दोस्तों मधुमेह यानी डायबिटीज एक गंभीर और जटिल बीमारी है, जिसमें ब्लड शुगर या ब्लड ग्लूकोज का स्तर बहुत बढ़ जाता है. यदि सही समय पर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो ब्लड शुगर का बढ़ा हुआ स्तर पूरे शरीर को प्रभावित करने लगता है. जिसके कारण मिचली, चक्कर आना जैसी समस्याएं होने लगती हैं. डायबिटीज असल में शरीर या तो उचित तरीके से इन्सुलिन नहीं बना पाता है या फिर इन्सुलिन का उचित तरीके से उपयोग ही नहीं कर पाता है. ऐसे में हम सभी के लिए जरूरी है कि, इन्सुलिन व उसके कार्य को समझना चाहिए. तो जानते हैं इंसुलिन का उपयोग कैसे किया जाता है. (How To Use Insulin)
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इंसुलिन का उपयोग कैसे किया जाता है :
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डायबिटीज के मरीज इन्सुलिन को टैबलेट या किसी सिरप के रूप में नहीं इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि पेट में इन्सुलिन एंजाइम द्वारा नष्ट हो जाता है. यह एंजाइम भोजन को रक्तप्रवाह में जाने से पहले पचाने में डायबिटीज रोगियों की मद करता है. इन्सुलिन को त्वचा के अंदर मौजूद वसा की परत में सिरिंज का इस्तेमाल करके लगाया जाता है, जिसे सब्क्यूटेनियस भी कहा जाता है. हालांकि, समय व तकनीक के साथ इन्सुलिन पेन व इन्सुलिन पंप का भी उपयोग किया जाने लगा है, और यह दोनों ही बेहद ही आसान तरीके हैं.
यह पेन एक साधारण फाउंटेन पेन की तरह दिखाई देने वाली डिवाइज है, जबकि इन्सुलिन पंप दिखने में पुराने जमाने के पेजर की तरह होता है, जिसे पहनकर इस्तेमाल किया जाता है. इससे एक नली जुड़ी होती है जो आपको समय-समय पर डायबिटीज रोगियों को इन्सुलिन देती है. हालांकि, आसान तकनीक के बावजूद ये काफी महंगा होने के कारण अधिक उपयोग में नहीं आता है.
इन्सुलिन का इंजेक्शन अधिकांश पेट पर वसा की परत (नाभि से चार अंगुल या 2 इंच दूर), कूल्हे, जांघों के किनारे, नितंब और पीठ के पीछले हिस्से पर लगाया जाता है. मनुष्य शरीर के भीतर इन्सुलिन जाने के बाद यह रक्तप्रवाह में अवशोषित हो जाता है, जहां से यह पूरे शरीर की कोशिकाओं में फैल जाता है.
इंसुलिन इंजेक्शन लगाने का तरीका : Insulin Lagane Ka Tareeka
इंसुलिन सिरिंज का इस्तेमाल : इन्सुलिन की खोज के बाद से ही इसका निरतंर उपयोग किया जा रहा है, कारण यह एक सस्ता और बेहद ही आसानी से उपलब्ध होने वाला माध्यम है. छोटी-छोटी शीशी में मौजूद इन्सुलिन को सिरिंज में भरकर डायबिटीज पेसेंट को लगाया जाता है. इसके एक बार इस्तेमाल पर दोबारा इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है. हालांकि, सिरिंज के इस्तेमाल से एक समस्या देखी जाती है, जो है गलत डोज में इन्सुलिन लगाना. इससे बचने लिए इंसुलिन की शीशी को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए. इसके लिए 40IU के इन्सुलिन के साथ 40IU की सिरिंज और 100IU के साथ 100IU का उपयोग डायबिटीज मरीजों को करना चाहिए.
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सिरिंज से इन्सुलिन लगाने का सही तरीका :
- दोस्तों ध्यान रहे कि इन्सुलिन लेने से पहले हाथों को साबुन और पानी से अच्छे से धो लें.
- इन्सुलिन की शीशी के ऊपर के रबर को अल्कोहल स्वैब या स्प्रिट और रुई से अच्छी तरह से साफ करें.
- चिकित्सकों द्वारा बताए यूनिट के अनुसार सिरिंज में इन्सुलिन को भरकर त्वचा में लगाएं.
- सिरिंज में इन्सुलिन भरते समय यूनिट का खास ध्यान रखें और इस दौरान कोई बुलबुला यानी एयर बबल नहीं दिखना चाहिए. एयर बबल दिखें तो एक यूनिट दबाकर बाहर निकाल दें.
- यदि आप बाएं हाथ से वसा या चर्बी वाली स्किन को पकड़ें और दाएं हाथ से इंजेक्शन सीधा यानि 90 डिग्री के एंगल से लगाना चाहिए.
- डोज को इंजेक्ट करने के लिए सुई को त्वचा के भीतर डालें और धीरे-धीरे सीरिंज को दबाएं. सीरिंज के पूरी तरह खाली हो जाने के बाद ही, इन्सुलिन शरीर के अंदर जाने के बाद 10 सेकंड इंतजार करें और त्वचा को छोड़कर सिरिंज को निकाल लें.
