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बाल पर दिवस निबंध | Top 4 CHILDREN’S DAY ESSAY IN HINDI

बाल पर दिवस निबंध | Top 4 CHILDREN’S DAY ESSAY IN HINDI

प्रतिवर्ष 14 नवंबर को उत्साह और उमंग के साथ भारत में बाल दिवस मनाया जाता है। स्कूली बच्चों और शिक्षकों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन शिक्षकों के द्वारा बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं जैसे- निबंध लेखन प्रतियोगिता, ग्रीटिंग कार्ड प्रतियोगिता, पोस्टर मैकिंग आदि। बाल दिवस के पूर्व ही स्कूलों में तैयारिया शुरू कर दी जाती है। इस दौरान स्कूल की इमारतों पर रंग-रोगंन किया जाता है। बाल दिवस 14 नवंबर को पंडित जवाहर लाल नेहरु के जन्म दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, क्योंकि उन्हें बच्चे बेहद ही प्यारे थे। भारत को स्वतंत्र कराने में चाचा नेहरू द्वारा दिए गए विशेष योगदान को यादन करने के उद्देश्य से नृत्य, गीत, कविता पाठ हिन्दी अथवा अंग्रेजी में, तथा भाषण आदि आयोजन में स्कूली बच्चे भाग लेते हैं।

निबंध 1 (400 शब्द)

प्रस्तावना

जैसा कि हम सभी को विधित है कि, बच्चे उस देश का भविष्य होते हैं। इसलिए बच्चों का एक बेहतर भविष्य गढ़ना चाहिए, ताकि कि आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। बच्चों के साथ प्यार भरा बर्ताव करना चाहिए। बच्चों को उनकी महत्वता बताने के उद्देश्य से हर वर्ष 14 नवंबर को पूरे भारतवर्ष में बाल दिवस मनाया जाता है। पंडित नेहरु के सम्मान में इसे मनाया जाता है। नेहरू जी भारत के पहले प्रधानमंत्री होने के साथ बच्चों के सच्चे दोस्त थे। नेहरू जी को लाल गुलाब बेहद ही प्रिय था। जिसे वह हमेशा अपने कोट के दांई ओर लगाकर रखते थे। बच्चे उन्हें बेहद ही स्नेह के साथ चाचा नेहरू पुकारते थे।

चाचा नेहरु

 प्रधानमंत्री  के सर्वोच्च पद पर होने के बावजूद चाचा नेहरू बच्चों से मुलाकात के लिए समय निकाल लेते थे। बच्चों से उनका बेहद लगाव था। उन्हें छोटे बच्चों के साथ मित्रता करना, खेलना कूदन, बातें करना पसंद थी। पूर्व प्रधानमंत्री नेहरु को श्रद्धांजलि देने के लिए 1956 से बाल दिवस के रुप में उनके जन्मदिवस को मनाया जा रहा है। नेहरु जी का तर्क था कि, बच्चे देश का भविष्य हैं, इसलिए इन्हें उचित स्नेह और सम्मान देना जरूरी है। बच्चों को सही मार्ग दर्शन दिया जाए ताकि वह अपने पैरों पर खड़े हो सकें। देश और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए बाल दिवस सभी के लिए एक आह्वान स्वरूप है।

बच्चों की शिक्षा

बच्चों का ह्दय बेहद ही कोमल होता है। बड़ों के द्वारा कहे गए कटु वचन या डाट उनके दिमाग पर बुरा असर कर सकती है। बच्चों का आज, देश के आने वाले कल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए उनके क्रियाकलापों, उन्हें दिए जाने वाले ज्ञान और संस्कारों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। इतना ही नहीं बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है। बच्चों को सही शिक्षा, पोषण, संस्कार मिले य‍ह हमारे देश के हित  के लिए काफी जरुरी है, कारण आज के बच्चे ही कल का भविष्य है। जो भी हो वह कार्य के प्रति समर्पित हो तभी देश अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा कर पाएगा।

