रामायण से जुड़े 21 रोचक तथ्य जो आपको जानना चाहिए | 21 facts related to Ramayana that you should know

रामायण से जुड़े 21 रोचक तथ्य जो आपको जानना चाहिए | 21 facts related to Ramayana that you should know

रामायण सनातन संस्कृति की अनूठी देन है। हिंदू धर्म में इसे पवित्र ग्रंथ के रूप में पूजा जाता हैं। हिन्दू धर्म में रामायण का सर्वोच्च स्थान है, कारण रामायण मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से सबंधित है। सनातन संस्कृति में, भगवान श्रीराम और महाकाव्य ‘रामायण’ उच्च स्थान पर रखा जाता है। बताते चले कि, मूल रामायण की रचना ‘ऋषि वाल्मीकि’ ने की थी, जो संस्कृत भाषा में लिखी गई है, लेकिन कई अन्य ऋषि मुनियों और वेद पंडितों जैसे तुलसी दास, संत एक नाथ आदि ने भी इसके अन्य संस्करणों की रचना की है, जो हिंदी के सरल शब्दों में लिखी गई है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इसे संस्कृति से सरल भाषा में किया गया था।

रामायण से जुड़े 21 रोचक तथ्य जो आपको जानना चाहिए | 21 facts related to Ramayana that you should know

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facts related to Ramayana

हमारे घर के बड़े बुजुर्गो द्वारा रामायण के बारे में हम बचपन से स्मरण कराया जाता है। रामायण में ऐसा छोटी बड़ी घटनाएँ जिसे ज्यादातर लोग जानते हैं, लेकिन कुछ विशेष और रोचक ऐसी घटनायें भी है जिसे बारें में बहुत ही कम लोग जानते है। पोस्ट के जरिए हम ऐसी ही कुछ घटनाओं के बारे में चर्चा करते है जो इस प्रकार हैः-

1. श्री राम की माँ कौशल्या, कौशल देश की राजकुमारी थी। कौशल्या के पिता का नाम सकौशल व माता का नाम अमृत प्रभा था।

2. राम ने विभीषण को अजर-अमर रहने का वरदान दिया था। ऐसे मिला अमरत्व: कहा जाता है भगवान श्रीराम द्वारा उन्हें लंका में धर्म व सत्य का प्रचार करने की जिम्मेदारी दी गई और साथ ही अमरता का वरदान भी दिया गया।

3. भगवान राम विष्णु के सातवें अवतार थे और लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना जाता है। भरत और शत्रुधन को भगवान विष्णु द्वारा हाथों में धारण किए गए सुदर्शन चक्र और शंख सैल का अवतार माना जाता है।

4. देवी सीता भगवान शिव के धनुष को बचपन से ही खेल-खेल में उठा लेती थी। इसीलिए उनके स्वयंवर में धनुष जिसका नाम पिनाका था, उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने की शर्त रखी गयी थी।

5. एक बार रावण जब भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत गए। उन्हें मार्ग में नंदी मिले जिनको रावण ने वानर के मुंह वाला कह कर उस का उपहास उड़ाया। नंदी ने तब रावण को श्राप दिया कि वानरों के कारण ही तुम्हारी मृत्यु होगी।

6.  रावण ने माता सीता को हाथ नहीं लगाया था। वो इसलिए, जब रावण अपने विजय अभियान के दौरान स्वर्ग पहुँचा तो वहां उसे रम्भा नाम की एक अप्सरा मिली। रावण उस पर मोहित हो गया था। रावण ने जब उसे छूने का प्रयास किया तो उसने कहा कि में आपके भाई कुबेर के पुत्र नल कुबेर के लिए आरक्षित हूं। इसलिए में आपकी पुत्र वधु के समान हूँ। रावण अपनी शक्ति में इतना चूर था कि उसने उसकी एक न मानी। जब नल कुबेर को इस बात का पता चला तो उसने रावण को श्राप दिया कि आज के बाद यदि किसी पराई स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुआ तो उसके मस्तक के 100 टुकड़े हो जायेंगे।

7. रावण की बहन सुपर्णखा ने खुद रावण को श्राप दिया था कि उसका सर्वनाश हो जाए । सुपर्णखा का पति राक्षस राजा कालकेय का सेनापति थाद्य जिसका वध रावण ने अपने विश्व विजय अभियान के दौरान कर दिया था ।

8. राम सेतु बनाने में कुल 5 दिन का समय लगा था। यह पुल 100 योजन लम्बा व 10 योजन चैड़ा था । एक योजन लगभग 13 किमी के बराबर होता हैं।

9. वनवास के दौरान श्री राम ने कबंध नामक एक श्रापित राक्षस का वध किया था। उसी ने राम को सुग्रीव से मित्रता करने का सुझाव दिया था।

10. रावण जब विश्व विजय पर निकला तो उसका युद्ध अयोध्या के राजा अनरन्य के साथ हुआ । जिस में रावण विजयी रहा । राजा अनरन्य वीरगति को प्राप्त हुए। उन्होंने मरते हुए श्राप दिया कि तेरी मृत्यु मेरे कुल के एक युवक द्वारा होगी।

11. बाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से जा रहा था। उसने एक सुन्दर युवती को तप करते देखा । वह युवती वेदवती थी जो भगवान विष्णु को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण उस पर मोहित हो गया और उसे जबरदस्ती अपने साथ ले जाने का प्रयास करने लगा। तब उस तपस्वी युवती ने रावण को श्राप दिया कि तेरी मृत्यु का कारण एक स्त्री बनेगी और अपने प्राण त्याग दिए।

12. रावण जब अपने विश्व विजय के अभियान पर था तो वह यमपुरी पहुँचा। जहाँ उसका युद्ध यमराज से हुआ। जब यमराज ने उस पर कालदंड का प्रहार करना चाहा तो ब्रम्हा जी उन्हें रोक दिया। क्योंकि  वरदान के कारण रावण का वध किसी देवता द्वारा संभव नहीं था।

13. रावण ने ब्रम्हा जी से अमृता का वरदान मांगा था तो ब्रम्हा जी ने अमृता का वरदान नहीं दिया। तब रावण ने अपनी मृत्यु किसी भी राक्षस व देवी देवता से न हो ऐसा वरदान मांगा था इसलिए भगवान विष्णु ने साधारण मनुष्य के रूप में जन्म लिया था क्योंकि रावण मनुष्य को निबंल मानता था।

14. श्री राम का अवतार एक पूर्ण अवतार नहीं माना जाता। श्री राम 14 कलाओं में पारंगत थे जबकि श्री कृष्ण 16 कलाओं में पारंगत थे। ऐसा इसलिए था कि रावण को वरदान प्राप्त थे कि उसे कोई देवता नही मार सकता। उसका वध कोई मनुष्य ही कर सकता हैं।

15. रावण के भाई कुंभकरण जब ब्रम्हा जी से वरदान मांग रहा था तो माता सरस्वती, इन्द्र के निवेदन करने पर कुंभकरण की जीवा बैठा गई थी। जिसके कुंभकरण ने इंन्द्राशन के बदले निद्राशन का वरदान मांग लिया था।

16. गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं और वाल्मीकि रामायण में 24,000 श्लोक हैं। रामायण के प्रत्येक 1000 श्लोकों के बाद आने वाला पहला अक्षर गायत्री मंत्र है। यह मंत्र इस पवित्र महाकाव्य का सार है। ऋग्वेद में सबसे पहले गायत्री मंत्र का उल्लेख किया गया था।

17. जब भगवान राम ने वरुण से समुद्र में मार्ग बनाने के लिए अनुरोध किया था, परन्तु वरुण ने भगवान राम के अनुरोध को नहीं सुना तो क्रोध वश श्री राम ने ब्रह्सास्त्र का आह्वान किया, जिसके एक बार आह्वान करने पर उसका प्रयोग करना अनिवार्य था। वरुण नेे श्रीराम की मदद करने का अनुरोध किया। तब भगवान राम ने ब्रह्सास्त्र का प्रयोग ध्रुतुल्य नाम के स्थान पर किया था। जिसे आज राजस्थान के नाम से जाना जाता है।

18. लक्षण ने 14 वर्षा के वनवास में अपने भाई और भाभी के रक्षा करने के लिए एक दिन भी सोये नहीं थे। निर्वासन की पहली रात, जब राम और सीता सो रहे थे, निद्रादेवी लक्ष्मण को दिखाई दी और लक्ष्मण ने उन्हें आशीर्वाद देने के लिए कहा ताकि वह कभी सोते हुए महसूस न करें। देवी निधि ने उससे पूछा कि क्या तुम्हारे बजाय कोई और भी सो सकता है? लक्ष्मण ने सलाह दी कि उनकी पत्नी उर्मिला सो सकती है। यह सुनने के बाद, देवी निद्र ने उर्मिला से इस बारे में पूछा और उर्मिला ने खुशी से इसे स्वीकार कर लिया।

19. महाभारत के युद्ध में श्रीराम के वंशसज ने भी भाग लिया था। जो कि राम के पुत्र कुश हुए कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए जो महाभारत के काल में कौरवों की ओर से लड़े थे।

20. भगवान श्रीराम ने ही सर्वप्रथम भारत की सभी जातियों और संप्रदायों को एक सूत्र में बांधने का कार्य अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान किया था। एक भारत का निर्माण कर उन्होंने सभी भारतीयों के साथ मिलकर अखंड भारत की स्थापना की थी। भारतीय राज्य तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, केरल, कर्नाटक सहित नेपाल, लाओस, कंपूचिया, मलेशिया, कंबोडिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, बाली, जावा, सुमात्रा और थाईलैंड आदि देशों की लोक-संस्कृति व ग्रंथों में आज भी राम इसीलिए जिंदा हैं।

21. रामचरितमानस के सात भाग हैं बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किन्धा कांड, सुंदरकांड, लंका कांडा और उत्तर कांडा।

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