- एक सिरिंज को एक ही बार इस्तेमाल करें और किसी के साथ शेयर न करें.
- सिरिंज लगाने के लिए हर बार अलग-अलग जगह का इस्तेमाल करें एक ही जगह इन्सुलिन ना लगाएं। इससे उस जगह गांठ बन सकती है, और दर्द भी ज्यादा होगा.
इंसुलिन पेन उपयोग करने का सही तरीका :
इन्सुलिन पेन ठीक फाउंटेन पेन के हुबहू दिखने वाली एक डिवाइस है, जो कि मुख्यतः दो प्रकार की होती है : पहला सिर्फ एक बार इस्तेमाल किया जाने वाला एवं दूसरा जिसे दोबार उपयोग किया जा सकता है. आपकी जरूरत और उपयोग की अवधि के अनुसार चिकित्सक आपको इन्सुलिन पेन की सलाह दे सकते हैं. एक बार इस्तेमाल वाले पेन को खत्म होने के बाद बच्चाें की पहुंच से दूर कचरे में फेंक देना चाहिए, जबकि दूसरे पेन को दोबारा कार्टरेज बदल कर इस्तेमाल में लाया जा सकता है. पेन की सुई अलग-अलग लम्बाई (4, 5, 6, 7, 8 मिलीमीटर) में आती है. यदि आप अपनी त्वचा की मोटाई की आवश्यकता एवं बजट के अनुसार इसका यूज कर सकते हैं.
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पेन से इन्सुलिन लगाने का सही तरीका : Insulin Pen Kaise Use Karen
- दोस्तों सबसे पहले इन्सुलिन को फ्रिज से निकालकर 25-30 मिनट के लिए कमरे के गर्म तापमान में रखें, ताकि उसका वातावरण के अनुसार मेल खा जाएं.यदि इन्सुलिन का रंग थोड़ा धुंधला या दूध के रंग जैसा दिखाई दे रहा है तो इसे दोनों हथेलियों के बीच लेकर हल्के हाथों से रोल करें. रंग सामान्य हो जाएगा.
- पेन में सुई लगाने के लिए, सुई पर लगे कवर को हटाएं और पेन के आगे वाले हिस्से में लगाकर पेंच की तरह घुमाएं. आसान भाषा में कहा जाएं और घड़ी की दिशा की तरफ घुमाएं. जब सुई अपनी जगह स्थिर हो जाए, तो सुई के ऊपर का ढक्कन निकाल लें.
- दोस्तों इस बात को सुनिश्चित कर लें कि, पेन में लगी सुई में कोई सूक्ष्म कचरा ना फंसा हो, इसके लिए 2 यूनिट भरें और फिर पेन का पिछला सिरा दबाकर इन्सुलिन को बाहर निकाल दें. एक बार जब पेन से इन्सुलिन बाहर निकल जाती है तो इसका मतलब है कि आपके पेन की सुई साफ सुथरी है. इस बात का भी ध्यान रखें कि इसमें कोई एयर बबन ना हाे.
- डोज एकदम सही और चिकित्सकों द्वारा सुझाई गई मात्रा में लेनी चाहिए. इसके लिए डायलिंग विंडों में देख कर नंबर पढ़ा जा सकता है, यदि वह आपके द्वारा डायल की गई संख्या के बराबर हो तो इन्सुलिन पेन का इस्तेमाल किया जा सकता है.
- दोस्तों इंसुलिन को त्वचा के सबसे मोटे हिस्से (जहां पर चर्बी अधिक हो) में इंजेक्ट करें. ज्यादातर मामलों में नाभि से 2 इंच दूर चारो तरफ या जांघों का बाहरी भाग, बाजू का पिछला भाग, कूल्हों के बाहरी हिस्से में लगाया जाता है। ध्यान रखें हर बार जगह बदल कर लगाएं. ताकि शरीर में गांठ होने से बच जाएं.
- पेन को अपनी चारों उंगलियों से अच्छे से पकड़ें. वहीं दूसरे हाथ से जहां इन्सुलिन लगानी हो उस स्थान पर चर्बी पकड़ें. जिसके बाद ठीक 90 डिग्री वाले एंगल से सीधा इन्सुलिन लगाएं. यदि आपका शरीर काफी दुबला पतला हैं या किसी बच्चे को इन्सुलिन लगानी है तो 45 डिग्री के कोण पर भी इंजेक्शन लगा सकते हैं.
