NagdaNews

केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत आज भी जमीन पर गद्दा बिछाकर ही सोते हैं

राज्यपाल थावरचंद गेहलोत आज भी जमीन पर गद‌्दा बिछाकर ही सोते हैं । union minister thawar chand gehlot still sleeps by laying a mattress on the ground

Nagda News.  मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा शहर के एक सामान्य परिवार में जन्मे थावरचंद गेहलोत ने ग्रेसिम उद्योग में श्रमिक के रूप में काम किया. श्रमिक रुप में कार्य करते हुए गेहलोत मजदूरों की लड़ाई लड़ते हुए श्रमिक नेता बने और राजनीति में कदम रखा. बेहद ही सरल व्यवहार के कारण उन्हें केंद्र में मंत्री का दायित्व मिला. अब कर्नाटक के राज्यपाल के रूप में नई जिम्मेदारी मिली है. गेहलोत सप्ताह के हर शनिवार-रविवार नागदा में बिताना पसंद करते हैं. आपकों जानकर हैरानी होगी कि, जब भी आते हैं तो पुराने घर में जमीन पर गद्दा डालकर सोते हैं.

मालूम हो कि कुछ समय पूर्व गेहलोत का नाम राष्ट्रपति की दौड़ में भी था, लेकिन राजनीतिक समीकरण के चलते वह राष्ट्रपति नहीं बन सके. मजदूर हितैषी आंदोलन से जुड़े होने के कारण उन्हें ग्रेसिम उद्योग से बाहर कर दिया गया लेकिन तब तक समाजसेवा और निचले तबके की आवाज उठाने का जुनून उनके दिल में घर कर गया था. भारतीय जनसंघ में सदस्य के रूप में उन्होंने 1962 से लेकर 1977 तक कार्य किया.

nagda-news-union-minister-thawar-chand-gehlot-still-sleeps-by-laying-a-mattress-on-the-ground
करीब 30 वर्ष पहले की यह तस्वीर है, जिसमें वह श्रमिकों को जागरूक करते हुए भाषण दे रहे हैं।

श्रमिक आंदोलनों के लिए कई बार जाना पड़ा जेल, मीसाबंदी भी रहे

केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत ने 1965 से 1970 तक नागदा की ग्रेसिम इंडस्ट्रीज में श्रमिक के रूप में कार्य किया. 1965 से 1975 तक वह ग्रेसिम इंडस्ट्रीज इंजीनियरिंग श्रमिक संघ में सचिव और ग्रेसिम केमिकल श्रमिक संघ में कोषाध्यक्ष के पद पर कार्य करते रहे. 1966 से 1970 के दौरान अनेकों श्रमिक आंदोलनों के कारण उन्हें कई बार हिरासत में लिया गया और जेलों में भी रखा गया.

1971 में 9 महीनों के लिए उन्हें न्यायिक हिरासत में भैरवगढ़ जेल उज्जैन में रखा गया. 1975-76 में इमरजेंसी के दौरान आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (एमआईएसए) मीसा कानून के तहत उन्हें जेल में रखा गया.

जो जिम्मेदारी मिली है, उसे कर्तव्यनिष्ठा से निभाऊंगा

कर्नाटक के राज्यपाल बनाए जाने के बाद डॉ. थावरचंद गेहलोत ने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसे में पूरी ईमानदारी से निभाऊंगा. कर्नाटक में भाषीय समस्या आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं दो बार कर्नाटक का प्रभारी रह चुका हूं.

तब भी वहां भाषा को लेकर कोई समस्या नहीं आई थी. इसलिए अब भी भविष्य में इस प्रकार की कोई समस्या नहीं आएगी. 13 और 14 जुलाई 2021 को उनके कर्नाटक जाने की संभावना है. इसके बाद 15 जुलाई 2021 को राज्यपाल बनने के बाद वह नागदा आ सकते हैं.

18 मई 1948 को नागदा के ग्राम रुपेटा में जन्मे थावरचंद गेहलोत के पिता रामलाल भी ग्रेसिम उद्योग में श्रमिक थे. विक्रम विश्वविद्यालय से गेहलोत ने स्नातक तक की शिक्षा ली है. वर्ष 2016 में उन्हें डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक विश्वविद्यालय महू द्वारा डी.लिट. की उपाधि दी गई. उनके पुत्र जितेंद्र गेहलोत भी आलोट से विधायक रह चुके हैं.

newsmug.in

इसे भी पढ़े :

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2024 Amarnath Yatra Start and End Date 2024 बाइक शायरी – Bike Shayari Tribal leader Mohan Majhi to be Odisha’s first BJP CM iOS 18 makes iPhone more personal, capable, and intelligent than ever चुनाव पर सुविचार | Election Quotes in Hindi स्टार्टअप पर सुविचार | Startup Quotes in Hindi पान का इतिहास | History of Paan महा शिवरात्रि शायरी स्टेटस | Maha Shivratri Shayari सवाल जवाब शायरी- पढ़िए