दोस्तों पोस्ट में आपको 2023 में बाबा रामदेव जी की बीज (दूज) कब आएगी, दिनांक, वार और महिने के नाम के साथ जानकारी इत्यादि सांझा की है। पोस्ट में आपको 2023 के साथ 2024 की भी बीज दिनांक (ramapir bij date 2023) सूचीबद्ध तरीके से जानने को मिलेगी।
बाबा रामदेव जी का संक्षिप्त जीवन परिचय
Table of Contents
नाम | रामदेव जी (रामसा पीर) |
जन्म | चैत्र सुदी पंचमी, विक्रम संवत 1409, रामदेवरा |
निधन (जीवित समाधी) | भादवा सुदी एकादशी, विक्रम संवत 1442 (33 वर्ष), रामदेवरा |
पिता का नाम | अजमल जी तंवर |
माता का नाम | मैनादे |
समाधी-स्थल | रामदेवरा (रुणिचा नाम से विख्यात) |
पत्नी | नैतलदे |
संतान | सादोजी और देवोजी (दो पुत्र) |
भाई-बहन | भाई-बीरमदेव, बहिन-सगुना और लांछा |
मुख्य-मंदिर | रामदेवरा, जैसलमेर (राजस्थान) |
बाबा रामदेव जी का अवतार चैत्र सुदी पंचमी, विक्रम संवत 1409 को भारत के राजस्थान प्रांत के जैसलमेर जिले के रामदेवरा में हुआ था। इनके पिता का नाम राजा अजमाल जी और माता का नाम रानी मैनादे था।
रामदेवजी के एक बड़े भाई थे, जिनका नाम बीरमदेव था वहीं इनकी दो बहनें भी थी, जिनका नाम सगुना और लांछा था। सगुना बाई का विवाह पुंगलगढ़ के पडिहार राव विजयसिंह के साथ हुआ था।
बाबा रामदेव जी का विवाह अमर कोट के ठाकुर दल जी सोढ़ की पुत्री नैतलदे के साथ संवत् 1426 में हुआ था। रामदेवजी के दो पुत्र थे, जिनका नाम सादोजी और देवोजी था।
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बाबा रामदेव जी की बीज कब है 2023
क्र.सं. | दिनांक | वार | महिना |
01 | 23 जनवरी 2023 | सोमवार | माघ |
02 | 21 फरवरी 2023 | मंगलवार | फाल्गुन |
03 | 23 मार्च 2023 | गुरुवार | चैत्र |
04 | 22 अप्रैल 2023 | शनिवार | वैशाख |
05 | 21 मई 2023 | रविवार | ज्येष्ठ |
06 | 20 जून 2023 | मंगलवार | आषाढ़ |
07 | 19 जुलाई 2023 | बुधवार | अधिक सावन |
08 | 18 अगस्त 2023 | शुक्रवार | सावन (श्रावण) |
09 | 17 सितम्बर 2023 | रविवार | भादवा (भाद्रपद) |
10 | 16 अक्टूबर 2023 | सोमवार | अश्विनी |
11 | 15 नवंबर 2023 | बुधवार | कार्तिक |
12 | 14 दिसंबर 2023 | गुरुवार | मिंगसर (मार्गशीर्ष) |
2023 में भादवा की बीज कब है: साल 2023 में भादवा की बीज 17 सितम्बर को है।
2024 में बाबा रामदेव जी की बीज कब है?
