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चीन का इतिहास और रोचक जानकारी | China History in Hindi

चीन का इतिहास और रोचक जानकारी | China History in Hindi

China / चीन देश किसी परिचय का मोहताज नहीं है। दुनिया का बच्चा-बच्चा चीन के नाम से परिचित है। चीन का पूरा नाम ‘चीनी जनवादी गणराज्य’ (People republic of china) हैं, पूर्वी एशिया में मौजूद चीन देश की राजधानी का नाम बीजिंग हैं। चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक रहा हैं। विशेष बात यह है कि, फिलहाल चीन दुनिया के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश की सूची में पहले स्थान पर है. इतना ही नहीं 96,41,144 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले होने के कारण यह रूस और कनाडा के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्रफल देश है। इतने विशालकाय क्षेत्रफल होने के कारण चीन की सीमा 15 देशो से लगी हैं।

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China History in Hindi

चीन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी – China information in hindi

आपकों जानना जरूरी है कि, चीन दुनिया का पहला देश है जिसने काजग निर्माण की शुरुआत की थी। ऐतिहासिक दृष्टि से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर हमेशा से देखने को मिला है। चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशो में भिन्न-भिन्न स्तर तक अपनाया गया है। चीन के रहवासी अपनी भाषा को ‘चंगक्यूह’ कहते हैं। कदाचित इसीलिये भारत तथा फ़ारस के प्राचीन निवासियों ने इस देश का नाम अपने यहाँ ‘चीन’ रख लिया था।

दोस्तों आगे बताते चले कि, चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना 1 अक्टूबर, 1949 को हुआ, जब साम्यवादियों ने गृहयुद्ध में कुओमीन्तंग पर जीत हासिल की थी। कुओमिन्तांग की पराजय के बाद वह लोग ताइवान या चीनी गणराज्य को चले गए और मुख्यभूमि चीन पर साम्यवादी दल ने साम्यवादी गणराज्य की स्थापना की। लेकिन चीन, ताईवान को अपना स्वायत्त क्षेत्र कहता है जबकि ताइवान का प्रशासन स्वयं को स्वतन्त्र राष्ट्र कहता है। चीनी जनवादी गणराज्य और ताइवान दोनों अपने-अपने को चीन का वैध प्रतिनिधि कहते हैं।

China ki sabhyata in Hindi

चीन विश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक का किताब अपने नाम करा रखा है, जो वर्तमान में भी अस्तित्व में है। कई शोध से पता चला है कि,चीन देश की सभ्यता 5,000 वर्षों से भी पुरानी है। इन दिनों यह एक “समाजवादी गणराज्य” है, जिसका नेतृत्व एक दल के हाथों में है, जिसका देश के 22 प्रांत, 5 स्वायत्तशासी क्षेत्रों, 4 नगरपालिका और 2 विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों पर नियन्त्रण है।

चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य भी मनोनीत है। विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक और दूसरा सबसे बड़ा आयातक है और एक मान्यता प्राप्त नाभिकीय महाशक्ति है। चीनी साम्यवादी दल के अधीन रहकर चीन में “समाजवादी बाज़ार अर्थव्यवस्था” को अपनाया जिसके अधीन पूञ्जीवाद और अधिकारवादी राजनीतिक नियन्त्रण सम्मित्लित है। पूरी दुनिया के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक ढाँचे में चीन को 21वीं सदी की अपरिहार्य महाशक्ति के रूप में माना और स्वीकृत किया जाता है।

चीन का परिदृश्य विशाल और विविध है। हिमालय, काराकोरम, पामीर और तियन शान पर्वत श्रंखला चीन को दक्षिण और मध्य एशिया से अलग बनाते है। चीन की यांग्तज़े और पिली नदी, क्रमशः दुनिया की तीसरी और छठी सबसे लंबी नदी है, जो तिब्बतन प्लाटौ से शुरू होकर पूर्वी समुद्र-तट तक बहती है। चीन का समुद्र तट प्रशांत महासागर के साथ 14,500 किलोमीटर लम्बा और बोहाई, पूर्वी चीन और दक्षिण चीन के समुद्रो से घिरा हुआ है।

यहाँ की मुख्य भाषा चीनी है जिसका पाम्परिक तथा आधुनिक रूप दोनों रूपों में उपयोग किया जाता है। प्रमुख नगरों में बीजिंग (राजधानी), शंघाई (प्रमुख वित्तीय केन्द्र), हांगकांग, शेन्ज़ेन, ग्वांगझोउ इत्यादी हैं।

इसकी सीमाएं रूस, मंगोलिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम, लाओस, म्यान्मार, भारत, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, अफ़्गानिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और कज़ाख़िस्तान। उत्तर पूर्व में जापान और दक्षिण कोरिया मुख्य भूमि से दूरी पर स्थित हैं।

