गोवर्धन पूजन के मंत्र । Govardhan Poojan’s mantra in Hindi

गोवर्धन पूजन के मंत्र । Govardhan Poojan’s mantra in Hindi

दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजन किया जाता है. मध्य प्रदेश में इस दिन को पड़वा के रुप में मनाया जाता है. पड़ावा के दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर पर्व की शुभकामनाएं देते है. बच्चे बुजुर्गों से आर्शीवाद लेते है. वहीं ग्रामीण इलाकों में किसान पशुओं का साज श्रृंगार करते है. इस दिन गोधन यानी गोवंशों का पूजन किया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करना बेहद ही शुभ माना जाता है. आइए लेख के जरिए गोवर्धन पूजन के मंत्र । Govardhan Poojan’s mantra in Hindi को जानते है.

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फाइल फोटो newsmug.in साल 2019

ध्यान रहे कि इस दिन सुबह नहाने के बाद ही पवित्र होकर हमारे द्वारा बताए गए मंत्रों का  उच्चारण करें. इसके लिए आपकों एक कुश का आसन लेना हाेगा. जिसके बाद मंत्रों का करीब 108 बार उच्चारण करना होगा. इन मंत्रों का जाप करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है. परिवार में खुशहाली आती है, सभी सदस्य निरोगी रहते हैं.

पहला मंत्र : ऊँ वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणत : क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:।।

अगले मंत्रों का उपयोग संकट के समय में किया जाता है. जब जीवन में ऐसी परिस्थितियां आ जाएं कि कुछ सुझ नहीं रहा तो कृष्ण के इस मंत्र का जाप करना चाहिए.

दूसरा मंत्र : ऊँ नम: भगवते वासुदेवाय कृष्णाय क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम: ।।

तीसरा मंत्र : हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे । हरे राम हरे राम, राम-राम हरे हरे।।

चौथा मंत्र : लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।

पूजन करते समय प्रार्थना करें:

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक/

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव//

इसके पश्चात दिवाली की रात्रि को निमंत्रित की हुई गायों को स्नान कराएं. फिर गायों को विभिन्न अलंकारों, मेहंदी आदि से श्रृंगारित करें.

इसके बाद उनका गंध, अक्षत, पुष्प से पूजन करें.

 नैवेद्य अर्पित कर निम्न मंत्र से प्रार्थना करें:

लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता।

घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।

सायंकाल पश्चात् पूजित गायों से पूजित गोवर्धन पर्वत का मर्दन कराएं. फिर उस गोबर से घर-आंगन लीपें.

 

गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)

इस दिन गाय के गोबर से सभी घरों में गिरिराज पर्वत का प्रतीक बनाया जाता है. खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में यह पूजा अधिक प्रचलित है. शहरों में भी यह पूजा की जाती है. गिरिराज पर्वत के प्रतीक का पंचामृत अभिषेक भी किया जाता है. इस दिन सभी घर में रामभाजी (सभी सब्जी को मिलकर बनाई गई) विशेष रूप से बनाई जाती है. इस दिन घरों में अच्छे-अच्छे पकवान बनाए जाते हैं.

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

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