Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi: श्री हनुमान चालीसा पाठ, अर्थ और चमत्कारी फायदे
“जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।” – यह पंक्तियाँ केवल शब्द नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों के लिए आस्था, शक्ति और भरोसे का महामंत्र हैं। श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa), गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित एक अद्भुत स्तुति है, जो अवधी भाषा में भगवान हनुमान की महिमा, उनके पराक्रम और उनकी भक्ति का गुणगान करती है। यह रामचरितमानस के बाद सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली रचनाओं में से एक है।
चाहे जीवन में किसी भी प्रकार का संकट हो, मन में भय हो, या किसी कार्य में सफलता की कामना हो, हनुमान चालीसा का पाठ हर परिस्थिति में एक अचूक उपाय माना जाता है। हर बाधा को दूर करने, तनाव मुक्त रहने, शनि के प्रकोप से बचने और मनोकामनाओं की सिद्धि के लिए श्री हनुमान चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी है।
इस लेख में, हम आपको हनुमान चालीसा के संपूर्ण और शुद्ध लिरिक्स (Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi) प्रदान करेंगे। साथ ही, हम इसके प्रत्येक दोहे और चौपाई का सरल हिंदी में अर्थ समझेंगे, इसके पाठ की सही विधि जानेंगे और इसके पाठ से होने वाले चमत्कारी फायदों पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे।
क्यों है हनुमान चालीसा इतनी शक्तिशाली?
हनुमान चालीसा की शक्ति इसके सरल शब्दों और गहरी भक्ति में निहित है।
- सरल और सुलभ: इसे किसी भी उम्र का व्यक्ति आसानी से पढ़ और याद कर सकता है।
- ऊर्जा का स्रोत: इसकी चौपाइयों में एक विशेष लय और ऊर्जा है, जिसके पाठ से शरीर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- तुलसीदास द्वारा रचित: यह स्वयं भगवान राम के अनन्य भक्त गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है, जिससे इसकी प्रामाणिकता और दिव्यता और भी बढ़ जाती है।
- हर समस्या का समाधान: चालीसा की अलग-अलग चौपाइयों में जीवन की विभिन्न समस्याओं (रोग, भय, संकट) का समाधान छिपा है।
श्री हनुमान चालीसा (संपूर्ण लिरिक्स हिंदी में) – Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi
॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥ १ ॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥ २ ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥ ३ ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥ ४ ॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥ ५ ॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जगवंदन॥ ६ ॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥ ७ ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥ ८ ॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥ ९ ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचन्द्र के काज सँवारे॥ १० ॥
लाय सजीवन लखन जियाए।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये॥ ११ ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥ १२ ॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं॥ १३ ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥ १४ ॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥ १५ ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना।
राम मिलाय राज पद दीह्ना॥ १६ ॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥ १७ ॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥ १८ ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥ १९ ॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥ २० ॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥ २१ ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥ २२ ॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तै काँपै॥ २३ ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥ २४ ॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ २५ ॥
संकट तै हनुमान छुडावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥ २६ ॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥ २७ ॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥ २८ ॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥ २९ ॥
साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥ ३० ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥ ३१ ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥ ३२ ॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥ ३३ ॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥ ३४ ॥
और देवता चित्त ना धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥ ३५ ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ ३६ ॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥ ३७ ॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥ ३८ ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ ३९ ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥ ४० ॥
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
श्री हनुमान चालीसा का अर्थ (Meaning of Hanuman Chalisa in Hindi)
यहाँ चालीसा के प्रारंभिक दोहों और कुछ प्रमुख चौपाइयों का सरल अर्थ दिया गया है:
श्रीगुरु चरन सरोज रज…
अर्थ: श्री गुरुदेव के चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके, मैं श्री रघुवीर (राम) के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – इन चारों फलों को देने वाला है।
बुद्धिहीन तनु जानिके…
अर्थ: हे पवनपुत्र! मैं स्वयं को बुद्धिहीन और ज्ञानहीन जानकर आपका स्मरण करता हूँ। आप मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करें तथा मेरे सभी कष्टों और दोषों को हर लें।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर…
