Holika dahan shubh muhurat aur katha : रंगों का त्योहार होली हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन बाद मनाया जाता है। होली (Holi 2023) के एक दिन पहले पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलिका दहन (Holika dahan 2023) 7 मार्च 2022 को है फिर उसके एक दिन बाद 8 मार्च को होली खेली जाएगी।
होली पर्व भारत के साथ अन्य देशों में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. रंगो के इस पावन त्योहार का हिंदू धर्म में बेहद ही अधिक महत्व है.(Holi Dahan Muhurt Or Upaye) इसे रंगो का त्योहार कहा जाता हैं. इस दिन लोग एक- दूसरे को रंग लगाते हैं और पर्व की शुभकामनाएं देते है. रंग खेलने से एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है. सनातन पंचांग के अनुसार होली का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है.
पूरे भारत में यह त्योहार उल्लास से मनाया जाता है. वैसे तो हर त्यौहार का अपना एक रंग होता है जिसे आनंद या उल्लास कहते हैं लेकिन हरे, पीले, लाल, गुलाबी आदि असल रंगों का भी एक त्यौहार पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के मानने वाले मनाते हैं.
एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है जिसे छोटी होली के नाम से जाना जाता हैं, दूसरे दिन रंगों से होली खेली जाती है, सब एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और रंगोत्सव का आनंद लेते हैं. मालूम हो कि, श्री कृष्ण जन्मस्थली नगरी मथुरा-वृंदावन में तो एक सप्ताह पहले से ही होली की शुरुआत हो जाती है.
मथुरा की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इसमें भाग लेने के लिए पूरे देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं. वहीं बरसाना की लट्ठमार होली का भी अपना ही अलग महत्व होता है. इसे देखने के लिए लोग पूरे साल उत्सुक रहते हैं. तो आइये यहां जानते हैं कि साल 2021 में कब मनाई जाएगी होली ….
कब होगा होलिका दहन ?
Table of Contents
07 मार्च, रविवार को होलिका दहन किया जाएगा।
कब मनाई जाएगी होली :
08 मार्च, सोमवार को रंगो का पर्व होली मनाई जाएगी।
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होलिका दहन 2023 शुभ मुहूर्त और तिथि
Holika Dahan 2023 Shubh Muhurat
07 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम को 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है. इस दिन होलिका दहन का कुल समय 02 घंटे 27 मिनट तक है. इस समय में होलिका पूजा होगी और फिर होलिका में आग लगाई जाएगी.
होली पूजा का महत्व :
हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति आदि के लिए महिलाएं इस दिन होलिका की पूजा करती हैं. होलिका दहन के लिए मंडलों द्वारा एक माह पूर्व से तैयारियां शुरू कर दी जाती है. कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को एकत्र किया जाता है. जिसके बाद शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है. इस दिन होगा होलिका दहन: इस साल 07 मार्च, 2023 को होलिका दहन किया जाएगा. इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा के बाद होलिका दहन किया जाएगा.
होलिका दहन कथा :
सनातन धर्म में मान्यता है कि होलिका दहन की परंपरा भक्त और भगवान के संबंध का अनोखा एहसास है.पौराणिक कथा के अनुसार भारत में असुरराज हिरण्यकश्यप राज करता था. जिनके पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था, लेकिन हिरण्यकश्यप विष्णु द्रोही था.
हिरण्यकश्यप ने पृथ्वी पर घोषणा कर दी थी कि कोई देवताओं की पूजा नहीं करेगा. केवल उन्हीं की पूजा होगी, लेकिन भक्त प्रहलाद ने पिता की आज्ञा पालन नहीं किया और भगवान की भक्ति लीन में रहा.
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हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद की हत्या कराने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह असफल रहे. आक्रोशित होकर उन्होंने बहन होलिका की सहायता ली. होलिका को वरदान मिला था, वह अग्नि से जलेगी नहीं.
योजना अनुसार होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान ने भक्त प्रहलाद की सहायता की. इस आग में होलिका तो जल गई और भक्त प्रहलाद सही सलामत आग से बाहर आ गए. जिसके बाद से होलिका दहन की परंपरा है। होलिका में सभी द्वेष भाव और पापों को जलाने का संदेश दिया जाता है.
होलिका दहन के उपाय :
- होलिकादहन शनि-राहु-केतु के दोषों से मुक्ति मिलती है.
- होलिका भस्म का तिलक लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है.
- घर में भस्म चांदी की डिब्बी में रखने से कई बाधाएं अपने आप चली जाती है और समृद्धि आती है.
- कार्य में बाधाएं आने पर आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर कुछ दाने काले तिल के डालकर एक बताशा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालें.
- होली की अग्नि से जलाकर घर पर से ये पीड़ित व्यक्ति पर से उतारकर सुनसान चौराहे पर रखकर बिना पीछे मुड़े घर वापस लौटे. जिसके बाद हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश करें.
- जलती होली में तीन गोमती चक्र हाथ में लेकर अपने (अभीष्ट) कार्य को 21 बार मानसिक रूप से कहकर गोमती चक्र अग्नि में डाल दें तथा प्रणाम कर वापस आएं।
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