NewsUttar Pradesh

ज्ञानवापी मस्जिद का पौराणिक इतिहास, 22 प्वाइंट में जानें कब क्या हुआ | History of Gyanvapi Masjid in Hindi

ज्ञानवापी मस्जिद का पौराणिक इतिहास, 20 प्वाइंट में जानें कब क्या हुआ | History of Gyanvapi Masjid in Hindi

History of Gyanvapi Masjid in Hindi : हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि, काशी में भगवान शिव का एक बेहद ही विशालकाय मंदिर था। जिसे मध्यकाल में नष्ट कर यहां पर एक मस्जिद का निर्माण करवाए जाने का दावा किया जाता रहा है। चलिए पोस्ट के जरिए जानतें है काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के पौरणिक इतिहास के प्रमुख बिंदुओं को।

History of Gyanvapi Masjid
History of Gyanvapi Masjid
  1. आदिकाल : हिंदू धर्म ग्रंथों की मानें तो काशी में विशालकाय मंदिर में आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर शिवलिंग स्थापित है
  2. प्राचीनकाल : ईसा पूर्व 11वीं सदी में राजा हरीशचंद्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था उसे उज्जैन के सम्राट के राजा विक्रमादित्य ने अपने कार्यकाल में दोबारा जीर्णोंद्धार करवाया।
  3. 1194 : इस अलौकिक मंदिर को बाद में मोहम्मद गौर ने लूट कर उसे नष्ट करवा दिया।
  4. 1447 : मंदिर को स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा दोबारा बनवाया गया, लेकिन जौनपुर के शर्की सुल्तान महमूद शाह ने उसे तुड़वा दिया और मस्जिद का निर्माण करवाया। हालांकि इस बता को लेकर पुरात्व विशेषज्ञों में मतभेद जारी है।
  5. 1585 : इस दौर में राजा टोडरमल की मदद से पंडित नारायण भट्‌ट द्वारा इस स्थान पर दोबारा एक भव्य व वृह्द मंदिर का निर्माण करवाया गया।
  6. 1632 : इसके बाद मंदिर को शाहजहां ने आदेश पारित कर इसे तोड़ने के लिए अपनी सेना भेजी, नागा साधुओं के बल विरोध के चलते काशी विश्वनाथ के गृभग्रह को नहीं तोड़ा जा सका, लेकिन काशी के 63 अन्य मंदिरों को तहस-नहस कर दिया गया
  7. 1669 : 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट करने का आदेश जारी किया। यह एक तुगलकी फरमान एथियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में वर्तमान में भी सुरक्षित है। एलीपी शर्मा की पुस्तक मध्यकालीन भारत में इस विध्वंस का वर्णन पढ़ने को मिलता है। साकी मुस्तइद खां द्वारा लिखित मासीदे आलमगिरी में इसके संकेत खोजे जा सकते हैं।
  8. 1669 : 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब ने मंदिर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया, जिसके बाद ज्ञानवापी परिसर में मस्जिद बनवाई गई।
  9. 1735 : मंदिर के तोड़े जाने के 125 साल तक कोई विश्वनाथ मंदिर नहीं था, इसके बाद साल 1735 में मध्य प्रदेश इंदौर की महारानी रानी अहिल्याबाई ने ज्ञानवापी परिसर के समीप ही काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
  10. 1809 : ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर पहली बार विवाद सामने आया, इस दौरान हिंदू समुदाय ने ज्ञानवापी मस्जिद को लौटाने की मांग की थी।
  11. 1810 : 30 सितंबर 1810 में बनारस के तत्कालीन कलेक्टर मिस्टर वाटसन ने वाइस प्रेसीडेंट इन कॉउसिल को एक लेटर लिखकर ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को हमेशा के लिए सौंपने को कहा था।
  12. 1829-30 : ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने इसी मंदिर में ज्ञानवापी मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने विशाल नंदी की प्रतिमा स्थापित करवाई।
  13. 1883-84 : ज्ञानवापी मस्जिद का पहला जिक्र राजस्व दस्तावेजों में जामा मस्जिद ज्ञानवापी के तौर पर दर्ज हुआ।
  14. 1936 : के दौर में एक दायर किए गए मुकदमे पर साल 1937 के फैसले में ज्ञानवापी को मस्जिद के रुप में स्वीकार किया गया।
  15. 1984 : विश्व हिंदू परिषद के कुछ राष्ट्रवादी संगठनों ने एक साथ होकर ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मंदिर बनाने के उद्देश्य से देशव्यापी अभियान चलाया।
  16. 1991 : हिंदू पक्ष की ओर से हरिहर पांडेय, सोमनाथ व्यास और प्रो. रामरंग शर्मा ने मस्जिद और परिसर में सर्वेक्षण कर उपासना करने के लिए न्यायालय में एक याचिका दायर की।
  17. 1991 : ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण के लिए दायर की गई याचिका के बाद संसद ने उपासना स्थल कानून बनाया, जिसके बाद आदेश हुआ कि, 15 अगस्त 1947 के पूर्व अस्तिव में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म में तब्दील नहीं किया जा सकेगा।
  18. 1993 : विवाद की स्थिति को देखते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति को बनाए रखने का आदेश दिया।
  19. 1998 : कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे करने की अनुमती दी, जिसे मस्जिद प्रबंधन ने इलाहबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे डाली। जिस पर कोर्ट ने सर्वे की अनुमति रद्द कर दी।
  20. 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने आदेश की वैधता को छ: माह के लिए बताई।
  21. 2019 : वाराणसी कोर्ट में दोबारा मामले पर सुनवाई हुई।
  22. 2021 : कुछ महिलाओं द्वारा कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में प्रतिदिन पूजा करने के लिए याचिका लगाकर सर्वे की मांग की। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दी।

इसे भी पढ़े :

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status
पान का इतिहास | History of Paan महा शिवरात्रि शायरी स्टेटस | Maha Shivratri Shayari सवाल जवाब शायरी- पढ़िए सीकर की पायल ने जीता बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड सफल लोगों की अच्छी आदतें, जानें आलस क्यों आता हैं, जानिएं इसका कारण आम खाने के जबरदस्त फायदे Best Aansoo Shayari – पढ़िए शायरी