निष्कर्ष

हमारे देश में बच्चों को बहुत कम आय पर कड़ा श्रम करने के लिए मजबूर किया जाता है। कई बच्चों को आधुनिक शिक्षा नहीं मिल पाती, इसलिए वह शिक्षा में पिछड़ जाते हैं। हमें उन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है जो मुमकिन है जब सभी भारतीय अपनी जिम्मेदारियों को समझें।

बच्चे देश का भविष्य है। यह किसी अनमोल रत्न से कम नहीं है। यह हमारे आने वाले कल की उम्मीद है। बाल दिवस उत्सव उनके भविष्य को संवारने की दिशा में एक अच्छा कदम है।

निबंध 2 (400 शब्द)

प्रस्तावना

बाल दिवस आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के जन्मदिन पर मनाया जाता है। नेहरू का तर्क था कि, बच्चे देश का भविष्य है। जब उनको ये महसूस हुआ कि बच्चे देश का भविष्य है तो उन्होंने अपने जन्मदिन को बाल दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया, ताकि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य की ओर बेहतर तरीके से ध्यान दिया जाए। जिसके बाद से सन् 1956 से ही पूरे भारत में हर साल 14 नवंबर के दिन मनाया जा रहा है।

बाल दिवस क्यों आवश्यक है?

बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को बनाने के लिये उनमें सुधार के साथ देश में बच्चों के महत्व, वास्तविक स्थिति के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से बाल दिवस मनाया जाना आवश्यक है। कारण बाल दिवस भारत के उपेक्षित बच्चों के लिए। बच्चों के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के एहसास के द्वारा उन्हें अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। ये देश में बच्चों के बीते हुई स्थिति और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए उनकी वास्तविक स्थिति क्या होनी चाहिए इस बारे में समााज में जागरूकता फैलाता है। यह तभी संभव है जब समाज के लोग बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से समझें। सभी बच्चों को समानता की नजर से देखें।

बाल दिवस का इतिहास

आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। बाल दिवस नेहरू जी के जन्म दिवस 14 नवम्बर को मनाया जाता है।  नेहरू जी का बच्चों से बेहद ही लगाव था। नेहरू जी का कहना था कि, वह बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे। बच्चों के प्रति उनके इस स्नेह भाव के कारण बच्चे भी उनसे बेहद लगाव और प्रेम रखते थे और उन्हें चाचा नेहरू के सम्मानित नाम से पुकारते थे। यही कारण है कि नेहरू जी के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बाल दिवस कैसे मनाया जाता है?

बाल दिवस के अवसर पर शैक्षणिक संस्थानों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। नैतिक, शारीरिक और मानसिक जैसे हर पहलू में स्कूलों में बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित ढेर सभी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। इस दिन बड़े इस बात की शपथ लेते हैं कि वो कभी अपने बच्चों का तिरस्कार नहीं करेंगे। इस दिन, बच्चों को नए कपड़े, स्वादिष्ट भोजन और किताबें उपहार स्वरूप भेंट की जाती है। इसके साथ ही बच्चों को उनके मौलिक अधिकारों के प्रति भी जागरुक किया जाता है।

निष्कर्ष

बाल दिवस मानने के पीछे एक मुख्य कारण यह भी है कि लोगों को बच्चों के अधिकारों तथा अच्छे पालन-पोषण के विषय में जागरुक भी किया जा सकें। कारण बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं। इसलिये हर किसी को बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिये, जिससे की बाल दिवस का वास्तविक अर्थ सार्थक हो सकें। यह न केवल एक दिन हैं, अपितु यह 364 दिन इसका असर प्रभावी होना चाहिए।

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CHILDREN’S DAY ESSAY IN HINDI

निबंध 3 (500 शब्द)

