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भारत के पौराणिक इतिहास से जुड़ी है ब्रह्मपुत्र नदी, जानें क्यों

भारत के पौराणिक इतिहास से जुड़ी है ब्रह्मपुत्र नदी, जानें क्यों ? brahmaputra river is associated with ancient indias history in hindi 

भारत वर्ष की सबसे लंबी नदियों में से एक ब्रह्मपुत्र नदी हैं. इसकी लंबाई 2700 किलोमीटर है. नदी के सफर की बात करें तो यह  तिब्बत स्थित पवित्र मानसरोवर झील से निकलने वाली सांग्पो नदी पश्चिमी कैलाश पर्वत के ढाल से नीचे उतरती है तो ब्रह्मपुत्र कहलाती है. तिब्बत के मानसरोवर से निकलकर बाग्लांदेश में गंगा में मिलने पर इसे पद्मा नदी कहा जाता है. जिसके बाद मेघना नदी के रुप में सागर में जाकर मिलती है. इस प्रकार भारत ही नहीं एशिया की सबसे बड़ी नदी ब्रह्मपुत्र को ही कहा जाता है. इस प्रकार नदी कुल 2906 किलोमीटर लंबी यात्रा करती है. यह पूर्वोत्तर भारत और बंगाल की प्रमुख नदी है.चीन में ब्रह्मपुत्र नदी को है या लूट या कुंग फू यिंग कहते हैं.

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इसलिए पड़ा ब्रह्मपुत्र 

सिंधु नदी के समान ही ब्रह्मपुत्र नदी पश्चिमी कैलाश मानसरोवर झील से ढाल से नीचे उतरती है. इसलिए इसे ब्रह्मपुत्र नाम दिया गया. हिमालय से निकलने वाली नदियों में सिंधु, सरस्वती और गंगा के बाद तीसरे नंबर पर ब्रह्मपुत्र नदी का नाम आता है. यह भारत और बंगाल की प्रमुख नदी है. इसकी कई सहायक नदियां है. ब्रह्मपुत्र नदी कई संस्कृति और सभ्यताओं का मिलन स्थल भी है.

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ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र का चित्र

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ब्रह्मपुत्र नदी के हैं कई नाम

ब्रह्मपुत्र नदी के कई नाम हैं. डिब्रूगढ़ में इसका मीलों लंबा पाट इसकी विशालता को दर्शाता है तो गुवाहाटी में दोनों ओर की पहाड़ियों के बीच से गुजरने के लिए यह अपना आकार छोटा कर लेती है. फिर नीलाचल पहाड़ स्थित माता कामाख्या  मंदिर से गुजरकर ब्रह्मपुत्र नदी अपने प्रचंड आकार ले लेती है.असम के अधिकांश बड़े शहर इसी के किनारे विकसित हुए है. जैसे- डिब्रूगढ़, जोरहाट, तेजपुर, गुवाहाटी, धुबड़ी और ग्वालपाड़ा ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे हुए हैं. ब्रह्मपुत्र की पांच उपनदियां है-सुवनश्री, तिस्ता,तोर्सा, लोहित, बराक.

भारत के प्राचीन इतिहास को समेटे हुए हैं ब्रह्मपुत्र नदी

भारत को ब्रह्मपुत्र के सांस्कृति और धार्मिक इतिहास को संवरक्षित किए जाने की आवश्यकता है. यह नदी भी सिंधु सभ्यता की नदी से कोई कम नहीं है. मानव सभ्यता की शुरुआत यानी आदिमानव इसी नदी के आसपास रहते थे.इस नदी क्षेत्र में सैकड़ों गुफाएं, घने जंगल और कई प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष पाएं जाते हैं.

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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