला का आयोजन किया जाता है. देश-विदेश से लोग इस रासलीला के सुंदर अनुभव का आनंद उठाने आते हैं.

दिल्ली में एस्कॉन मंदिर की धूम

देश भर के कृष्ण मंदिरों में दिल्ली का एस्कॉन मंदिर प्रसिद्ध है. इस दिने मंदिरों में आकृर्ष साज सज्जा की जाती है. मंदिर में करीब दो माह पूर्व से जन्मोत्सव की तैयारी शुरू कर दी जाती है. उत्सव के दिन विशेष प्रसाद वितरण तथा भव्य झांकी निकाली जाती है. जिसे देखने और भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र होती है. इस भीड़ में आम जनता के साथ देश के जाने माने कलाकार, राजनीतिज्ञ तथा व्यवसायी भगवान कृष्ण के आशिर्वाद प्राप्ति की कामना से पहुंचते हैं.

देश के अन्य मंदिर के नज़ारे

भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का कृष्ण भक्तों द्वारा नाट्य रूप में मंदिरों में प्रस्तुत किया जाता है. मुंबई में दही हांडी का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. माखन मिश्री वाली हांडी को कई सौ फीट उपर लटकाया जाता है. जिसे गोविंदाओं की टोली द्वारा घोड़ी बनाकर फोड़ा जाता है. मुंबई की दही हाड़ी कार्यक्रम पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. दिन ब दिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. दही-हांडी या मटकी फोड़ने की रस्म भक्तों के दिलों में भगवान श्रीकृष्ण की यादों को ताजा कर देती हैं.

निष्कर्ष

श्री कृष्ण यादव समाज के आराध्य के रूप में पूजे जाते हैं. इस कारणवश भारत के अलग-अलग क्षेत्र में कोई दही हांडी फोड़ कर मनाता है, तो कोई रासलीला करता है. इस आस्था के पर्व में भारत देश भक्ति में सराबोर हो जाता है.

निबंध – 3 (500 शब्द)

परिचय- श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव भाद्रपद माह के – कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बेहद ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन मध्य रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. श्री कृष्ण जन्म अपने मामा कंस के यहाँ उन्ही के कारागृह में हुआ था. कंस बहुत ही दुष्ट और अत्याचारी राजा था. जिसके वध के लिए भगवान श्री कृष्ण का धरती पर अवतरण हुआ था. श्री कृष्ण को भगवान श्री हरी विष्णु का 8वां रूप भी कहा जाता है.

जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है – हिंदू धर्म की पौराणिक किवदंतियों में ऐसा कहा जाता है कंस को स्वपन में भविष्य वाणी हुई, की उनकी ही बहन देवकी की आठवीं संतान उसके वध का कारण बनेगी, फिर उसने इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी ही बहन देवकी को उनके पति सहित बंदी – गृह में डाल दिया और जब भी देवकी की कोई भी संतान जन्म लेती तो कंस उसका वध कर देता था.

इस प्रकार निर्दयी कंस ने देवकी – वासुदेव की सात सन्तानो का वध कर दिया. मगर श्री कृष्ण के जन्म होते ही वासुदेव ने श्री कृष्ण को माता यशोदा और नन्द बाबा के यहाँ पहुंचा दिया. श्री कृष्ण की महिमा के कारण कंस श्री कृष्ण तक पहुंचने में असमर्थ रहा और यही उसके वध का कारण बना.

अंत में अच्छाई ने बुराई पर विजय प्राप्त की और श्री कृष्ण ने कंस के अत्याचार से पूरी प्रजा को मुक्ति दिलाई, जिस कारण की वजह से उसी दिन जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है.

जन्माष्टमी कहाँ मनाई जाती है – वैसे तो जन्माष्टमी पूरे भारत में मनाई जाती है. लेकिन जन्माष्टमी को मानाने का हर जगह का अपना ही एक तरीका होता है. बहुत जगह दही-हांड़ी की प्रतियोगिता रखी जाती है और बहुत जगह बच्चो को बाल गोपाल के रूप में सजाया जाता है. सभी जगह के मंदिर और तीर्थस्थल को बहुत ही खूबसूरती के साथ सजाया जाता है. महाराष्ट्र में विट्ठल, राजस्थान में ठाकुर जी, उड़ीसा में जगन्नाथ जी अन्य जगह भी श्री कृष्ण को अलग अलग रूप में पूजा जाता हैं.

जन्माष्टमी के दिन भोग – श्री कृष्ण को बाल अवस्था से ही मक्खन, दूध बहुत प्रिय रहा था, तो इसलिए सर्व प्रथम इस दिन माखन – मिश्री से बालगोपाल का भोग लगाया जाता है. धनिये की बर्फी, मावे की बर्फी, फल आहार, चरणामृत, तुलसीदल को भी माखन मिश्री के साथ भोग में शामिल किया जाता है.

कृष्ण की कुछ प्रमुख जीवन लीला

  • श्री कृष्ण के बाल्यावस्था के कारनामों को ही देखते हुए इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है, वह निरंतर चलते रहने और धरती पर अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवतरित हुए.
  • अत्यधिक शक्तिशाली होने के उपरांत (बाद) भी, वह सामान्य जनों के मध्य सामान्य व्यवहार करते, मटके तोड़ देना, चोरी कर माखन खाना, ग्वालो के साथ खेलना जीवन के विभिन्न पहलुओं के हर भूमिका को उन्होनें आनंद के साथ व्यतीत किया है.
  • श्री कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है.
  • कंस के वध के बाद कृष्ण द्वारकाधीश बने, द्वारका के पद पर रहते हुए वह महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बने तथा गीता का उपदेश देकर अर्जुन को जीवन के कर्तव्यों का महत्व बताया और युद्ध में विजय दिलाया.

कारावास में कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण के कारागृह में जन्म लेने के वजह से देश के ज्यादातर थाने तथा जेल को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सजाया जाता है. यहां पर्व का भव्य आयोजन किया जाता है.

निष्कर्ष

श्री कृष्ण के कार्यों के वजह से महाराष्ट्र में विट्ठल, राजस्थान में श्री नाथजी या ठाकुर जी, उड़ीसा में जगन्नाथ तथा इसी तरह विश्व भर में अनेक नामों से पूजा जाता है. उनके जीवन से सभी को यह प्रेरणा लेने की आवश्यकता है की चाहे जो कुछ हो जाए व्यक्ति को सदैव अपने कर्म पथ पर चलते रहना चाहिए.

FAQs: Frequently Asked Questions

प्रश्न 1 – कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है?

उत्तर – कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

प्रश्न 2 – कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाया जाता है?

उत्तर – कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्णपक्ष के अष्टमी के दिन मनाया जाता है।

प्रश्न 3 – भगवान श्री कृष्ण किसके अवतार थे?

उत्तर – वे विष्णु के 8वें अवतार थें।

प्रश्न 4 – भगवान श्री कृष्ण किसके संतान थें?

उत्तर – वे वासुदेव व देवकी के आठवीं संतान थे।

प्रश्न 5 – श्री कृष्ण का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर – कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।

English summary

Why is Janmashtami celebrated : According to the mythological beliefs and legends of Hinduism, Lord Shri Krishna is the eighth incarnation of Lord Shri Hari, who is called the maintainer of the universe.

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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