13 अप्रैल 2021 नवरात्रि के साथ हिन्दू नववर्ष गुड़ी पड़वा प्रारंभ हो रहा है. हिंदू धर्म में इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. इस दिन नीम की पत्तियां, पूरनपोळी, ध्वजा आदि का विशेष महत्व होता है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का आरंभ हुआ था और इसी दिन भारतवर्ष में काल की गणना प्रारंभ हुई. आइए लेख के जरिए जानें शुभ मुहूर्त और पंचांग…
ऐसे हुई गुड़ी पड़वा की शुरुआत
प्राचीन लोक कथाओं में सुनने को मिलता है कि, शालिवाहन नाम के एक कुम्हार के पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाई और उस पर पानी छिटककर उन्हें जीवंत कर दिया. सैनिकों की मदद से प्रभावी शत्रुओं काे पराजीत किया. इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक की शुरुआत हुई. कथाओं में यह भी उल्लेख मिलता है कि, शालिवाहन ने मिट्टी की सेना में जान डाल दी थी, यह एक लाक्षणिक कथन है. उस दौर में लोग बिलकुल चैतन्यहीन, पौरुषहीन और पराक्रमहीन बन गए थे. जिसके कारण व शत्रु को जीत नहीं सकते थे. मिट्टी के मुर्दों को विजयश्री कैसे प्राप्त होगी? लेकिन शालिवाहन ने ऐसे लोगों में चैतन्य भर दिया. मिट्टी के मुर्दों में, पत्थर के पुतलों में पौरुष और पराक्रम जाग पड़ा और शत्रु की पराजय हुई. विजय को पर्व को गुड़ी पड़वा के रुप में मनाया जाने लगा.गुड़ी पड़वा का पर्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गोवा सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में उल्लास के साथ मनाया जाता है.
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गुड़ी पड़वा 2021
13 अप्रैल
प्रतिपदा तिथि आरंभ – 07:59 (12 अप्रैल 2021)
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 10:16 (13 अप्रैल 2021)
गुड़ी पड़वा 2022
2 अप्रैल
प्रतिपदा तिथि आरंभ – 11:53 (1 अप्रैल 2022)
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 11:57 (2 अप्रैल 2022)
गुड़ी पड़वा 2023
22 मार्च
प्रतिपदा तिथि आरंभ – 22:52 (21 मार्च 2023)
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 20:20 (22 मार्च 2023)
गुड़ी पड़वा 2024
9 अप्रैल
प्रतिपदा तिथि आरंभ – 23:49 (8 अप्रैल 2024)
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 20:30 (9 अप्रैल 2024)