बुढ़िया माई मंदिर गोरखपुर का इतिहास | Gorakhpur Budhiya Mai Mandir History in Hindi
बुढ़िया माई मंदिर गोरखपुर का इतिहास | Gorakhpur Budhiya Mai Mandir History in Hindi
भारत सदियों से मंदिरों की भूमी रही है. यहां हर एक प्रांत में कोई ना कोई विशेष महत्व वाला मंदिर है. जिन्हें देखने के लिए दूर दराज से विदेशी पर्यटक भारत की यात्रा करने हिंदुस्तान पहुंचते हैं. मंदिरों की कहानियां भी बेहद ही रोचक होती है. जिसके कारण लोगों में इनकी आस्था बेहद अधिक बढ़ जाती है. पौराणिक और धार्मिक महत्वताओं के कारण लाेगों के बीच मंदिर एक आस्था का केंद्र बन जाते है. जिससे मंदिर बेहद ही प्रसिद्ध हो जाता है. आज पोस्ट के जरिए हम आपकों एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में अनूठा है. मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित है. बुढ़िया माई मंदिर गोरखपुर का इतिहास | Gorakhpur Budhiya Mai Mandir History in Hindi उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिले में बुढिया माई का मंदिर कुसम्ही जंगल के बीचों बीच स्थित है. इस मंदिर की बहुत सी विशेषताए है. चलिए पोस्ट के जरिए जानें बुढ़िया माई का मंदिर की कहानी स्थान फोटो इत्यादि की जानकारी.
गोरखपुर बुढ़िया माता का मंदिर स्थान
Budhiya Mai Mandir Gorakhpur : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बुढ़िया माई का प्राचीन मंदिर स्थित है. यह कुसम्ही जंगल के बीचों बीच स्थित है. गोरखपुर रेलवे स्टेशन से करीब दस किमी दूर पूर्व दिशा की ओर गोरखपुर-कसया मार्ग पर कुसम्ही जंगल के बीचों बीच बुढ़िया माई का प्राची मंदिर स्थित है. बताते चलें कि, गोरखपुर में रामकोला धर्मसमधा दुर्गा मंदिर और बिहार के थावे दुर्गा मंदिर बहुत ही लोकप्रिय मंदिर है. उक्त दोनों मंदिरों के प्रति उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य के लोगों में अगाध श्रद्धा और विश्वास है.
- गोरखपुर बुढ़िया माई या माता का मंदिर (Budhiya Mai Mandir) दो पहिया वाहन से सुगमता से पहुंचा जा सकता है.
- बुढिया माता या माई का मंदिर अधिकांश श्रद्धलु पैदल जाना पसंद करते है.
- कुसम्ही जंगल गोरखपुर के भीतर बुढ़िया माता या माई का मंदिर या स्थान है.
- इसलिए यह पूरा सफ़र बेहद ही सुखद अनुभव देता है.
- जंगल के शुरू होने से मंदिर का स्थान करीब एक किलो मीटर की दुरी है.
- श्रद्धालुओ का कहना है जो भी सच्चे दिल से गोरखपुर बुढ़िया माई मंदिर से मन्नत दुआ प्राथना करता है.
- उसकी मुराद या इच्छा पूरी होती है उसके बाद श्रद्धालु खुशी में चढ़ावा देने दुबारा इस मंदिर में आते है.
- गोरखपुर में बुढ़िया माई का मंदिर बहुत ही लोकप्रिय है.
- इस मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालु नेपाल, बिहार और झारखंड से भी पहुंचते हैं.
बुढ़िया माता का मंदिर कहानी
Budhiya Mai Ki Katha: गोरखपुर बुढ़िया माई का मंदिर अपने कई चमत्कारों को समेटे हुए है. जिससे सुनने के लिए माई के उपासकों के मन में हर समय जिज्ञासा बनी रहती है.
- गोरखपुर के कुसम्ही जंगल में बुढ़िया माई का स्थान या मंदिर स्थित है.
- इस जंगल के भीतर बुढ़िया माता का स्थान मौजूद है कहा जाता है कुसम्ही जंगल में एक बहुत बड़ा नाला बहता था.
- नाले के ऊपर लकड़ी का पुल बनाया गया था जिस पर से होकर बहुत समय पहले किसी की बारात जा रही थी.
- जब बारात पुल से गुजर रही थी थी तो वही पर बुढ़िया माई सफ़ेद साड़ी में पहने हुए दिखाई दी.
- बुढ़िया माई ने बारात में शामिल जोकरो से कहा “नाच दिखाओ”.
- नाच तो एक जोकर को छोड़ किसी ने नहीं दिखाया सभी जोकर बुढ़िया माई का मजाक उड़ाने लगे.
Gorakhpur Budhiya Mai ki Katha
- एक जोकर ने बांसुरी बजा कर पांच बार अपना नाच कर दिया.
- जो जोकर सनाच दिखाया था बुढ़िया माई उससे बहुत खुश हुई और कहा.
- बारात से लौटते समय बारात के साथ तुम पुल पर मत जाना.
- इसके घटना के 3 दिन बाद बारात वापस लौट रही थी.
- ऐसे में बुढ़िया माई पुल के पास पहले से खड़ी थी.
- जो नाच मंडली का जोकर नाच दिखाया था.
- उस जोकर को बुढ़िया माई ने पुल के पहले या दूसरी तरफ अपनी शक्ति से कर दिया था.
- अब बारात जिसे वापस पुल से होकर जाना था वह पुल से होकर आगे बढ़ा लेकिन इस बार पुल पूरी बारात को लेकर टूट गया.
- जितने भी बाराती एंव नाच मंडली में शामिल थे एक जोकर को छोड़ सब इस घटना में मारे गए.
- इस घटना के बाद बुढ़िया माई गायब हो गई बचा हुआ जोकर इस घटना से हैरान था.
- यह घटना या बुढिया माई की कहानी कथा को जोकर ने ही सबको बताया तो यह थी.
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