चीन का इतिहास – China History in Hindi

चीन देश का दावा है कि, उनके पास चार हज़ार वर्ष पुराना लिखित इतिहास संचित है। यहां विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक ग्रन्थ और पुरातन संस्कृति के अवशेष विभिन्न प्रकार की खोज में पाए गए हैं। विश्व के अन्य देशों के समान चीनी देश भी अपने विकास के दौरान आदिम समाज, दास समाज और सामन्ती समाज के कालों से गुजरा था। ऐतिहासिक विकास के इस लम्बे दौर में, चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की परिश्रमी, साहसी और बुद्धिमान जनता ने अपने संयुक्त प्रयासों से एक शानदार और ज्योतिर्मय संस्कृति का सृजन किया, तथा समूची मानवजाति के लिये भारी योगदान भी किया।

इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता है कि, चीन और भारत के व्यापारिक तथा सांस्कृतिक संबंध दशकों पुराने हैं। पुराने सयम से ही चीन का रेशमी कपड़ा भारत में मंगवाया जाता था। महाभारत, सभापर्व में कीटज तथा पट्टज कपड़े का चीन के संबंध में उल्लेख है। इस प्रकार का वस्त्र पश्चिमोत्तर प्रदेशों के अनेक निवासी (शक, तुषार, कंक, रोमश आदि) युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भेंट स्वरूप लाए थे।

चीन का पहला प्रत्यक्ष राजवंश था – शांग राजवंश, जो पूर्वी चीन में 18 से 12 वीं सदी इसा पूर्व में पीली नदी के किनारे बस गए। 12 वीं सदी ईसा पूर्व में पश्चिम से झाऊ शासकों ने हमला किया और उनके क्षेत्रों पर अधिकार किया। इन्हें 5 वीं सदी ईसा पूर्व तक राज किया था इसके बाद चीन के छोटे राज्यों में आपसी संघर्षों में भिड़ गए। 221 ईसा पूर्व में किन राजाओं ने चीन का पहली बार एकीकरण किया। इन्हें राजा का कार्यालय स्थापित किया और चीनी भाषा का मानकीकरण किया।

220 से 206 ईसा पूर्व तक हान राजवंश के शासकों ने चीन पर राज किया और चीन की संस्कृति पर अपनी असल छाप छोड़ी। यह प्रभाव अब तक मौजूद है। हानों के पतन के बाद चीन में फिर से अराजकता का दौर आ गया। सुई राजवंश ने 580 ईस्वी में चीन का एकीकरण किया था, जिसके कुछ ही वर्षों बाद (614 ई।) यह राजवंश का पतन हो गया।

फिर थांग और सोंग राजवंश शासन के दौरान चीन की संस्कृति और विज्ञान अपनी चरम पर पहुंच गया। सातवीं से बारहवीं सदी तक चीन विश्व के सबसे सुसंस्कृत देश बन गए। 1271 में मंगोल सरदार कुबलय खां ने युआन राजवंश की स्थापना की जो 127 9 तक सोंग वंश के सत्ता से हटकर अपनी सत्ता की स्थापना की। एक किसान ने 1368 में मंगोलों को भगा दिया और मिंग राजवंश की स्थापना की जो 1664 तक चला। मंचु लोगों द्वारा स्थापित क्विंग राजवंश ने चीन पर 1911 तक राज किया जो चीन का अंतिम धर्म शासक था।

युद्ध कला में मध्य एशियाई राष्ट्रों से आगे निकल जाने के कारण चीन ने मध्य एशिया पर अपनी प्रभुता जमा की, लेकिन साथ में साथ ही वह यूरोपीय शक्तियों के समक्ष कमजोर हो गए थे। चीन शेष विश्व के प्रति सतर्क हुआ और उसने यूरोपीय देशों के साथ व्यापार का रास्ता खोल दिया। ब्रिटिश, भारत और जापान के साथ युद्धों और गृहयुद्धों ने क्वंग राजवंश को कमजोर कर डाला।

1911 में डॉ. सन यत-सेन के नेतृत्व में राष्टरवादियों ने राजशाही के खिलाफ विरोध करके सत्ता पर कब्जा कर लिया और अंतरिम चीनी गणराज्य की स्थापना की। डॉ. सन गणराज्य के प्रथम राष्टरपति बने। इसके पश्चात् देश में अशांति का माहौल रहा। जल्दी ही जनरल चियांग काई-शेक ने कम्युनिस्टों की मदद से अधिकांश चीन पर कब्जा कर लिया और 1928 में क्योमिंतांग की स्थापना की। 1931-45 – जापान पर हमला किया गया और चीन के ज्यादातर भागो में क्रूर शासन की स्थापना की गयी।