क्र.सं. | दिनांक | वार | महिना |
01 | 13 जनवरी 2024 | शनिवार | पौष |
02 | 11 फरवरी 2024 | रविवार | माघ |
03 | 12 मार्च 2024 | मंगलवार | फाल्गुन |
04 | 10 अप्रैल 2024 | बुधवार | चैत्र |
05 | 09 मई 2024 | गुरुवार | वैशाख |
06 | 08 जून 2024 | शनिवार | ज्येष्ठ |
बाबा रामदेव जी की आरती का समय
पोस्ट के जरिए एक सूची के रूप में हमारे द्वारा बाबा रामदेव जी के मंदिर में होने वाली सभी आरतियों का संक्षिप्त विवरण समय सहित दिया है। मुख्य रूप से यही समय रहता है लेकिन मौसम के अनुसार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए इसमें परिवर्तन किया जाता है।
क्र.सं. | आरती का नाम | आरती का समय |
01 | मंगला आरती | सुबह 05:00 बजे |
02 | भोग आरती | सुबह 08:00 बजे |
03 | श्रृंगार आरती | अपराह्न 04:00 बजे |
04 | संध्या आरती | सायं 07:00 बजे |
05 | शयन आरती | रात्रि 09:00 बजे |
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बाबा रामदेव जी का बीज मंत्र
नम्रो भगवते नेतल नाथाय, सकल रोग हराय सर्व सम्पति कराय,
मम मनोभिलाषितं देहि देहि कार्यम् साधय, ॐ नमो रामदेवाय स्वाहा।।
बाबा की बीज का व्रत रखने की विधि
हिंदू धर्म में किए जाने वाले व्रत या उपवास धार्मिक आस्था को बढ़ावा देने के साथ ही, स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण सिद्ध होते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए महान संत बाबा रामदेव जी ने अपने अनुयायियों को दो व्रत रखने का आदेश उपदेश दिया।
प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की दूज व एकादशी बाबा की दृष्टि में व्रत के लिए बेहद ही उत्तम तथि थी और बाबा के अनुयायी आज भी इन दो तिथियों को बड़ी श्रद्धा से व्रत रखते हैं। दूज (बीज) के दिन से चन्द्रमा में बढ़ोतरी होने लगती है।
यही कारण है कि दूज को बीज की संज्ञा दी नई है। बीज अर्थात विकास की अपार संभावनाएं वट वृक्ष के छोटे से बीज में उसकी विशाल शाखाएं, जटाएं, जड़ें, पत्ते व फल समाहित रहते हैं। इसी कारण बीज भी आशावादी प्रवृति का घोतक है और दूज को बीज का स्वरूप देते हुए बाबा ने बीज व्रत का विधान रचा ताकि उत्तरोतर बढ़ते चंद्रमा की तरह ही ब्रत करने वाले के जीवन में आशावादी प्रवृति का संचार हो सके।
अलसुबह नित्कयर्म से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र धारण करें। (इससे पूर्व रात्रि व दूज की रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करें) फिर घर में बाबा के पूजा स्थल पर पगलिये या प्रतिमा जो भी आपने प्रतिष्ठित कर रखी हो, उसका कच्चे दूध व जल से अभिषेक करें और गूगल धूप खेवें।
जिसके बाद पूरे दिन अपने नित्य कर्म बाबा को हर पल याद करते हुए करें, पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीँ करें। चाय, दूध, कॉफी व फलाहार लिया जा सकता है।
वैसे तो बीज ब्रत में व अन्य व्रतों में कोई फर्क नहीं है, मगर बीज का व्रत सूर्वास्त के बाद चन्द्रदर्शन के बाद ही छोड़ा जाता है। यदि बादलों के कारण चन्द्रदर्शन नहीं हो सके तो बाबा की ज्योति का दर्शन करके भी व्रत छोड़ा जा सकता है। व्रत छोड़ने से पहले साफ लोटे में शुद्ध जल भर लेवें और देशी घी की बाबा की ज्योति उपलों के अंगारों की करें।
इस ज्योति में चूरमे का बाबा को भोग लगावें। जल वाले लोटे में ज्योति की थोड़ी भभूति मिलाकर पूरे घर में छिड़क देवें। तत्पश्चात शेष चरणामृत का स्वयं भी आचमन करें व वहां उपस्थित अन्य लोगों को भी चरणामृत दें। चूरमे का प्रसाद लोगों को बांट देवें।
इसके बाद पांच बार बाबा के बीज मंत्र का मन में उच्चारण करके व्रत छोड़ें। इस तरह पूरे मनोयोग से किये गये व्रत से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। किसी भी विपति से रक्षा होती है व रोग-शोक से भी बचाव होता है।
निष्कर्ष
यहाँ पर बाबा रामदेव जी की बीज कब है 2023 (बाबा की बीज कब है) के बारे में विस्तार से जानकारी शेयर की है। उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरुर करें। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।
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