प्रस्तावना 

स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरु के जन्म उत्सव का स्मरण किए जाने के लिए 14 नवंबर को भारतवर्ष में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाल दिवस स्कूलों में उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। यह भारत के महान नेता को श्रद्धांजलि देने साथ ही पूरे देश में बच्चों का भविष्य संवारने के लिए मनाया जाता है। नेहरु जी का बच्चों के प्रति गहरा स्नेह था इसी के कारण बच्चे उन्हें चाचा नेहरु कहते थे। बच्चों के प्रति उनके प्यार और जुनून की वजह से उनके जन्मदिवस को बचपन को सम्मान देने के लिये बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है। करीब-करीब भारत के सभी राज्यों में इसे राष्ट्रीय स्तर पर हर वर्ष मनाया जाता है।

विद्यालयों में बाल दिवस का कार्यक्रम

बाल दिवस के दिन शिक्षकों के द्वारा बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं जैसे- निबंध लेखन प्रतियोगिता, ग्रीटिंग कार्ड प्रतियोगिता, पोस्टर मैकिंग आदि। बाल दिवस के पूर्व ही स्कूलों में तैयारिया शुरू कर दी जाती है। इस दौरान स्कूल की इमारतों पर रंग-रोगंन किया जाता है। बाल दिवस 14 नवंबर को पंडित जवाहर लाल नेहरु के जन्म दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, क्योंकि उन्हें बच्चे बेहद ही प्यारे थे। भारत को स्वतंत्र कराने में चाचा नेहरू द्वारा दिए गए विशेष योगदान को यादन करने के उद्देश्य से नृत्य, गीत, कविता पाठ हिन्दी अथवा अंग्रेजी में, तथा भाषण आदि आयोजन में स्कूली बच्चे भाग लेते हैं।

प्रतियोगिता में जीतने वाले विद्यार्थियों को स्कूल की ओर से पुरुस्कार भेंट किया जाता है। इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना केवल स्कूल की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सामाजिक और संयुक्त संस्थानों की भी है। बच्चे इस दिन खूब मौज-मस्ती करते हैं क्योंकि वह कोई भी दूसरा रंग-बिरंगा कपड़ा पहन सकते है। उत्सव खत्म होने के बाद विद्यार्थियों को दोपहर के स्वादिष्ट भोजन के साथ मिठाई भी बाँटी जाती है। अपने प्यारे विद्यार्थियों के लिये शिक्षक भी कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते है जैसे ड्रामा, डांस आदि। इस दिन पर शिक्षक बच्चों को पिकनिक पर भी ले जाते है। इस दिन पर बच्चों को सम्मान देने के लिये टीवी और रेडियो मीडिया द्वारा खास कार्यक्रम चलाया जाता है क्योंकि वह देश के भावी भविष्य होते है।

बाल दिवस का कार्यक्रम

बाल दिवस के दिन देश के सभी छोटे- बड़े शहर और गांवों में उत्साह का माहौल होता है। इस दिन स्कूल में पढ़ाई नहीं होती बल्कि  स्कूल के छात्र एक स्थान पर इकट्ठे होते हैं और वहाँ पर अनेक प्रकार के खेल प्रतियोगिता रखे जाते हैं बच्चे शारीरिक व्यायाम का प्रदर्शन भी करते हैं। गीत संगीत नृत्य और नाटक का कार्यक्रम भी रखा जाता है। इसके साथ ही इस दिन चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है। रंग-बिरंगे वस्त्रों में सजे हंसते खेलते बच्चे उत्सव की शोभा को बढ़ाते हैं। बच्चों में पुरस्कार और मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं। पंडित नेहरू जब जीवित थे तो स्वयं इस उत्सव में शामिल होकर बच्चों का उत्साहवर्धन करते थे।

