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उज्जैन के गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप के साथ उस रात क्या हुआ था

उज्जैन के गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप के साथ उस रात क्या हुआ था ( Ujjain Gangster Durlabh Kashyap Biography in Hindi)

Ujjain Gangster Durlabh Kashyap / गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप की पूरी कहानी 

  • 16 साल की अल्प आयु में जब दूसरे बच्चे भविष्य गड़ने के लिए सब्जेक्ट चुनते है, तब दुर्लभ ने अपराध का रास्ता चुन लिया था.
  • कश्यप ने इस बात का प्रण लिया था कि, वह बड़ा होकर डॉक्टर, इंजीनीयर या कोई अधिकारी नहीं बल्कि गैंगस्टर बनेगा.
  • 17 की उम्र पार करते ही दुर्लभ ने फेसबुक पर एक पोस्ट डालकर तहलका मचा दिया था.
  • उसने बहुत छोटी सी उम्र में कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया और नामी गैंगस्टर्स की लिस्ट में शामिल हो गया.

माथे पर लाल टीका, आँखों में काजल और काँधे पर काला गमछा लटकाए इस तस्वीर में मासूम सा दिख रहा यह बालक असल में मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर का मशहूर रहा गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप है. जिसकी मृत्यु 6 सितंबर 2020 की रात करीब 2 बजे हेलावाड़ी क्षेत्र में गैंगवार के दौरान हुई थी. पुरानी रंजिश को लेकर हिस्ट्रीशीटर बदमाश दुर्लभ कश्यप की हत्या हेलावाड़ी में मौजूद जुम्मन चाचा की दुकान पर चाय पीने के दौरान शाहनवाज और शादाब से हुआ था. इसी दौरान चाकू से गोदकर की गई थी. घटना के दौरान दुर्लभ का एक साथी बुरी तरह जख्मी हो गया था. जिसे उपचार के लिए इंदौर रैफर कर दिया गया था.

कौन था गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप (Gangster Durlabh Kashyap) ?

हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक कारोबारी पिता और सरकारी स्कूल में अध्यापिका माँ का इकलोता बेटा था गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप. नाबालिक का सपना था कि, वह पूरे उज्जैन का सबसे बड़ा डॉन बने. डॉन बनने की चाहत में वह सोशल मीडिया पर आए दिन हथियारों के साथ अपने फोटो डालता था

दुर्लभ कश्यप का अपना अलग स्टाइल था. माथे पर लाल टीका, आँखों में काजल और काँधे पर काला गमछा, जिसे देखकर कई युवा उसके मुरीद हो जाते थे.

आजकल गैंगस्टर्स इस तरह के फोटो और वीडियोस सोशल मिडिया पर अपलोड करते हैं, जिससे प्रभावित होकर कम उम्र के बच्चे उन्हें हीरो की तरह मानने लग जाते हैं और उनकी गैंग में शामिल हो जाते हैं, लेकिन जो चकाचोंध सोशल मीडिया पर दिखाई जाती है वैसा हकीकत में कुछ नहीं होता और अपराध का ये रास्ता आखिरकार उन्हें मौत की तरफ ही ले जाता है.

उज्जैन के स्थानीय अखबारों की मानें तो दुर्लभ की गैंग सैकड़ों की संख्या में नाबालिक युवा जुड़ चुके थे. दुर्लभ कश्यप की गैंग के सभी सदस्य उसी की तरह माथे पर तिलक और आँखों में काजल लगाते थे और काँधे पर काला कपड़ा भी डालते थे.

अल्प आयु के बच्चों के बीच दुर्लभ काफी प्रसिद्ध हो रहा था, इसलिए उसके गैंग में बहुत सारे लड़के जुड़ गए थे और ये गिरोह अब मारपीट, हफ्ता वसूली और लूटपाट करने लगा था. सिर्फ 18 साल की उम्र में उसके खिलाफ 9 आपराधिक मामले दर्ज हो चुके थे.

