कृष्ण जन्माष्टमी 2025 कब है? जानें सही तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, रोहिणी नक्षत्र और पारण का समय
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 कब है? जानें सही तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, रोहिणी नक्षत्र और पारण का समय
“हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की!” – यह पवित्र जयघोष सुनते ही हर भक्त का हृदय भगवान श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा और आनंद से भर जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का महापर्व, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और उल्लासपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पावन पर्व प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे विश्व में बड़ी धूमधाम और भक्ति-भाव से मनाया जाता है।
हर साल की तरह, इस वर्ष भी भक्तों के मन में सबसे पहला और महत्वपूर्ण सवाल यही है कि कृष्ण जन्माष्टमी 2025 कब है? व्रत किस दिन रखा जाएगा? पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा? अष्टमी तिथि कब से कब तक है? और रोहिणी नक्षत्र का संयोग कब बन रहा है?
अक्सर पंचांग की गणनाओं के कारण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर स्मार्त (गृहस्थ) और वैष्णव (संत-संन्यासी) संप्रदायों में मतभेद रहता है, जिससे यह त्योहार दो दिन मनाया जाता है। यदि आपके मन में भी “Janmashtami 2025 Date and Time” को लेकर कोई संशय है, तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। इस लेख में हम आपके सभी प्रश्नों का समाधान करेंगे और आपको जन्माष्टमी 2025 की सही तारीख, पूजा विधि, व्रत नियम, पारण का समय और दही हांडी उत्सव की संपूर्ण और सटीक जानकारी प्रदान करेंगे।
जन्माष्टमी 2025: तिथि, मुहूर्त और तारीख का संपूर्ण विश्लेषण
साल 2025 में कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर पंचांग की गणना स्पष्ट है। अष्टमी तिथि दो दिनों तक पड़ने के कारण, स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के लोग अलग-अलग दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे।
पंचांग के अनुसार:
- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि का आरंभ: 15 अगस्त 2025, शुक्रवार को रात्रि 11:49 बजे से।
- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि का समापन: 16 अगस्त 2025, शनिवार को रात्रि 09:34 बजे तक।
इस गणना के आधार पर, जन्माष्टमी का पर्व निम्नलिखित तिथियों पर मनाया जाएगा:
- 15 अगस्त 2025, शुक्रवार (स्मार्त जन्माष्टमी): गृहस्थ जीवन वाले और स्मार्त संप्रदाय के लोग, जो उदया तिथि के बजाय अष्टमी तिथि की रात्रि को महत्व देते हैं, वे 15 अगस्त को ही व्रत रखेंगे और मध्यरात्रि में जन्मोत्सव मनाएंगे।
- 16 अगस्त 2025, शनिवार (वैष्णव जन्माष्टमी): वैष्णव संप्रदाय, साधु-संत और इस्कॉन (ISKCON) के अनुयायी सूर्योदय के समय मान्य तिथि (उदया तिथि) के अनुसार 16 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत और उत्सव मनाएंगे। मथुरा, वृंदावन और द्वारका जैसे प्रमुख कृष्ण मंदिरों में भी मुख्य जन्मोत्सव 16 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी 2025 के लिए शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2025 Shubh Muhurat)
भगवान श्री कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी की पूजा के लिए निशिता काल को सबसे शुभ माना जाता है।
पर्व / तिथि | तारीख और दिन | समय |
अष्टमी तिथि प्रारंभ | 15 अगस्त 2025, शुक्रवार | रात 11:49 बजे |
अष्टमी तिथि समाप्त | 16 अगस्त 2025, शनिवार | रात 09:34 बजे |
निशिता पूजा का शुभ मुहूर्त | 16 अगस्त 2025, शनिवार की मध्यरात्रि | 12:04 AM से 12:47 AM तक |
पूजा की कुल अवधि | 43 मिनट | |
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ | 17 अगस्त 2025, रविवार | सुबह 04:38 बजे |
रोहिणी नक्षत्र समाप्त | 18 अगस्त 2025, सोमवार | सुबह 03:17 बजे |
व्रत पारण का समय | 17 अगस्त 2025, रविवार | सुबह 05:51 बजे के बाद |
(नोट: ऊपर दिए गए समय नई दिल्ली, भारत के लिए हैं। आपके शहर के अनुसार समय में कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है।)
रोहिणी नक्षत्र का महत्व
भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जब जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनता है, तो इसे ‘जयंती योग’ कहा जाता है, जो इस पर्व को और भी अधिक शुभ और पुण्यदायी बना देता है। हालांकि, 2025 में अष्टमी तिथि के दौरान रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह से प्रारंभ होगा।
दही हांडी 2025 कब है? (Dahi Handi 2025 Kab Hai?)