इस दिन कई शैक्षणिक संस्थानों में बाल मेला लगाए जाते हैं। जिसका संचालन स्वयं बच्चे करते हैं। प्रतियोगिताओं को कराने का उद्देश्य बच्चों की क्षमता और प्रतिभा को और बढ़ावा देना है। इस दिन विशेष रूप से गरीब बच्चों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने एवं बाल श्रम तथा बाल शोषण जैसे गंभीर मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया जाता है। ताकि उसे भविष्य में मूर्त रूप दिया जा सकें।

निष्कर्ष

बच्चे हमारे देश का आने वाला भविष्य होते हैं, इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि उनके पालन-पोष्ण पर विशेष ध्यान दें। यहीं कारण है कि बच्चों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए बाल दिवस का यह विशेष कार्यक्रम मनाया जाता है, जिससे की हमने उनके महत्व को समझ सकें और उनके अधिकारों के प्रति अपने कर्तव्य को निभा सकें।

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CHILDREN’S DAY ESSAY IN HINDI

निबंध – 4 (600 शब्द)

प्रस्तावना

बाल दिवस भारतीय बच्चों को समर्पित एक दिवस है। जो आने वाले भारत का भविष्य है। भारत में प्रतिवर्ष बाल दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है, इसे देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर 14 नवंबर को मनाया जाता है। बाल दिवस चाचा नेहरू का बच्चों के प्रति लगाव काे देखते हुए 14 नवंबर को ही मनाए जाने का निर्णय लिया गया। बाल दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज के लोगों भीतर बाल अधिकारों और बच्चों के शिक्षा के प्रति जागरुकता लाना है। यहीं कारण है कि भारत जैसे विकासशील देशों में बाल शोषण और बाल मजदूरी की घटनाओं को देखते हुए, इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

विश्व स्तर पर बाल दिवस का कार्यक्रम

आपकों बता दें कि, बाल दिवस का दिन पूरे विश्व भर में अलग-अलग दिन मानाया जाता है, लेकिन सभी का मकसद बच्चों को उनके मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना होता है। सरल शब्दों में वर्णन करें तो,  बच्चों के अधिकारों के रक्षा करना और  उन्हें बुनायदी सुविधाएं मुहैया करवाना। विश्व में पहली बार बाल दिवस का कार्यक्रम जून 1857 में अमेरिका के मैसाच्युसेट्स शहर में पादरी डॉ चार्ल्सलेनर्ड द्वारा आयोजित किया गया था, हालांकि जून के दूसरे रविवार को आयोजन के कारण इसे पहले इसे फ्लावर संडे का नाम दिया पर बाद में इसके नाम को बदलकर बाल दिवस (चिलड्रेन्स डे) कर दिया गया।

इसी तरह विश्व के विभिन्न देशों में उनकी अलग-अलग धारणा के आधार पर इसे मनाया जाता है। कई यूरोपिय देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है। सभी जगह इसके आयोजन का उद्देश्य एक ही होता है, वह है बाल अधिकारों की रक्षा करने के लिए आगे आना और लोगों में इस विषय के प्रति जागरुकता लाना। यही कारण है कि बाल दिवस का यह कार्यक्रम विश्व भर में इतना लोकप्रिय है और हर देश में काफी उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है।

भारत में बाल दिवस का कार्यक्रम

बाल दिवस के दिन शिक्षकों के द्वारा बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं जैसे- निबंध लेखन प्रतियोगिता, ग्रीटिंग कार्ड प्रतियोगिता, पोस्टर मैकिंग आदि। बाल दिवस के पूर्व ही स्कूलों में तैयारिया शुरू कर दी जाती है। इस दौरान स्कूल की इमारतों पर रंग-रोगंन किया जाता है। बाल दिवस 14 नवंबर को पंडित जवाहर लाल नेहरु के जन्म दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, क्योंकि उन्हें बच्चे बेहद ही प्यारे थे। भारत को स्वतंत्र कराने में चाचा नेहरू द्वारा दिए गए विशेष योगदान को यादन करने के उद्देश्य से नृत्य, गीत, कविता पाठ हिन्दी अथवा अंग्रेजी में, तथा भाषण आदि आयोजन में स्कूली बच्चे भाग लेते हैं।