उसने अपने फेसबुक प्रोफाइल के अबाउट सेक्शन में डाल रखा था, कि वह कुख्यात बदमाश है , हत्यारा और अपराधी है कोई सा भी विवाद हो, कैसा भी विवाद हो तो उससे संपर्क करें

दुर्लभ कश्यप फेसबुक पर इस तरह की पोस्ट डालकर लोगों में दहशत पैदा करने का काम करता था. जब  इसकी जानकारी पुलिस को लगी तो 27 अक्टूबर 2018 को दुर्लभ और उसके गैंग के 23 लड़कों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. दुर्लभ कश्यप जब जेल में था, तो उस वक़्त उज्जैन के एसपी सचिन अतुलकर ने उससे कहा था कि

“तूने कम उम्र में ज्यादा दुश्मनी पाल ली है, तू जेल में है तब तक ज़िन्दा है बाहर निकलेगा तो कोई भी तुझे मार देगा”

होनी को कुछ और ही मंजूर था, बाद में तत्कालीन एसपी सचिन अतुलकर की भविष्यवाणी बिलकुल सच साबित हुई.

6 सितम्बर 2020 की रात को दुर्लभ की माँ ने अपने बेटे और उसके दोस्तों के लिए दाल बाटी बनाई थी, सबने साथ बैठकर खाना खाया, इसके बाद दुर्लभ अपने चार दोस्तों के साथ चाय और सिगरेट पीने के लिए अमन उर्फ़ भूरा की दूकान पर पहुंचा था.

रात के करीब डेढ़ बजे थे, यहाँ पर दूसरी गैंग के शहनवाज, शादाब, इरफ़ान, राजा, रमीज और उनके कई साथी पहले से मौजूद थे. पुरानी रंजिश के चलते दोनों एक दूसरे को घूरने लगे और शहनवाज से दुर्लभ की कहासुनी हो गयी. शाहनवाज और उसके साथियों ने चाकुओं से हमला कर दिया, दुर्लभ ने शाहनवाज पर गोली चला दी जो उसके कंधे पर लगी जिससे वो घायल हो गया.

इसी के बाद शहनवाज के साथी दुर्लभ और उसके दोस्तों पर टूट पड़े. दुर्लभ के साथ उसके चार दोस्त थे, जबकि शाहनवाज के साथियों की संख्या ज्यादा थी. इन लोगों ने दुर्लभ पर चाकुओं से वार करना शुरू कर दिया और उसके दोस्त अपनी जान बचाकर भाग गए.

दुर्लभ कश्यप के दोस्त अभिषेक शर्मा का कहना था कि शादाब चाक़ू मार रहा था और चाय वाला अमन उर्फ़ भूरा कह रहा था कि “शादाब भाई इसे ख़त्म कर दो जिन्दा मत छोड़ना”.

दुर्लभ को 34 बार चाकुओं से गोदा गया था और मात्र 20 साल की उम्र में उसकी मौत हो गयी.

एक माँ ने कुछ समय पहले अपने जिस बेटे को खाना खिलाया था, थोड़ी ही देर बाद उसी बेटे की लाश की शिनाख्त करने के लिए उसे बुलाया गया था. दुर्लभ कश्यप की मौत के 7 महीने बाद उसकी माँ पदमा ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया. पिता मनोज कश्यप चाहते हैं कि जिस राह पर उनका बेटा गया कोई और युवा अपराध के उस रस्ते को न चुने.

दुर्लभ हत्याकांड के मुख्य आरोपी की भी जेल में मौत हो गयी. वो छत पर चड़ा और वहां से ओंधे मुंह नीचे कूद गया जिससे उसके सिर में गहरी चोट आई, उपचार के लिए उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसकी मौत हो गयी.

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Ravi Raghuwanshi

रविंद्र सिंह रघुंवशी मध्य प्रदेश शासन के जिला स्तरिय अधिमान्य पत्रकार हैं. रविंद्र सिंह राष्ट्रीय अखबार नई दुनिया और पत्रिका में ब्यूरो के पद पर रह चुकें हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय अखबार प्रजातंत्र के नागदा ब्यूरो चीफ है.

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