Newsधर्म

Malmas Kab Hai | मलमास 2023 में कब है, यह क्यों होता है

Malmas Kab Hai | मलमास 2023 में कब है, यह क्यों होता है

महत्वपूर्ण जानकारी

  • श्रवण अधिक मास या मलमास संवत 2080
  • अधिक मास प्रारंभ: मंगलवार, 18 जुलाई 2023
  • अधिक मास समाप्ति : बुधवार, 16 अगस्त 2023

हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि, जिस माह में सूर्य संक्रान्ति नहीं होती उसे अधिकमास, लोंद मास, मल मास या पुरुषोत्तम मास के नाम से पुकारा जाता है। आसान भाषा में कहा जाए तो, जिस मास में एक अमावस्या से दूसरे अमावस्या के बीच में कोई सूर्य की संक्रान्ति न पड़े उसे अधिक मास कहा जाता है। संक्रान्ति का अर्थ है – सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश किए जाने को कहते है। बता दें कि, अधिमास 32 मास 16 दिन तथा चार घड़ी के अन्तर से आता है।

आपकों यह भी जानना जरूरी है कि, सौर वर्ष 365 दिनों और करीब 06 मिनट का होता है और चंद्र वर्ष 354 दिनों का बनता है। इस प्रकार सौर और चंद्र दोनों वर्षों में 11 दिन, 1 घंटा, 31 मिनट और 12 सेकंड का अंतराल होता है। जैसे-जैसे यह अंतर हर साल बढ़ता है, यह तीन साल से एक महीने तक का हो जाता है। जिसे हिंदू ज्योतिष में अधिक मास कहते है।

अधिक मास व मल मास को पुरुषोत्तम मास क्यों कहा जाता है?

अधिकमास के स्वामी स्वयं भगवान श्री विष्णु है। कारण प्रत्येक मास का कोई न कोई देवता अधिपति होता है। लेकिन अधिकमास का कोई देवता अधिपति नहीं था। इससे अधिकमास की घोर आलोचना होने लगी, तब अधिकमास भगवान श्री विष्णु के शरण में गया। भगवान श्री विष्णु जी ने कहा – “मैं इसे सर्वोपरि – अपने तुल्य करता हूँ। सदगुण, कीर्ति, प्रभाव, षडैश्वर्य, पराक्रम, भक्तों को वरदान देने का सामार्थ्य आदि जितने गुण सम्पन्न हैं, उन सबको मैंने इस मास को सौंप दिया है।’’

अहमेते यथा लोके प्रथितः पुरुषोत्तमः।
तथायमपि लोकेषु प्रथितः पुरुषोत्तमः।।

उपरोक्त गुणों के कारण जिस प्रकार मैं वेदों, लोकों और शास्त्रों में ʹपुरुषोत्तमʹ नाम से विख्यात हूँ, उसी प्रकार यह मलमास भी भूतल पर ʹपुरुषोत्तमʹ नाम से प्रसिद्ध होगा और मैं स्वयं इसका स्वामी हो गया हूँ।” इस प्रकार अधिक मास, मलमास ʹपुरुषोत्तम मासʹ के नाम से विख्यात हुआ।

अधिक मास में पूजा का फल

अधिक मास के दौरान दान-पुण्य करने वाले मनुष्य को अक्षय फल प्राप्त होता है। यदि दान न किया जा सके तो ब्राह्माणों तथा सन्तों के आश्रम में पहुंचकर उनकी सेवा करना सर्वोत्तम माना गया है। दान में खर्च किया गया धन क्षीण नहीं होता। उत्तरोत्तर बढ़ता ही जाता है। जिस प्रकार छोटे से बट बीज से विशाल वृक्ष पैदा होता है ठीक वैसे ही मल मास में किया गया दान अनन्त फलदायक सिद्ध होता है। अब तो आप समझ गए होंगे कि, अधिक मास में किया गया दान कितना चमत्कारी है।

अधिक मास में कौन से कार्य वर्जित हैं?

अधिक मास में फल-प्राप्ति की कामना से किए जाने वाले सभी कार्य वर्जित होते है। सामान्य धार्मिक संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह, गृहप्रवेश, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीद आदि नहीं किए जाते है।

मलमास कब है साल 2023 में – Malmas Kab Hai Saal 2023 Me

16 दिसम्बर 2023 से सूर्य की धनु संक्रांति के कारण मलमास शुरू हो जाएगा। मलमास के दौरान विवाह जैसे शुभ कार्य किया जाना वर्जित होता है। जिसके बाद मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 के बाद विवाह आदि कार्य संपन्न होंगे 15 मार्च 2023 के बाद मीन खरमास शुरू हो जाएगा।

इसे भी पढ़े : 

Ravi Raghuwanshi

रविंद्र सिंह रघुंवशी मध्य प्रदेश शासन के जिला स्तरिय अधिमान्य पत्रकार हैं. रविंद्र सिंह राष्ट्रीय अखबार नई दुनिया और पत्रिका में ब्यूरो के पद पर रह चुकें हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय अखबार प्रजातंत्र के नागदा ब्यूरो चीफ है.

Related Articles

Back to top button
DMCA.com Protection Status
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2024 Amarnath Yatra Start and End Date 2024 बाइक शायरी – Bike Shayari Tribal leader Mohan Majhi to be Odisha’s first BJP CM iOS 18 makes iPhone more personal, capable, and intelligent than ever चुनाव पर सुविचार | Election Quotes in Hindi स्टार्टअप पर सुविचार | Startup Quotes in Hindi पान का इतिहास | History of Paan महा शिवरात्रि शायरी स्टेटस | Maha Shivratri Shayari सवाल जवाब शायरी- पढ़िए