ग्रहों के अशुभ प्रभाव व्यक्ति को अहंकारी बना देता है, जानिएं क्यों

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की चाल को बेहद ही अधिक महत्व दिया जाता है. यदि आपके ग्रह सही है, तो आप दुनिया की तमाम खुशियां एक झटके में अपनी झोली में समेट सकते हैं, अपितु यदि आपके ग्रह आपका साथ नहीं दे रहें तो आपके स्पर्श से सोना धातु भी मिट्‌टी में तब्दील हो जाएगा. चलिए लेख के जरिए जानें ग्रहों के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति के जीवन पर क्या असर पड़ता है.
ग्रहों-के-अशुभ-प्रभाव
सूर्य ग्रह का अशुभ प्रभाव : सूर्य का दुष्प्रभाव व्यक्ति को अहंकारी बना देता है. ऐसा इंसान खुद का नुकसान करने से भी नहीं चूकते हैं. इतना ही नहीं पिता के घर से अलग होना, कानूनी विवादों में फंसना और संपति विवाद होना, पत्नी से दूरी, अपने से बड़ों से विवाद, दांत, बाल, आंख व हृदय रोग होना. भारत सरकार की ओर से नोटिस मिलना व सरकारी नौकरी में परेशानी आना भी इसमें शामिल है.
चंद्रमा ग्रह का अशुभ प्रभाव : घर-परिवार में सुख और समृद्धि की कमी, मानसिक रोगों से लिप्त होना, अकारण ही भय व घबराहट, माता से दूरियां, सर्दी-जुखाम, छाती संबंधित रोग और कार्य तथा धन में अस्थिरता चंद्रमा के अशुभ प्रभाव की ओर संकेत देता हैं.
मंगल ग्रह का अशुभ प्रभाव : अत्यधिक गुस्सा व चिड़चिड़पन मंगल के अशुभ की निशानी है. अपने सगे भाइयों से मनमुटाव और आपसी विरोध मंगल के कारण ही होता है. रक्त संबंधि रोग और शरीर में खून की कमी मंगल के कमजोर होने की ओर इशारा करता है. प्रापट्री को लेकर तनाव व झगड़ा, आग में जलना और चोट लगते रहना, छोटी-छोटी दुर्घटनाओं का होता रहना मंगल के अशुभ प्रभावों के कारण ही होता हैं.
ग्रहों-के-अशुभ-प्रभाव
बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव : बोलने-सुनने में परेशानी, बुद्धि का कम उपयोग, आत्मविश्वास की कमी, नपुंसकता, व्यापार में हानि, माता का विरोध और शिक्षा में बाधाएं बुध के अशुभ प्रभाव के कारक है, बुध यदि अशुभ हो अच्छे दोस्त भी नहीं बनतें.
गुरु ग्रह का अशुभ प्रभाव : जिनका सम्मान करना चाहिए उनसे ही मनमुटाव हो, समाज के सामने बदनामी हो और मान-सम्मान न हो तो समझ लीजिए गुरु आपसे नाराज हैं. शासकिय अधिकारियों से विवाद हो, धर्मिक ढोंग के साथ अधर्म के काम करना, अनैतिक कार्य करना, पाखंड से धन कमाना, स्त्रियों से अनैतिक संबंध बनाना, संतान दोष, मोटापा और सूजन गुरु के अशुभ प्रभाव हैं.
शुक्र ग्रह का अशुभ प्रभाव : शुक्र यदि अशुभ प्रभाव के फलस्वरूप यौन सुख में कमी, गुप्त रोग, विवाह में रुकावट, प्रेम में असफलता, हृदय का अत्यधिक चंचल हो जाना, प्रेम में धोखे की प्रवृत्ति शुक्र में अशुभ होने के कारक हैं.
शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव : अशुभ शनि जातक को झगडालू, आलसी, दरिद्र, अधिक निद्रा वाला, वैराग्य से युक्त बनाता है. यह पांव में या नसों से संबंधित रोग को जन्म देता है. स्टोन यानी की पत्थरी की समस्या शनि के अशुभ होने पर ही होती है. लोगों से उपेक्षा, विवाह में समस्या और नपुंसकता शनि के ही अशुभ प्रभाव हैं.
ग्रहों-के-अशुभ-प्रभाव
राहु ग्रह का शुभ प्रभाव : नशा व मांस-मदिरा का लती, गलत कार्यों को करने का शौक, शेयर मार्केट में नुकसान, घर-गृहस्थी से दूर होकर अनैतिक कार्य में लिप्त होना, अपराधों में संलिप्त होना और फोड़े-फुंसी का होना राहु के अशुभ प्रभाव है.
केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव : इसके अशुभ प्रभाव राहू और मंगल का मिलाजुला रूप होते हैं. अत्यधिक क्रोधी, शरीर में अधिक अम्लता होना जिस कारण पेट में जलन का रहना, चेहरे पर दाग धब्बे का होना केतु के अशुभ प्रभाव हैं। केतु जब रूष्ट हो तो व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के ऑपरेशन से गुजरता है.
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