महत्वपूर्ण जानकारी
Table of Contents
- रंग पंचमी, कृष्ण पक्ष पंचमी
- रविवार, 12 मार्च 2023
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च 2022 रात 10:05 बजे
- पंचमी तिथि समाप्ति : 12 मार्च 2022 रात 10:01 बजे
साल 2023 में रंग पंचमी का त्यौहार 12 मार्च, रविवार को मनाई जाएगी. रंगपंचमी (Rang Panchami 2023) का त्योहार हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित माना जाता है. रंगपंचमी होली के त्योहार के 5 दिन बाद चैत्र माह की कृष्ण पंचमी के दिन मनाई जाती है. रंगपंचमी विशेष रूप से मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में उल्लास के साथ मनाया जाता है. हालांकि, यह त्योहार देश के कई अन्य भागों में भी पूरे जोर-शोर से मनाया जाता है. पोस्ट के जरिए हम जानते हैं कि, रंग पंचमी 2023 में कब हैं – Rang Panchami 2023 Mein Kab Hai.
रंगपंचमी होली से जुड़ा हुआ ही एक त्योहार है. असल में होली पर्व का जश्न चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर पंचमी तिथि तक जारी रहता है. रंगपंचमी यानी कि कृष्ण पंचमी के दिन लोग रंग-बिरंगे अबीर से खेलते हैं. यही कारण है कि त्योहार को रंगपंचमी का नाम दिया गया है.
प्रतिवर्ष कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है. जिसके ठीक पांच दिन बाद चैत्रमास की कृष्णपक्ष की पंचमी को अबीर से होली खेली जाती है. जिसे रंगपंचमी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पंचमी तिथि को लोग गुलाल को हवा में उड़ाकर भगवान को रंग अर्पित करते हैं. माना जाता है कि उड़ते गुलाल से देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. साथ ही हवा में गुलाल और रंग फेंकने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है.
रंग पंचमी के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है, इसलिए इस दिन को श्रीपंचमी भी कहा जाता है. रंग पंचमी के दिन यदि कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो आर्थिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है. तो चलिए जानते हैं कि किस तरह मनाया जाता है रंगपंचमी का त्योहार और महत्व.
रंग पंचमी 2023 में कब हैं – Rang Panchami 2023 Mein Kab Hai
रंग पंचमी का त्यौहार चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है.
साल 2023 में रंग पंचमी का त्यौहार 12 मार्च, दिन रविवार को मनाई जायेगी.
रंग पंचमी 2023 तारीख | 12 मार्च 2023, रविवार |
Rang Panchami 2023 Date | 12 March 2023, Sunday |
इस तरह विधि-विधान से करें मां लक्ष्मी की पूजा :
- पूजन के लिए माता लक्ष्मी और श्रीहरि की कमल पर बैठे हुए एक तस्वीर को उत्तर दिशा में एक चौकी पर रखें. तस्वीर के साथ ही तांबे के कलश में पानी भरकर रखें.
- जिसके बाद घी का दीपक जलाकर भगवान को गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें.
- खीर, मिश्री और गुड़ चने का भोग लगाएं.
- इसके बाद इसके बाद आसन पर बैठकर ॐ श्रीं श्रीये नमः मंत्र का जाप स्फटिक या कमलगट्टे की माला से करें.
- विधिवत पूजन के बाद आरती करें और कलश में रखें
- जल को घर के हर कोने में छिड़कें. जिस स्थान पर धन रखा जाता है, वहां भी छिड़कें. इससे धन के रास्ते खुलेंगे और बरकत होने लगेगी.
कैसे मनाते हैं रंगपंचमी :
होली पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होकर कृष्ण पक्ष की पंचमी तक मनाया जाता है. पंचमी तिथि होने के कारण इसे रंगपंचमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन लोग राधा-कृष्ण को अबीर गुलाल चढ़ाते हैं. भारत के कई प्रांतों में रंगपंचमी के दिन गैर यानी जूलूस निकाली जाती है. जिसमें हुरियारे अबीर गुलाल उड़ाते हैं.
यह त्योहार कोंकण प्रदेश में मनाया जाता है. इस त्योहार को लेकर लोगों की मान्यता है कि वातावरण में अबीर-गुलाल फैलने और रंगों से खेलने के कारण देवी-देवता रंगों की खूबसूरती की तरफ आकृष्ट होते हैं. इससे वायुमंडल में सकारात्मक प्रवाह की उत्पत्ति होती है. धार्मिक और पौराणिक मान्यता यह भी है कि अबीर के स्पर्श में आकर लोगों के विचारों और व्यक्तित्व में सकारात्मकता आती है और उनके पाप कर्मों का नाश होता है.
कहां-कहां मनाया जाता है रंगपंचमी का पर्व :
होली का पर्व तो पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन रंगपंचमी का पर्व देश के कुछ राज्यों में ही मनाया जाता है. रंगों के इस पर्व को मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में धूमधाम से मनाते देखा जा सकता है. इस दिन इन तीनों शहरों में जुलूस निकलता है, जहां लोग पूरे रास्ते एक-दूसरे को गुलाल लगाते और उड़ाते हुए आगे बढ़ते हैं. इस दिन घरों में खास पकवान भी बनाया जाता है जिसे पूरनपोली कहा जाता है.गुजरात और मध्य प्रदेश में भी रंगपंचमी का त्योहार मनाते हैं# मध्यप्रदेश के इंदौर में रंगपंचमी पर गुलाल उडा़ते हुए शोभायात्रा निकाली जाती है. जिसे ‘गेर’ कहा जाता है। आपकों बता दें कि कोरोना महामारी के संक्रमण के चलते इंदौर मध्य प्रदेश में गेर नहीं निकाली जाएगी.
रंग पंचमी के दिन करें ये उपाय :
- माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है. यदि आर्थिक समस्याओं को दूर करना है तो मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना जरूरी है.
इस दिन जल में गंगाजल और एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करें.
पूजा के दौरान माता लक्ष्मी की नारायण के साथ वाली तस्वीर रखें और उन्हें गुलाब के पुष्प या माला जरूर अर्पित करें. - पूजन के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें. अर्घ्य के दौरान जल में रोली, अक्षत के अलावा शहद जरूर डालें.
- रंग पंचमी के दिन एक नारियल पर सिंदूर छिड़क कर उसे किसी शिव मंदिर में जाकर महादेव को अर्पित करें.
इसके अलावा तांबे के लोटे में जल लेकर इसमें मसूर की दाल डालकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें.
रंगपंचमी के त्यौहार का महत्व :
रंगपंचमी पर हर तरफ पूरे वातावरण में अबीर, गुलाल उड़ता हुआ दिखाई देता है. किवदंती है कि, इस दिन वातावरण में उड़ते हुए गुलाल से व्यक्ति के सात्विक गुणों में अभिवृद्धि होती है और उसके तामसिक और राजसिक गुणों का नाश हो जाता है. इससे पूरे वातावरण में सकारात्मकता का संचार होता है। रंगपंचमी पर्व प्राचीन काल से मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस त्योहार को अनिष्टकारी शक्तियों से विजय पाने का दिन कहा जाता है।. पंचमी पर्व आपसी प्रेम और सौहार्द को दर्शाता है.
इसे भी पढ़े :
- सेंधा नमक: गुण और फायदे, सफ़ेद नमक से क्यों बेहतर?
- गाय का पूरा शरीर देव भूमि हैं, जानें क्यों ?
- होली पर इस तरह बनाएंगे भांग की बर्फी
लेटेस्ट न्यूज़, के लिए न्यूज मग एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।