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गणतंत्र दिवस पर टीचर के लिए भाषण | Republic Day Speech In Hindi [2023]

गणतंत्र दिवस पर टीचर के लिए भाषण | Republic Day Speech In Hindi | Republic Day 2023 Speech Ideas : लंबे भाषणों में अधिक समय जरूर लगता है, लेकिन यदि आप टीचर  हैं और छोटे भाषण देना चाहते हैं तो पहले अच्छे से समझ लें कि इसकी तैयारी कैसे करें।

गणतंत्र दिवस भाषण 2023: Republic Day Speech 2023: इस बार का गणतंत्र दिवस बेहद ही खास होने वाला है। यदि आप टीचर है और आप इस साल 26 जनवरी को कहीं देने जा रहे हैं और आपको तैयारी के लिए समय नहीं मिला है, तो आप बिल्कुल चिंता नहीं करें। हम लेख के जरिए आपको कुछ आसान और छोटे भाषण के उदाहरण बताने जा रहे हैं। 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस, जिन विद्यार्थियों और शिक्षकों को स्कूल कार्यक्रम में भाषण देना होता है, वे अक्सर एक सप्ताह पहले ही इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं। लंबे भाषणों में अधिक समय लगता है, लेकिन यदि आप छोटे भाषण देना चाहते हैं तो इसकी तैयारियों के बारें में यहां जान लें।

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Republic Day Speech In Hindi

 

टीचर इन 10 विषयों पर आप भाषण दे सकते हैं, लिख सकते हैं निबंध

1. भारत गणराज्य और संविधान का अर्थ

2. भारतीय गणतंत्र के संविधान को बनने में 2 साल, 11 महीने का समय लगा।

3. हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के इतिहास को जानें

4. भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जानिए इसकी खास बातें

5. गणतंत्र दिवस पर पहली परेड 1955 में आयोजित की गई थी, तब से परंपरा कायम है।

6. देश का पूरा संविधान गाथ से लिखा गया था

7. स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का पहला भाषण

8. गणतंत्र बनने के बाद ही 1950 में वंदे मातरम को राष्ट्रगान का दर्जा दिया गया था

9. हर राष्ट्रीय त्योहार पर ध्वज पूजा के नियम और कानून क्या हैं

10. जानिए किस समय और किस स्थान पर आधा झुका हुआ झंडा फहराया जाता है।

टीचर भाषण की भूमिका में इन बिंदुओं में जरूर शामिल करें

हमारे गणतंत्र दिवस का महत्व क्या है?

पूरे भारत वर्ष में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता हैं। यह दिन आधिकारिक राजपत्रित अवकाश है। इसी दिन है भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसके बाद भारत देश एक स्वतंत्र गणराज्य बना था।

इसे गणतंत्र दिवस क्यों कहा जाता है?

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। 26 जनवरी के दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में चुना गया था कारण है कि 1929 में इस दिन भारतीय स्वतंत्रता (भारतीय स्वराज) की अधिकारिक तौर पर घोषणा की गई थी, जो डोमिनियन के विपरीत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा घोषित किया गया था।

शिक्षक भाषण के दौरान, इन बातों को आवश्यक रूप से कहें

हमारे संविधान के बनने की कहानी बेहद ही दिलचस्प है। हर भारतीय अच्छे से जानता है कि यह 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों में तैयार किया गया था। प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने संविधान की मूल प्रति लिखी। यह पांडुलिपि हस्तलिखित प्रारूप में थी।

– संविधान काे लिखने में 6 माह का समय लगा।

– जब 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को देश में लागू किया गया था, इसमें कुल 395 लेख, 8 अनुसूचियां थीं और 22 भाग थे। संविधान निर्माण समिति में कुल 284 सदस्य थे। उन्होंने 24 नवंबर 1949 को संविधान पर हस्ताक्षर किए। इन सदस्यों में 15 महिलाएं भी मौजूद थीं।

