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जानें विनायक चतुर्थी, शुभ मुहूर्त, महत्व ,पूजा विधि और कथा

Vinayak Chaturthi March 2021 : सनातन कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. यह दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश को समर्पित है. इस बार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 मार्च 2021 को पड़ रही है. इस बार की चतुर्थी तिथि बेहद ही खास है कारण यह बुधवार का दिन गणेश जी का माना गया है और विनायक चतुर्थी भी बुधवार को आ रही है.

इस दिन गणेश भक्त व्रत रख पूरे विधि-विधान से बप्पा का पूजन करते हैं और उन्हें उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाते हैं. गणेश जी अपने भक्तों के सारे विघ्न हर लेते हैं यही कारण है कि इन्हें विघ्नहर्ता, विघ्नविनाशक कहा जाता है. आप भी विनायक चतुर्थी पर व्रत और पूजन करके बप्पा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

मालूम हो कि हर माह में दो चतुर्थी पड़ती हैं- पहली शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में. शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. प्राचीन कथाओं में कहा जाता है कि विनायक चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता की पूजा के दौरान कथा का श्रवण या पढ़ना चाहिए. धार्मिक  मान्यता है कि विनायक चतुर्थी की कथा का श्रवण करने से श्रद्धालुओं के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. तो चलिए जानते हैं विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त महत्व और व्रत पूजा विधि. Vinayak Chaturthi March 2021

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Vinayak Chaturthi March 2021

विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त :

  • फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी तिथि आरंभ- 16 मार्च 2021 दिन मंगलवार रात 08 बजकर 58 मिनट से
  • फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त- 17 मार्च 2021 दिन बुधवार रात 11 बजकर 28 मिनट तक
  • विनायक चतुर्थी पूजा का मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 17 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक

विनायक चतुर्थी पूजा विधि :

  • चतुर्थी तिथि पर घर की साफ-सफाई करके सर्वप्रथम स्नान करें.
  • इस दिन हो सके तो पीले या फिर लाल रंग के वस्त्र धारण करें.
  • एक लकड़ी के पाटे या चौकी पर भगवान गणेश को आसन बिछाकर विराजमान करें.
  • पूर्वमुख या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजन आरंभ करें.
  • गणपति बप्पा के सामने धूप दीप जलाएं.
  • इसके बाद अक्षत, पुष्प और फल आदि अर्पित करें.
  • गणेश जी को दूर्वा बहुत प्रिय है इसलिए गणेश जी को दूर्वा की 21 गांठे अर्पित करें.
  • अब गणेश जी को लड्डू या तिल के बने मिष्ठान को भोग लगाएं.
  • गणेश जी की आरती करें.
  • इसके बाद गणेश जी के ”ॐ गणेशाय नमः” या ”ॐ गं गणपते नमः” मंत्रों का जाप करें.
  • संध्या के समय कथा पढ़े और चांद को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें.
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Vinayak Chaturthi March 2021

विनायक चतुर्थी की कथा :

हिंदू धर्म के पुराणों में उल्लेख मिलता है कि, एक दिन भगवान शंकर स्नान करने के लिए कैलाश पर्वत से भोगवती गए हुए थे. शिवजी के प्रस्थान करने के बाद मां पार्वती ने स्नान प्रारंभ किया और घर में स्नान करते हुए अपने मैल से एक पुतला बनाकर और उस पुतले में जान डालकर उसको सजीव किया गया. पुतले में जान आने के बाद देवी पार्वती ने पुतले का नाम गणेश रखा. पार्वती जी ने बालक गणेश को स्नान करते जाते वक्त मुख्य द्वार पर पहरा देने के लिए कहा. माता गौरा ने कहा कि जब तक में स्नान करके न आ जाऊं किसी को भी अंदर नहीं आने देना.

विनायक चतुर्थी का महत्व :

पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार जो मनुष्य पूरी श्रद्धा और नियम के साथ विनायक चतुर्थी का व्रत और पूजन करता है, भगवान गणेश उसकी हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं. इस दिन व्रत करने से दैनिक जीवन में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं. गणेश जी अपने भक्तों से सारे विघ्नों को हर लेते हैं. आपके जीवन में सुख और शांति का वास होता है. भोगवती में स्नान कर जब श्रीगणेश अंदर आने लगे तो बाल स्वरूप गणेश ने उनको द्वार पर रोक दिया. जिसके बाद भगवान भोलेनाथ के लाख प्रयत्न के बाद भी गणेश ने उनको अंदर नहीं जाने दिया. गणेश द्वारा रोकने को उन्होंने अपना अपमान समझा और बालक गणेश का सर धड़ से अलग कर वो घर के अंदर चले गए. जिसके बाद शिवजी जब घर के अंदर गए तो वह बहुत क्रोधित अवस्था में थे. ऐसे में देवी पार्वती ने सोचा कि भोजन में देरी की वजह से वो नाराज हैं, इसलिए उन्होंने दो थालियों में भोजन परोसकर उनसे भोजन करने का निवेदन किया.

दो थालियां लगी देखकर शिवजी ने उनसे पूछा कि दूसरी थाली किसके लिए है? तब शिवजी ने जवाब दिया कि दूसरी थाली पुत्र गणेश के लिए है, जो द्वार पर पहरा दे रहा है. जिसके बाद भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा कि उसका सिर मैने क्रोधित होने की वजह से धड़ से अलग कर दिया. इतना सुनकर माता गौरा बेहद ही दुखी हो गई और जोर-जोर से विलाप करने लगी. उन्होंने भोलेनाथ से पुत्र गणेश का सिर जोड़कर दोबारा जीवित करने का आग्रह किया. जिसके बाद भगवान शंकर ने एक हाथी के बच्चे का सिर धड़ काटकर गणेश के धड़ से जोड़ दिया. अपने बेटे को दोबारा से जीवित पाकर माता पार्वती अत्यंत प्रसन्न हुई. कहा जाता है कि जिस तरह शिव ने श्रीगणेश को नया जीवन दिया था, उसी तरह भगवान गणेश भी नया जीवन अर्थात आरम्भ के देवता माने जाते हैं.

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Ravi Raghuwanshi

रविंद्र सिंह रघुंवशी मध्य प्रदेश शासन के जिला स्तरिय अधिमान्य पत्रकार हैं. रविंद्र सिंह राष्ट्रीय अखबार नई दुनिया और पत्रिका में ब्यूरो के पद पर रह चुकें हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय अखबार प्रजातंत्र के नागदा ब्यूरो चीफ है.

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