प्रतियोगिता में जीतने वाले विद्यार्थियों को स्कूल की ओर से पुरुस्कार भेंट किया जाता है। इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना केवल स्कूल की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सामाजिक और संयुक्त संस्थानों की भी है। बच्चे इस दिन खूब मौज-मस्ती करते हैं क्योंकि वह कोई भी दूसरा रंग-बिरंगा कपड़ा पहन सकते है। उत्सव खत्म होने के बाद विद्यार्थियों को दोपहर के स्वादिष्ट भोजन के साथ मिठाई भी बाँटी जाती है। अपने प्यारे विद्यार्थियों के लिये शिक्षक भी कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते है जैसे ड्रामा, डांस आदि। इस दिन पर शिक्षक बच्चों को पिकनिक पर भी ले जाते है। इस दिन पर बच्चों को सम्मान देने के लिये टीवी और रेडियो मीडिया द्वारा खास कार्यक्रम चलाया जाता है क्योंकि वह देश के भावी भविष्य होते है।

बाल दिवस का महत्व

हम में से कई लोग सोचते हैं कि बाल दिवस को इतने उमंग या बड़े स्तर पर मनाने की क्या जरुरत हैं, लेकिन इसे सुनहरे भारत के भविष्य के लिए मनाना बेहद ही जरूरी है। कारण बच्चों को देश का भविष्य माना जाता है। यदि बाल अवस्थ्या में उन्हें उनके अधिकारों और कर्तव्यों के विषय में पता होगा तो वह अपने खिलाफ होने वाले अत्याचारों और शोषण के विरुद्ध आवाज उठा सकेंगे। इसके साथ ही यदि उन्हें इन बातो का ज्ञान रहेगा तो उनके अंदर बुराई और अन्याय के प्रति आवाज उठाने की प्रवृत्ति जागृत होगी।

बाल दिवस को और भी विशेष बनाये

यदि हम चाहे तो कुछ बातों पर अमल करके बाल दिवस के इस दिन को और महत्वपूर्ण बना सकते है:

  1. बाल दिवस को स्कूलों और संस्थानो तक ही सीमित ना रखकर इसका छोटे स्तर पर गरीब और जरुरतमंद बच्चों के बीच आयोजन करना चाहिए ताकि वह भी अपने अधिकारों के विषय में जान सकें।
  2. छोटे बच्चों के मनोरंजक कार्यक्रमों का आयोजन करके।
  3. व्यस्क लोगों और अभिभावकों को बाल अधिकारों के विषय में जागरुक करके।
  4. जरुरतमंद बच्चों में भोजन, खिलौने, पुस्तकें और अन्य जरुरत की वस्तुएं बाटकर।
  5. यदि हम चाहें तो बाल मजदूरी रोकने के लिए जरुरतमंद बच्चों की सहायता कर सकते है और उन्हें शिक्षा का अवसर प्रदान करके तरक्की के ओर अग्रसित कर सकते हैं।

निष्कर्ष

बाल दिवस कोई साधारण दिन नही है, यह हमारे देश के भावी पीढ़ी के अधिकारों का ज्ञान देने के लिए निर्धारित किया हुआ एक विशेष दिन है। भारत जैसे विकासशील देश में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि उभरती हुई अर्थव्यवस्था होने के कारण यहां बाल मजदूरी और बाल अधिकारों के शोषण की नित्य ही कोई ना कोई घटना सुनने को मिलती है। इसलिए यह काफी जरुरी है कि हम ना सिर्फ बच्चों बल्कि उनके अभिभावकों को भी बच्चों के मौलिक अधिकारों के विषय में पूर्ण जानकारी दें और उन्हें इस विषय में अधिक से अधिक जागरुक करने का प्रयास करें।

अन्य देखें : 

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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