1949 तक चीन की मुख्यभूमि पर शासन किया था और अंततः चीनी सिविल वॉर में चाइना की कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे पराजित किया था। कम्युनिस्ट पार्टी ने बीजिंग में 1 अक्टूबर 1949 को जब ROC सरकार ताइवान में पुनर्स्थापित हो गयी थी तब पीपल रिपब्लिक ऑफ़ चाइना की स्थापना की थी।

कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों की वजह से 1960 के दशक के दौरान चीन को भयानक सूखे का सामना करना पड़ा जिसमें 2 करोड़ लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। 1965 में चीन ने तिब्बत को अपना स्वायत्त प्रांत घोषित कर दिया।

1978 में आर्थिक सुधार के शुरू से ही, चीन दुनिया के सबसे तेज़ विकसित देशो में शामिल हो गया। कम्युनिस्ट पार्टी ने सुधारवादी रवैया अपनाया और पश्चिमी तकनीक और प्रबंधन कौशल पर जोर दिया।

998 में प्रधानमंत्री झू रोंगजी ने राज्य संचालित कंपनियों के निजीकरण के लिए आॢथक उदारीकरण की नीति लागू की। 1 जुलाई, 1997 को ब्रिटेन ने हाँगकाँग चीन को वापस कर दिया। 1999 में पुर्तगाल ने भी मकाओ चीन को वापस कर दिया। नवम्बर 2001 में चीन को विश्व व्यापार संगठन में प्रवेश दे दिया गया।

चीन के अर्थव्यवस्था विश्व की सर्वाधिक तेजी से आगे बढऩे वाली अर्थव्यवस्था है। इसकी औसत विकास दर पिछले 30 वर्षों में 10′ के करीब रही है।  2014 में चाइना जीडीपी दर के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना और पी.पी.पी (परचेसिंग पॉवर पैरिटी) दर के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा देश बना।

बौद्ध धर्म का प्रचार – Bodhidharma in china

चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार चीन के हान वंश के सम्राट मिगंती के शासन काल में (65 ई.) हुई थी। उन्हाेंने स्वप्न में सुवर्ण पुरुष बुद्ध को देखा और तदुपरांत अपने दूतों को भारत से बौद्ध सूत्रग्रन्थों और भिक्षुओं को लाने के लिए भेजा। परिणामस्वरूप, भारत से ‘धर्मरक्ष’ और ‘काश्यपमातंग’ अनेक धर्मग्रन्थों तथा मूर्तियों को साथ लेकर चीन पहुंचे और वहां उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की। धर्मग्रन्थ श्वेत अश्व पर रख कर चीन ले जाए गए थे, इसलिए चीन के प्रथम बौद्ध विहार को श्वेताश्वविहार की संज्ञा दी गई। भारत-चीन के सांस्कृतिक संबंधों की जो परंपरा इस समय स्थापित की गई थी, उसका पूर्ण विकास आगे चल कर फ़ाह्यान (चौथी शती ई.) और युवानच्वांग (सातवीं शती ई.) के समय में हुआ, जब चीन के बौद्धों की सबसे बड़ी आकांक्षा यहां रहती थी कि किसी प्रकार भारत जाकर वहां के बौद्ध तीर्थों का दर्शन करें और भारत के प्राचीन ज्ञान और दर्शन का अध्ययन कर अपना जीवन समुन्नत बनाएं। उस काल में चीन के बौद्ध, भारत को अपनी पुण्यभूमि और संसार का महानतम सांस्कृतिक केंद्र मानते थे।

China ke Rahasya in Hindi

  • चीन पूरी दुनिया में कठोर सज़ा के लिए जाना जाता हैl चीन में जब किसी को मौत की सज़ा दी जाती है, तो उन्हें घातक इंजेक्शन लगाया जाता है या गोलीयों से भून दिया जाता है।
  • चीन हमेशा अपने रिपोर्ट छिपाता हैंl लेकिन चीनी लोगों के बारे में विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक 100 मिलियन से अधिक लोग निराश्रित हैं और प्रतिदिन 1 डॉलर से भी कम आमदनी में गुजारा करते हैं।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चीन में प्रतिबंध है क्योंकि वहां करीब 3000 वेबसाइटों को इंटरनेट सेंसरशिप की नीति के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है।
  • चीन के शानक्सी प्रांत के लोग गुफा खोद कर रहने के लिए जाने जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र मानव निपटारा कार्यक्रम की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में गुफा में रहने वाले लोगों की संख्या लगभग 35 मिलियन है।
  • चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शासको के द्वारा उत्तरी हमलावरों से रक्षा के लिए पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक बनवाया गया। इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इस मानव निर्मित ढांचे को अन्तरिक्ष से भी देखा जा सकता है।

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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