धनतेरस 2024: कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खरीदारी के सुझाव
धनतेरस का महत्व और समृद्धि प्राप्ति के उपाय
धनतेरस कब है 2024 में? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Table of Contents
धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था, जिन्हें आयुर्वेद के जनक और स्वास्थ्य के देवता माना जाता है। इस पर्व पर धन, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
धनतेरस का त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह समाज में आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति का प्रतीक भी है। इस दिन धन के देवता कुबेर, मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस का पर्व खासतौर पर नए वस्त्र, आभूषण और धातुओं की खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है।
धनतेरस 2024 में कब है?
2024 में धनतेरस का पर्व 7 नवंबर को मनाया जाएगा। यह तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को आती है। इस दिन का विशेष महत्व यह है कि लोग इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और धनवर्धक वस्त्र, गहने और बर्तन खरीदते हैं। मान्यता है कि इस दिन की गई खरीदारी से घर में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का आगमन होता है।
धनतेरस का शुभ मुहूर्त 2024
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में पूजा करने का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि इस समय की गई पूजा से अधिक फल की प्राप्ति होती है। 2024 में धनतेरस के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
- शुभ मुहूर्त: शाम 06:05 बजे से रात 08:00 बजे तक
- प्रदोष काल: शाम 05:35 बजे से रात 08:00 बजे तक
- त्रयोदशी तिथि आरंभ: 7 नवंबर 2024 को सुबह 08:00 बजे
- त्रयोदशी तिथि समाप्त: 8 नवंबर 2024 को सुबह 07:20 बजे
इस दौरान पूजा करने से घर में धन और समृद्धि का आगमन होता है और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए, इस समय को सबसे उत्तम माना गया है।
धनतेरस का धार्मिक महत्व
धनतेरस का धार्मिक महत्व न केवल भगवान धन्वंतरि के जन्म से जुड़ा है, बल्कि यह दिन धन और धातुओं की खरीदारी के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन की गई पूजा और खरीदारी से पूरे वर्ष भर के लिए धन-धान्य और समृद्धि का आगमन होता है।
भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और उन्होंने मानव जीवन को स्वास्थ्य का वरदान दिया। उनकी पूजा से न केवल स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है बल्कि आयुर्वेद के माध्यम से दीर्घायु और स्वास्थ्य का भी आशीर्वाद मिलता है।
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धन के देवता कुबेर की पूजा
धनतेरस पर कुबेर देवता की पूजा का भी विशेष महत्व है। कुबेर को धन और ऐश्वर्य के देवता माना जाता है। इस दिन कुबेर देवता की पूजा करने से जीवन में धन-धान्य और आर्थिक समृद्धि का आगमन होता है।
धनतेरस की परंपराएं और रीति-रिवाज
धनतेरस पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं निभाई जाती हैं। यह दिन विशेष रूप से धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी प्रमुख परंपराओं के बारे में:
सोने और चांदी की खरीदारी
धनतेरस पर सोने और चांदी की खरीदारी को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग सोने, चांदी और अन्य धातुओं के आभूषण और बर्तन खरीदते हैं। माना जाता है कि इस दिन की गई खरीदारी से घर में मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा
धनतेरस पर केवल आभूषण ही नहीं बल्कि स्टील, पीतल और तांबे के बर्तन खरीदने की भी परंपरा है। लोग इस दिन नए बर्तन खरीदते हैं और उन्हें पूजा में उपयोग करते हैं। यह परंपरा धन और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखी जाती है।
दीप जलाने की परंपरा (यम दीपदान)
धनतेरस की रात को घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने की परंपरा है, जिसे यम दीपदान कहा जाता है। यह दीपक यमराज के सम्मान में जलाया जाता है और इसे जीवन में शांति, सुरक्षा और दीर्घायु के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस की पूजा विधि बहुत ही सरल और फलदायी होती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं धनतेरस की पूजा कैसे की जाती है:
- स्नान के बाद पूजा स्थल को शुद्ध करें और भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की मूर्तियों या चित्रों को स्थापित करें।
- पूजा की थाली में हल्दी, कुमकुम, चावल, फूल, दीपक, और मिठाई रखें।
- भगवान धन्वंतरि को ताजे फल, मिठाई, और नए वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद उनकी आरती करें।
- भगवान धन्वंतरि के मंत्रों का जाप करें और समर्पण के साथ पूजा संपन्न करें।
- घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाकर यम दीपदान करें, ताकि जीवन में शांति और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त हो।
धनतेरस पर क्या खरीदें?
धनतेरस पर कुछ विशेष वस्त्र और धातुओं की खरीदारी शुभ मानी जाती है। आइए जानते हैं कि इस दिन क्या-क्या खरीदा जा सकता है:
- सोने और चांदी के आभूषण: सोना और चांदी इस दिन की जाने वाली प्रमुख खरीदारी में शामिल हैं। इन्हें खरीदने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
- धातु के बर्तन: इस दिन स्टील, चांदी, पीतल, और तांबे के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। इसे घर में धन और समृद्धि लाने का प्रतीक माना जाता है।
- इलेक्ट्रॉनिक सामान: धनतेरस के दिन कई लोग नए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और अन्य वस्त्र भी खरीदते हैं।
- वाहन: यदि आप इस दिन कोई नया वाहन या गाड़ी खरीदना चाह रहे हैं, तो धनतेरस का दिन इसके लिए शुभ माना जाता है।
धनतेरस पर किए जाने वाले विशेष उपाय
धनतेरस पर कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जो जीवन में धन, सुख-समृद्धि, और शांति लाने में सहायक होते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:
- कुबेर यंत्र की स्थापना करें और नियमित रूप से उसकी पूजा करें। इससे घर में धन की वृद्धि होती है।
- इस दिन गाय को चारा खिलाना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे आर्थिक संकट दूर होते हैं।
- धनतेरस पर काले तिल का दान करने से जीवन में आने वाले संकटों का निवारण होता है।
- लक्ष्मी पूजन करें और मां लक्ष्मी से समृद्धि और वैभव की कामना करें।
धनतेरस का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
धनतेरस का पर्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह दिन लोगों को अपने परिवार और समाज के साथ जुड़ने का मौका देता है। इस दिन परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर पूजा करते हैं, और आपसी सौहार्द बढ़ता है।
धनतेरस का त्योहार आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ सामाजिक सद्भावना का प्रतीक भी है। लोग इस दिन अपनी पुरानी चीज़ों को छोड़कर नई शुरुआत करते हैं, और यह संदेश देते हैं कि जीवन में सकारात्मकता और उन्नति की हमेशा गुंजाइश होती है।
निष्कर्ष
धनतेरस का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन की गई पूजा, खरीदारी और धार्मिक उपाय जीवन में सुख-समृद्धि, धन, और स्वास्थ्य का आगमन करते हैं। 2024 में 7 नवंबर को आने वाला यह पर्व आपके जीवन में खुशहाली और वैभव का प्रतीक बने, इसके लिए इस दिन पूरे श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा-अर्चना करें।
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