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कोरोना संक्रमित युवक की सांसें थमीं, डाॅक्टर ने 30 मिनट पंप किया, शाॅक देकर लाैटाई जान

-इधर-फेफड़ाें में 75 प्रतिशत संक्रमण के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, 15 दिन में हिम्मत से हराया काेराेना काे
-काेराेना के दाे मामले में जिनमें हाैसलाें के बल पर फिर लाैटा लाए जिंदगी
धार. काेराेना के नए स्ट्रेन में पाेस्ट काेराेना कार्डियक काॅम्प्लीकेशन मतलब कि, हार्ट अटैक जैसी स्थिति भी देखने को मिल रही हैं. फिलहाल काेराेना सिर्फ फेफड़ाें पर ही खून काे गाढ़ा करता था, लेकिन अब खून, हार्ट, मस्तिष्क, आंतों और कीडनी की रक्त नलियाें काे भी गाढ़ा करने लगा है.
जिसके कारण हार्ट अटैक, लकवा, अपच जैसी शिकायतें हाेने लगी हैं. अब मरीज काे बगैर सांस में तकलीफ हुए सीधे-सीधे हार्ट अटैक, लकवा और किडनी फेल्युअर हाेने की परेशानी आने लगी है. हालांकि ऐसा सभी पॉजीटिव मरीजों के साथ नहीं हो रहा हैं.
इधर हार नहीं मानी और 75 प्रतिशत संक्रमण हाेने पर भी काेराेना काे हराकर घर लाैटा मरीज. पढ़े हाैसलाें से ठीक हाेने वाले दाे लाेगाें की कहानी।
मरणासन्न स्थिति से लाैटा मरीज
बीती रात यानी 1 मई 2021, को धार शहर के एक निजी अस्पताल में आहू निवासी 29 वर्षीय अरविंद पाटीदार पाेस्ट काेराेना कार्डियक काॅम्प्लीकेशन की चपेट में आने अचानक हार्ट अटैक का शिकार हो गया. घबराए हुए परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे.
जहां पर ड्यूटी पर माैजूद डाॅ. दीपक नाहर काे बताया कि भारी भाेजन के बाद उसे अचानक सीने में दर्द हाेने लगा. अस्पताल में ही उसे दूसरा दूसरा बड़ा अटैक आ गया. शरीर कड़क हाेकर नीला पड़ गया. मरीज मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुका है.
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स्वस्थ्य हाेने के बाद मुस्कुराता मरीज।
डाॅ. नाहर ने युवक काे कार्डियेक मसाज, ऑक्सीजन और जीवन रक्षक मेडिसीन दी. जिसके बाद भी पाटीदार हाेश में नहीं सका. डाॅ. नाहर ने बताया कि जिसके बाद उसे 200-200 जूल के लगातार छह इलेक्ट्रिक शाॅक दिए गए.  जिससे उसकी धड़कने लाैट आई, फिर भी मरीज बेहाेश था. मस्तिष्क जागृत करने की दवा दी.
साथ ही हार्ट की नलियाें में जमे खून काे पतला करने का इंजेेक्शन भी दिया गया. करीब घंटे बाद मरीज अर्द्ध बेहाेशी की स्थिति में आकर इधर-उधर हाथ-पैर फेंकने लगा. एक घंटे ऑक्सीजन और अन्य जीवन रक्षक दवाइयां शरीर में जाने के बाद मरीज पूर्णत: स्वस्थ्य हाे गया.
ये है पाेस्ट काेराेना कार्डियक काॅम्प्लीकेशन
डाॅक्टर नाहर ने बताया कि, नया काेराेना वायरस का इंसानी शरीर के खून पर सीधा-सीधा असर है. वायरस से संक्रमण के दिन से ही मरीज के शरीर में से पानी की मात्रा खून से अलग हाेने लगती है और खून गाढ़ा हाेने लगता है. धीरे-धीरे रक्त नलिकाएं जमा हाे जाती है. इसके चलते हार्ट अटैक और हार्ट फेल की स्थिति निर्मित होती है. इतना ही नहीं मस्तिष्क में लकवे की स्थिति बनती है और फेफड़ाें में सांस व निमाेनिया, एसिडीटी, कब्ज की स्थिति बनती है.
यह कर सकते हैं बचाव के लिए उपाय
डाॅक्टर नाहर जानकारी देते हुए बताते हैं कि, इस स्थिति संक्रमित व्यक्ति लगातार दिन में करीब 8-10 लीटर पानी पीने पीए. फल, सब्जी खाएं ताकि उनके खून में वायरस द्वारा उत्पन्न कृत्रिम पानी की कमी काे दूर किया जा सके. इस स्ट्रेन में शुरुआती तीन से पांच दिन में रिपाेर्ट निगेटिव आती है, जिसके बाद फिर अगले 28 दिन तक पाॅजिटिव रहती है और बाद में दोबारा निगेटिव हाे जाती है.
चिकित्सकों ने कहा इंदाैर ले जाओ, लेकिन धार में ही कराया इलाज
जिला मुख्यालय में बीते 15 दिन से भर्ती सुरेश पिता हरिराम करवरिया निवासी दंगवाड़ा जिला उज्जैन 1 मई 2021, शनिवार काे काेराेना काे हराकर अपने घर काे लाैटे. मालूम हो कि, सुरेश के फेफड़ें 75 प्रतिशत संक्रमित थे. चिकित्सकों ने गंभीर हालत काे देख इंदाैर ले जाने के लिए कह दिया, लेकिन उन्हाेंने कहा कि मैं ताे यहीं पर इलाज कराउंगा, वे हिम्मत से डटे रहे.
सुरेश के परिजन राजेश सिसाेदिया ने जानकारी देते हुए बताते है कि, उज्जैन में बेड नहीं मिला, वहां तबीयत बिगड़ने लगी, ताे धार उपचार के लिए ले पहुंचे. जांच कराई ताे उनकी रिपाेर्ट पाॅजिटिव निकली. सीटी स्कैन में उनकाे 75 प्रतिशत संक्रमण दिखा.
पूर्व के चार दिन ताे घर पर ही इलाज किया, लेकिन यहां रिकवर नहीं हाे रहे थे ताे जिला अस्पताल में 15 दिन पहले भर्ती कराया. यहां बेड नहीं मिला ताे गलियारे में दाे-तीन दिन गुजारा करना पड़ा. बेड खाली हुआ ताे वहां पर शिफ्ट किया, ऑक्सीजन दी गई.
चिकित्सकों ने बताया कि, फेंफड़ाें में संक्रमण अधिक फैल गया है इंदाैर में उपचार कराओ. फिर भी यहीं पर इलाज कराया. गाेली-दवाई और इंजेक्शन से धीरे-धीरे हालत सुधरने लगी. शनिवार काे पूरी तरह से ठीक हाेकर घर लाैटे.
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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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