भारत देश संस्कृतियों, परम्पराओं और सभ्यताओं को अपने रुप में समेटने वाला देश है. यहां पर हर जाति, हर धर्म के लोग अपने-अपने ईश्वर की भक्ति करते हैं. हिन्दू धर्म में पर्व-त्योहारों का खास महत्व है. इन्हीं त्योहारों में से एक है शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri in Hindi) जिसमें नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ भिन्न-भिन्न रुपों का पूजन किया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना करने से भक्त को हर मुश्किल और परेशानियों से निजात मिलती है.
माता दुर्गा की उपासना के लिए कोई नौ दिनों तक व्रत रखता है तो कोई कन्या भोज करता है. शारदीय नवरात्र भारत के भिन्न-भिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के जिन नौ रुपों की पूजा होती है उनके नाम-
1. ब्रह्मचारिणी
2. कुष्मांडा
3. चंन्द्रघंटा
4. कालरात्रि
5. महागौरी
6. कात्यायनी
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7. स्कन्दमाता
8. शैलपुत्री
9. सिद्धिदात्री
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नवरात्रि में ऐसे करें कलश स्थापना– Shardiya Navratri in Hindi
- नवरात्रि के पहले दिन अल सुबह उठकर नित्य क्रिया करके स्नान करना चाहिए.
- स्नान के तुरंत स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने घर में किसी पवित्र जगह पर एक लकड़ी की चौकी रखें.
- जिसके बाद लकड़ी की चौकी के ऊपर एक लाल रंग का वस्त्र बिछा ले. अब उसके ऊपर भगवतीदेवी या शेरोवाली माता या जो आपकी कुल देवी है, उनकी तस्वीर रख लें.
- जिसके बाद थोड़ा सा जौ लेना है और उसे मिट्टी में या रेत में मिला लेना है. रेत या मिट्टी में मिला कर फिर उसके उपर एक पात्र रखना है और उसके ऊपर स्वच्छ जल से भरा हुआ कलश रखना है.
- कलश पर परंगा बांध लेना है और नारियल पर लाल चुन्नी लपेटकर कलश (Shardiya Navratri in Hindi) के अंदर टहनी रख कर उसके ऊपर नारियल को विराजमान कराए.
- यदि आप नौ दिनों का व्रत कर रहे हैं तो,अखंड ज्योत जला सकते हैं. यदि अखंड ज्योत न जला पाये तो एक पीतल की ज्योत लेनी है और उस ज्योत में आपको रुई की बाती लगाकर शुद्ध देसी घी की ज्योत माता के लिए जलानी है.
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अच्छी तरह से माता रानी की पूजा करें.
- इसी प्रकार नियमित रुप से भगवती देवी की पूजा करने पर वो तुरंत आपकी पूजा से प्रसन्न होंगी और आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगी.
शारदीय नवरात्रि पौराणिक कथा– Shardiya Navratri in Hindi
हिन्दू धर्म के अनुसार शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri in Hindi) को बहुत महत्वपूर्ण दिन माना गया है. अब इसे मनाए जाने के पीछे की कथा को जानते हैं.
महिषासुर नामक एक राक्षस जो ब्रह्मा जी का बहुत बड़ा भक्त था. उसने अपने तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न किया तभी ब्रह्माजी प्रकट हुए और उन्होंने उस राक्षस से वरदान मांगने को कहा. उसने वरदान में यह मांगा कि उसे कोई देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य मार ना पाए. वरदान मिलते ही वह निर्दयी हो गया और तीनों लोकों में आतंक माचने लगा.
उसके आतंक से परेशान होकर देवी-देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ मिलकर मां शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया. उसके बाद मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन मां ने महिषासुर का वध कर दिया. इसे दशमीं कहा जाता है और इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है.
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