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चमत्कारी कुंड : जहां पर नहाने से शुरू होता हैं महिलाओं के स्तनों में दूध का उत्पादन

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खाचरौद. उज्जैन जिले की खाचरौद तहसील में एक रहस्यमी कुंड मौजूद है. जिसकी विशेषता है कि यहां पर नहाने से महिलाओं के स्तनों में दूध का उत्पादन शुरू हो जाता है. जिन गर्भवती महिलाओं को किसी बीमारी के कारण स्तन में दूध का उत्पादन शुरू नहीं हो पाता, वह श्रद्धालु महिला कुंड पर पहुंचकर माता से विनति करती है. मुराद पुरी होने के बाद मन्नती श्रद्धालु अपने ब्लाॅउज को कुंड में विर्सजित करती है. कुड पाषण कालीन है. लगभग एक हजार साल पुराना यह स्थान है. संवत् 1131 में इसकी नींव रखी गई थी.

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नागदा से 18 किलोमीटर दूर स्थित है साडू माता का कुंड.

भैरव अष्टमी पर कुंड में विशेष पूजन-अर्चन और आराधना की जाती है. कुंड जो न सिर्फ देश-प्रदेश बल्कि विश्व में अनूठा है. दुनिया का यह एकमात्र ऐसा प्राचीन कुंड है, जहां माता से दूध शुरू करवाने की इच्छा लेकर दूरदराज से लोग यहां अपनी मुराद लेकर आते हैं.

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साडू माता की प्राचीन बाउड़ी.

बावड़ी का पानी एक औषधि है

कुंड ऊंची पहाड़ीनुमा क्षेत्र में एक महल के समीप बना हुआ है. मंदिर के पंडाजी हरिसिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि, दुनिया का यह एकमात्र कुंड है, जहां महिलाएं स्तनों में दूध की कमी को पूरा करने के लिए माता से मन्नत मांगने आती है. इस बावड़ी के पानी को भी लोग नवप्रसूता के लिए चमत्कारिक मानते हैं. ऐसी मान्यता है कि नवप्रसूता के लिए बावड़ी का पानी एक औषधि है. इसलिए दूरदराज से लोग इस बावड़ी से पानी लेने आते हैं.

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साडू माता की प्राचीन बाउड़ी.

क्या है साडू माता की कहानी

प्राचीन कहानियों और किवदंतियों की मानें तो फर्नाखेड़ी गांव में हजारों साल पहले एक महिला को ग्रामीणों ने डायन कहकर गांव से निकाल दिया था. ग्रामीणों ने महिला का गांव में प्रवेश वर्जित कर दिया था. भूख से व्याकूल महिला इसी कुंड के पास जाकर रहने लगी.

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महिला ने कुंड के समीप रहकर साडू माता की पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया. महिला की भक्ति से प्रसन्न होकर साडू माता ने महिला को दर्शन दिए. साथ ही उसे कुंड के चमत्कारी औषधि रुपी पानी के बारे में बताया. माता के महिला को बताया कि, जिन नवप्रसूता को दूध का उत्पादन शुरू हो जाएगा.

महिला ने इस बात की सूचना गांव के प्रधान को दी. ग्रामीणों को महिला की बात पर विश्वास नहीं हुआ. समय बीतता गया, गांव में महामरी फैल गई, गांव के सभी जलाशय सूख गए, लेकिन बाउड़ी का पानी नहीं सूखा. ग्रामीणों ने गांव छोड़कर बाउड़ी के समीप रहना शुरू कर दिया. ग्रामीणों ने पानी का सेवन किया तो धीरे-धीरे ठीक होने लगे. जिसके बाद बाउड़ी के चमत्कारी पानी पर ग्रामीणों ने यकीन करना शुरू कर दिया.

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।
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