इंसुलिन लेने से जुड़ी सावधानियां :
इन्सुलिन सही तरीके से लगे और उससे आपको या अन्य किसी को समस्या न हो इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जो इस प्रकार है :
दूसरों से इन्सुलिन पेन शेयर न करें : दूसरों के साथ इन्सुलिन पेन शेयर करने से खून जनित बीमारियों और संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। इन खतरों में हेपेटाइटिस या एचआईवी शामिल हैं। आप नई सुई के साथ अपने इन्सुलिन पेन का इस्तेमाल कई बार कर सकते हैं। लेकिन अगर आप अपना इंसुलिन पेन किसी दूसरे के साथ शेयर करते हैं, तो ये काफी असुरक्षित हो सकता है। इन्सुलिन पेन का इस्तेमाल करने के दौरान खून और स्किन सेल्स भी इन्सुलिन कार्ट्रिज में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में इन्सुलिन का पेन किसी दूसरे के साथ शेयर करने से संक्रमण का खतरा हर बार बना रहता है। इसलिए ये सुनिश्चित करें कि घर में सुई से इंसुलिन लेने वाले हर व्यक्ति के पास खुद का इन्सुलिन पेन हो।
इन्सुलिन कैसे स्टोर करना चाहिए : यदि इन्सुलिन को ज्यादा ठंडी या गरम जगह पर रखा जाए, तो इससे इन्सुलिन की ब्लड शुगर को नियंत्रित करने की क्षमता घट जाती है। जितने ज्यादा समय तक इन्सुलिन इस स्थिति में रहेगी उतना ही उसका असर कम होता जाएगा। बंद इंसुलिन की बोतल को या पेन को फ्रिज के दरवाजे में (2°C से 7°C तापमान) में रखें. इस्तेमाल में लाई गई इन्सुलिन की बोतल को रूम टेम्परेचर या रेफ्रिजरेटर में 1 महीने तक तक रखा जा सकता है. पेन से सुई निकाल कर रखें, इससे पेन के अंदर बुलबुला नहीं बनेगा.
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इंसुलिन इंजेक्शन कहां लगाया जाता है?
- दोस्तों ध्यान रहे कि मांसपेशियों, स्ट्रेच मार्क या बालों की जड़ों में इन्सुलिन का इंजेक्शन कभी नहरं लगाएं.
- इंजेक्शन लगाने के बाद उस हिस्से को न रगड़ें, ना ही किसी प्रकार का व्यायाम करें.
- कपड़े के माध्यम से कभी इन्सुलिन इंजेक्ट न करें.
- इन्सुलिन को त्वचा के मोटे हिस्से (जहां चर्बी हो) में इंजेक्ट किया जाता हैं.
- नाभि से चारों तरफ 2 इंच दूरी पर, जांघों का बाहरी भाग, बाजू का पिछला भाग, कूल्हों का बाहरी हिस्सा इत्यादि।
दोस्तों ध्यान रखें, यदि इन्सुलिन मांसपेशियों के भीतर जाएगा तो इससे बहुत तेज दर्द होगा और खून में ग्लूकोज का लेवल ज्यादा कम (हाइपोग्लाइसीमिया) हो सकता है. इसलिए किसी व्यक्ति की उपस्थिति में ही इन्सुलिन इंजेक्ट करें.
इन्सुलिन के नुकसान :
रक्त में आवश्यकता से ज्यादा इन्सुलिन के पहुंचने के बाद शरीर में ग्लूकोज लेवल बेहद ही कम हो जाता है. यदि व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल जरूरत से ज्यादा कम हो जाए (हाइपोग्लाइसीमिया) तो शरीर नियमित कार्यों को पूरा करने में असमर्थ हो जाता है. इंसुलिन लेने के बाद कुछ खाना भूल जाने पर उनके खून में इंसुलिन की मात्रा बढ़ने का जोखिम रहता है, जो कि काफी खतरनाक स्थिति है.
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इंसुलिन से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न उत्तर
प्रश्न : ठंडी इन्सुलिन क्यों नहीं लगाना चाहिए ?
उत्तर : ठंडी इन्सुलिन प्रभावी नहीं होती, जिस कारण आपके ब्लड शुगर की मात्रा भी बढ़ी रह सकती है. इसलिए फ्रिज से निकालने के बाद 25-30 मिनट तक कमरे के तापमान में रखने के बाद ही इंसुलिन का इस्तेमाल करें.
प्रश्न : एक सुई या सिरिंज को कितनी बार इस्तेमाल करना चाहिए ?
उत्तर : सुई पर लगाई गई सिलिकॉन का कवच इसे दर्दरहित बनाता है, जो एक बार इस्तेमाल करने के बाद उतर जाता है. यदि आप एक से ज्यादा बार इसका इस्तेमाल करते हैं तो ऐसे में तेज दर्द हो सकता है, साथ ही सुई के मुड़ जाने के कारण शरीर में टूटने के भी आसार रहते हैं.
प्रश्न : सुई / सिरिंज/ पेन को किस प्रकार के कचरे में डालें
उत्तर : सुई/ सिरिंज/ पेन को यदि आप साधारण कचरे में डालेंगे तो इससे अन्य व्यक्तियों को संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. आप जब भी डॉक्टर के पास जाएं, ये कचरा वहां के स्टाफ को सौंप दें. हॉस्पिटल द्वारा ये कचरा बायो मेडिकल वेस्ट के अंतर्गत प्रबंधित किया जाता है.
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