Newsधर्म

लोक गायिका करिश्मा राठौड़ से जानिए छठ की महिमा :बोलीं- छठ गीत गाते लगता है, सूर्य हमारे बीच ही हैं

लोक गायिका करिश्मा राठौड़ से जानिए छठ की महिमा :बोलीं- छठ गीत गाते लगता है, सूर्य हमारे बीच ही हैं  |  Karishma Rathore Told The Worship Of Nature In Chhath

पूर्वांचल वासियों का महापर्व छठ के मायने प्रकृति, समाज, परिवार, शुद्धता और स्वच्छता हैं. उपासक छठ पर्व का पूरे वर्ष बेसब्री से इंतजार करते हैं, इसी क्रम में बिहारी लोकगायिका करिश्मा राठौड़ से छठ के मायने के बारे में चर्चा की गई. राठौर ने चर्चा में धर्म और लोकगीतों में छठ की महिमा का बखान किया.

‘केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव…’ गाते हुए लगता है, सूर्य हमारे बीच ही हैं
शारदा करिश्मा राठौर कहती हैं कि प्रकृति से प्रेम, सूर्य और जल की महत्ता का प्रतीक छठ पर्व हमें प्रकृति से जोड़ते हुए पूरे समाज को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है. इस महापर्व पर चढ़ाए जाने वाले केला, दीया, सूथनी, आंवला, बांस का सूप और डलिया कहीं न कहीं हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है. प्रकृति ने अन्न दिया, जल दिया, सूर्य का ताप दिया…छठ में इन सभी को पूजते हैं.

karishma-rathore-told-the-worship-of-nature-in-chhath
Karishma Rathore

राठौड़ चर्चा में बताती हैं कि, उन्होंने अपनी मां से सुना है कि, उनकी दादी सालों पहले घर की नव वधुओं के साथ बैलगाड़ी पर बैठकर घाट जाती थीं. घाट पर गाए जाने वाले छठ गीतों की उस मिठास को आज भी उनकी मां महसूस करती हूं. छठ की प्राचीन कथाओं और किस्सों को सुनकर करिश्मा के मन में भी केलवा के पात पर उगे लन सूरज देव झांकी-झुकी… इस गीत को हर पल गाने का मन करता है. वह बताती है कि, इस पारंपरिक लोक गीत में भगवान सूर्य की महिमा का बहुत ही खूबसूरत चित्रण है. गीत गाते हुए ऐसा लगता है, मानो स्वयं सूर्यदेव भक्तों के बीच आ गए हों.

बताते चले कि, दुनियाभर में 28 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ छठ महावर्व की शुरुआत हो जाएगी. 29 अक्टूबर को खरना मनाया जाएगा. 30 को अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य देव को व्रती अर्घ्य देंगे। और 31 अक्टूबर को उदीयमान यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दे कर छठ व्रत का समापन हो जाएगा.

इसे भी पढ़े : 

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status