– संविधान की हस्तलिखित पांडुलिपि एक विशेष प्रकार के चर्मपत्र पर तैयार की गई थी। जो कि 1 हजार से अधिक वर्षों तक सुरक्षित रह सकता है। पांडुलिपि में पृष्ठों की संख्या 234 है, जिसका वजन 13 किलोग्राम है।

गणतंत्र दिवस का इतिहास और रोचक बातें

गणतंत्र दिवस (Republic Day) भारत वर्ष का सबसे बड़ा राष्ट्रीय पर्व है। हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसे 26 जनवरी 1950 को लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया। जिसके बाद से ही प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाया जाता है। इस दिन भारत में राष्ट्रीय अवकाश घोषित रहता है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्र ध्वज को फहराकर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। इस दौरान प्रसाद ने उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा था कि, हमारे राष्ट्र पिता और स्वतंत्रता संग्राम के कई नेताओं और सैनिकों को अपने देश में एक वर्गहीन, सहकारी, मुक्त और प्रसन्नचित्त समाज की स्थापना के सपने को साकार करने की प्रेरणा मिली। हमें इस दिन यह याद रखना चाहिए कि आज का दिवस आनंद मनाने की तुलना में समर्पण का दिन है।

क्‍या था पूर्ण स्वराज दिवस

31 दिसंबर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की लाहौर में एक बैठक हुई थी। जिसकी अध्यक्षता पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा की गई थी। बैठक में मौजूद लोगों ने 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मानने के लिए शपथ ली थी, ताकि अंग्रेजों से पूर्ण आजादी के सपने पूरे हो सके। लाहौर सत्र में नागरिक अवज्ञा आंदोलन का मार्ग प्रशस्त किया गया। यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस मनाया जाएगा।

गणतंत्र दिवस से जुड़ी कुछ रोचक बातें

– 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत का संविधान लागू हुआ था।

– गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है।

– 1955 में पहली बार राजपथ परेड में पाकिस्तान के पहले गर्वनर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद मुख्य अतिथि थे।

– पहले गणतंत्र दिवस की परेड मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हुई थी।

– भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिसे दिन में पढ़ा नहीं जा सकता।

– भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां हैं।

– गणतंत्र दिवस के दिन अशोक चक्र और कीर्ति चक्र जैसे सम्मान दिए जाते हैं।

– साल 1950 को पहले गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य मेहमान थे।

– अबतक साल 1951, 1952, 1953, 1956, 1957, 1959, 1962, 1964, 1966,1967, 1970 में कोई विदेश मेहमान नहीं आए थे। इस साल 2021 में भी कोरोना वायरस के कारण कोई मुख्य अतिथि गणतंत्र दिवस पर मेहमान नहीं होंगे।

– साल 2014 के गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर महाराष्ट्र सरकार के प्रोटोकॉल विभाग ने पहली बार मुंबई के मरीन ड्राईव पर परेड आयोजित की थी।

शिक्षकों के लिए संक्षिप्त भाषण

आज के कार्यक्रम के माननीय मुख्य अतिथि, सम्मानित प्राचार्य, साथी शिक्षक, माता-पिता और मेरे सभी प्रिय मित्रों। इस बार हम भारत का 72 वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं यही कारण है कि हम यहां एकत्र हुए हैं। आज मैं गणतंत्र की मिट्टी के बारे में कुछ शब्द कहने जा रहा हूं, जो सभी भारतीय नागरिकों और शहरवासियों के लिए बहुत खास और उत्साह का दिन है।

जैसा कि हम सभी को विधित है कि भारत हर साल 1950 से 26 जनवरी तक गणतंत्र दिवस मनाता है क्योंकि भारत को इस दिन एक गणतंत्र देश घोषित किया गया था। भारत को 1947 में 15 अगस्त को स्वतंत्रता मिली और ढाई साल बाद यह डेमोक्रेटिक रिपब्लिक बना।  विविधता में एकता इस देश की मूलभूत पहचान है। हमें गर्व है कि हम ऐसे संवैधानिक राष्ट्र के नागरिक हैं।

आप सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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