भगवान कृष्ण की नटखट बाल लीलाओं का जश्न मनाने वाला, दही हांडी का प्रसिद्ध उत्सव जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है।
- दही हांडी 2025 की तारीख: 16 अगस्त 2025, शनिवार
इस दिन, गोविंदाओं की टोलियां मानव पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर लटकी दही-माखन से भरी मटकी को फोड़ती हैं। यह उत्सव एकता, साहस और teamwork का प्रतीक है।
कैसे करें: जन्माष्टमी व्रत और संपूर्ण पूजा विधि (Step-by-Step Guide)
जन्माष्टमी का व्रत करने से सहस्त्र पापों का नाश होता है और भगवान कृष्ण की असीम कृपा प्राप्त होती है। यहाँ व्रत और पूजा की संपूर्ण विधि दी गई है।
चरण 1: व्रत का संकल्प (Vrat ka Sankalp)
- जन्माष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें: “हे वासुदेव पुत्र कृष्ण, मैं आज आपकी कृपा और भक्ति की प्राप्ति के लिए जन्माष्टमी का व्रत पूरी श्रद्धा और निष्ठा से रखूंगा/रखूंगी। कृपया मेरी पूजा स्वीकार करें।”
चरण 2: दिन भर की दिनचर्या
- दिन भर फलाहार करें या अपनी क्षमता अनुसार निर्जल व्रत रखें।
- मन में “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते रहें।
- दिन में सोएं नहीं और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- घर के मंदिर में बाल गोपाल (लड्डू गोपाल) की मूर्ति स्थापित करें और उनके लिए सुंदर झूला सजाएं।
चरण 3: निशिता काल की पूजा (Midnight Puja)
- रात्रि 12 बजे के शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें।
- सबसे पहले लड्डू गोपाल को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) और फिर गंगाजल से स्नान कराएं।
- उन्हें सुंदर नए वस्त्र, आभूषण, और मोर पंख का मुकुट पहनाएं।
- चंदन का तिलक लगाएं, फूल, माला और तुलसी दल अर्पित करें।
- उन्हें उनके प्रिय भोग, माखन-मिश्री और धनिया पंजीरी का भोग लगाएं।
- इसके बाद बाल गोपाल को प्रेम से झूले में झुलाएं।
- अंत में, कर्पूर से भगवान श्री कृष्ण की आरती करें।
चरण 4: व्रत का पारण (Vrat Parana)
- व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने पर किया जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार, 2025 में व्रत पारण का सही समय 17 अगस्त, रविवार को सुबह 05:51 बजे के बाद है।
तुलनात्मक सारणी: जन्माष्टमी व्रत के प्रकार
व्रत का प्रकार | नियम | किसके लिए उपयुक्त |
निर्जल व्रत | सूर्योदय से अगले दिन पारण के समय तक जल और भोजन का त्याग। | जो शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हों। |
फलाहारी व्रत | दिन भर फल, दूध, दही, और व्रत में खाई जाने वाली चीजों का सेवन। | अधिकांश लोगों के लिए यह व्रत उपयुक्त है। |
सात्विक व्रत | बिना लहसुन-प्याज का सात्विक भोजन करके व्रत रखना। | जो लोग निर्जल या फलाहारी नहीं रह सकते। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: 2025 में जन्माष्टमी किस दिन मनाना सही है, 15 या 16 अगस्त?
उत्तर: यदि आप गृहस्थ हैं तो 15 अगस्त, शुक्रवार को व्रत और जन्मोत्सव मनाना शास्त्र सम्मत है। यदि आप वैष्णव संप्रदाय या इस्कॉन से जुड़े हैं, तो 16 अगस्त, शनिवार को जन्माष्टमी मनाना उचित है। मथुरा-वृंदावन में मुख्य उत्सव 16 अगस्त को ही होगा।
प्रश्न 2: जन्माष्टमी के व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?
उत्तर: जन्माष्टमी के व्रत में किसी भी प्रकार का अनाज (गेहूं, चावल, दालें), नमक, लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन का सेवन वर्जित है।
प्रश्न 3: पूजा में तुलसी का पत्ता क्यों जरूरी है?
उत्तर: तुलसी भगवान विष्णु और उनके अवतारों को अत्यंत प्रिय है। माना जाता है कि बिना तुलसी दल के भगवान कृष्ण भोग स्वीकार नहीं करते।
प्रश्न 4: अगर घर में लड्डू गोपाल की मूर्ति न हो तो पूजा कैसे करें?
उत्तर: यदि आपके पास मूर्ति नहीं है, तो आप भगवान कृष्ण की तस्वीर रखकर भी पूरी श्रद्धा से पूजा कर सकते हैं। आप एक खीरे को कृष्ण का बाल रूप मानकर उसका भी पूजन कर सकते हैं, जिसे जन्म के बाद काटा जाता है।
निष्कर्ष
कृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व हमें धर्म, कर्म और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह भगवान कृष्ण के उन दिव्य उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का दिन है जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
हमें उम्मीद है कि इस विस्तृत लेख ने आपके मन में “कृष्ण जन्माष्टमी 2025 कब है” से जुड़े सभी संशयों को दूर कर दिया होगा। अब आप पूरी जानकारी और श्रद्धा के साथ इस पावन पर्व की तैयारी कर सकते हैं और भगवान कृष्ण की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी 2025 की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं! जय श्री कृष्णा!
संदर्भ और प्रेरणा स्रोत (References & Sources of Inspiration)
- Drik Panchang. (n.d.). Krishna Janmashtami 2025 Date and Time for New Delhi, India.
- Iskcon – International Society for Krishna Consciousness. (n.d.). Festivals – Sri Krishna Janmashtami.
- Vedic Scriptures: Srimad Bhagavatam (Bhagavata Purana), Mahabharata.