अर्थ: हे हनुमान जी, आपकी जय हो! आपका ज्ञान और गुण अथाह सागर के समान है। हे कपीश्वर, आपकी कीर्ति तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) में उजागर है।
राम दूत अतुलित बल धामा…
अर्थ: आप भगवान राम के दूत हैं और अतुलनीय शक्ति के धाम हैं। आपको अंजनी-पुत्र और पवन-पुत्र के नाम से जाना जाता है।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै…
अर्थ: हे महावीर! जहाँ भी आपका नाम लिया जाता है, वहाँ भूत-पिशाच और नकारात्मक शक्तियाँ पास भी नहीं आतीं।
नासै रोग हरै सब पीरा…
अर्थ: हे वीर हनुमान! आपके नाम का निरंतर जप करने से सभी रोग नष्ट हो जाते हैं और सभी प्रकार के कष्ट और पीड़ा दूर हो जाती है।
कैसे करें: हनुमान चालीसा पाठ की सही विधि और नियम
हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए कुछ नियमों का पालन करने से इसका फल शीघ्र और निश्चित रूप से मिलता है।
- चरण 1: शुद्धता: पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ (विशेषकर लाल या नारंगी) वस्त्र धारण करें।
- चरण 2: सही समय और स्थान: पाठ करने के लिए सुबह या शाम का समय सर्वोत्तम माना जाता है। अपने घर के मंदिर या किसी साफ और शांत स्थान पर बैठकर पाठ करें। मंगलवार और शनिवार को पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
- चरण 3: आसन: एक लाल रंग के आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- चरण 4: पूजा: अपने सामने हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। एक घी का दीपक और धूप जलाएं। उन्हें फूल (गुड़हल) और प्रसाद (गुड़-चना या लड्डू) अर्पित करें।
- चरण 5: पाठ का आरंभ: सबसे पहले भगवान गणेश और अपने गुरु का ध्यान करें, फिर भगवान राम का स्मरण करें। इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ भक्तिभाव और स्पष्ट उच्चारण के साथ शुरू करें।
- चरण 6: पाठ की संख्या: अपनी मनोकामना के अनुसार, आप 1, 3, 7, 11 या 100 बार पाठ कर सकते हैं।
- चरण 7: समापन: पाठ समाप्त होने के बाद हनुमान जी की आरती करें और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
हनुमान चालीसा पाठ के 10 चमत्कारी फायदे (Benefits of Reciting Hanuman Chalisa)
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से अनगिनत लाभ होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- भय और संकट से मुक्ति: इसका पाठ करने से हर प्रकार का भय (भूत-प्रेत, शत्रु, अंधकार) दूर होता है।
- रोगों का नाश: “नासै रोग हरै सब पीरा” – यह चौपाई शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाती है।
- शनि दोष से राहत: जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैया का प्रभाव हो, उनके लिए हनुमान चालीसा का पाठ एक अचूक उपाय है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: पाठ करने से आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: यह घर और व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षा कवच का निर्माण करता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: “और मनोरथ जो कोई लावै” – सच्ची श्रद्धा से पाठ करने पर सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
- बुद्धि और विद्या की प्राप्ति: “बल बुधि बिद्या देहु मोहिं” – यह छात्रों और ज्ञान चाहने वालों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
- तनाव और चिंता से मुक्ति: इसका पाठ मन को शांत करता है और तनाव से राहत दिलाता है।
- कार्यों में सफलता: “दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते” – कठिन से कठिन कार्य भी हनुमान जी की कृपा से सरल हो जाते हैं।
- भगवान राम की कृपा: “तुम्हरे भजन राम को पावै” – हनुमान जी की भक्ति करने से भगवान राम की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: हनुमान चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: “जो सत बार पाठ कर कोई” – चौपाई के अनुसार 100 बार पाठ करना महासुखदायी होता है। हालांकि, सामान्य रूप से प्रतिदिन 1, 7 या 11 बार पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है।
प्रश्न 2: क्या महिलाएं हनुमान चालीसा का पाठ कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, बिल्कुल। महिलाएं पूरी श्रद्धा और पवित्रता के साथ हनुमान चालीसा का पाठ कर सकती हैं। इसमें कोई शास्त्रीय रोक-टोक नहीं है।
प्रश्न 3: हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और संकटमोचन अष्टक में क्या अंतर है?
उत्तर: हनुमान चालीसा एक स्तुति है जो हनुमान जी के गुणों का बखान करती है। बजरंग बाण एक अत्यंत शक्तिशाली और तीव्र फल देने वाला ‘बाण’ है जिसका प्रयोग विशेष और गंभीर संकटों में किया जाता है। संकटमोचन अष्टक आठ पदों का एक स्तोत्र है जो विशेष रूप से संकटों से मुक्ति के लिए पढ़ा जाता है।
प्रश्न 4: हनुमान चालीसा का पाठ किस समय करना सबसे अच्छा होता है?
उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) और संध्याकाल (सूर्यास्त के समय) हनुमान चालीसा के पाठ के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माने जाते हैं।
निष्कर्ष
श्री हनुमान चालीसा मात्र एक प्रार्थना नहीं, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवन-पद्धति है जो हमें भक्ति, शक्ति, साहस और समर्पण का मार्ग दिखाती है। कलयुग में, जब जीवन चुनौतियों और संकटों से भरा है, हनुमान चालीसा का पाठ एक ऐसा संबल है जो हमें हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देता है।
इसे अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और देखें कि कैसे पवनपुत्र हनुमान की कृपा से आपके जीवन के सभी “कलेस बिकार” दूर होते हैं और आपका जीवन मंगलमय हो जाता है।
॥ पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥
संदर्भ और प्रेरणा स्रोत (References & Sources of Inspiration)
- Ramcharitmanas by Goswami Tulsidas.
- Vinaya Patrika by Goswami Tulsidas.
- Theological interpretations and discourses by spiritual leaders on the power and meaning of Hanuman Chalisa.