शंगचुल महादेव मंदिर – घर से भागे प्रेमी जोड़ों को मिलता है यहां आश्रय

Sangchul Mahadev Temple Kullu – हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए बेहद ही प्रसिद्ध है. इतना ही नहीं यहां कि लोक परंपराएं भी दुनिया से अलग है.आज हम आपकों कुल्लू के शांघड़ गांव के देवता शंगचूल महादेव के बारे में बताने जा रहे हैं. यहां पर घर से भागे प्रेमी जोड़ों को शरण मिलता हैं. पांडव कालीन शांघड़ गांव में कई ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद है. इन्ही में से एक हैं यहां का शंगचुल महादेव मंदिर. यहां कश्मीर के डलहौजी के खज्जियार की तरह घास का मैदान है.

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शंगचूल महादेव की सीमा में किसी भी जाति के प्रेमी युगल अगर पहुंच जाते हैं तो फिर जब तक वह इस मंदिर की सीमा रहते हैं उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रेमी युगल के परिजन भी उससे कुछ नहीं कह सकते. शंगचुल महादेव मंदिर का सीमा क्षेत्र करीब 100 बीघा का मैदान है. जैसे ही इस सीमा में कोई प्रेमी युगल पहुंचता है वैसे ही उसे देवता की शरण में आया हुआ मान लिया जाता है.

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आपकों जानकर हैरानी होगी कि, अपनी विरासत के नियमों का पालन कर रहे इस गांव में पुलिस के आने पर भी प्रतिबंध है. इसके साथ ही यहां नशे की वस्तुओं जैसे- शराब, सिगरेट और चमड़े का सामान लेकर आना भी मना है.

मंदिर की सीमा क्षेत्र में न कोई हथियार लेकर यहां प्रवेश कर सकता है और न ही किसी प्रकार का लड़ाई झगड़ा तथा ऊंची आवाज में बात नहीं कर सकता है. यहां देवता का ही फैसला सर्वमान्य होता है. यहां भागकर आए प्रेमी युगल के मामले निपट ही नहीं जाते तब तक मंदिर के पंडित प्रेमी युगलों की मेहमान नवाजी करते हैं.

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ग्रामीणों की प्राचीन किवदंति है कि, अज्ञातवास के समय पांडव यहां कुछ समय के लिए रूके थे. कौरव उनका पीछा करते हुए यहां आ पहुंचे थे. तब शंगचूल महादेव ने कौरवों को रोका और कहा कि यह मेरा क्षेत्र है और जो भी मेरी शरण में आएगा उसका कोई कुछ बिगाड़ सकता. महादेव के डर से कौरव वापस लौट गए.

तब से लेकर आज तक जब भी कोई समाज का ठुकराया हुआ शख्स या प्रेमी जोड़ा यहां शरण लेने के लिए पहुंचता है, महादेव उसकी रक्षा करते हैं.

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