हिंदू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2023) का विशेष महत्व है. पूर्णिमा वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है. बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ हिंदुओं के लिए भी बेहद ही खास महत्व रखता है. हिन्दू धर्म के अनुसार गौतम बुद्ध को भगवान श्री विष्णु का 9वां अवतार माना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा दुनिया के कई देशों में बुद्ध जन्मोत्सव मनाया जाता है. पोस्ट के जरिए जानते हैं Buddha Purnima 2023 Mein Kab Hai – बुद्ध पूर्णिमा 2023 में कब है?
बुद्धत्व की प्राप्ति कैसे हुई?
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प्राचीन हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, बुद्ध 29 वर्ष की आयु में घर छोड़कर सन्यास का जीवन बिताने लगे थे. उन्होंने एक पीपल वृक्ष के नीचे करीब 6 साल तक कठिन तप किया था. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवन बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे सत्य के ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. भगवान Buddha को जहां ज्ञान की प्राप्ति हुई वह जगह बाद में बोधगया कहलाई. इसके पश्चात महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान का प्रकाश पूरे विश्व में फैलाया और एक नई रोशनी पैदा की. साल 2023 में बुद्ध पूर्णिमा 05 मई 2023, दिन शुक्रवार को मनाई जायेगी.
Buddha Purnima 2023 Mein Kab Hai – बुद्ध पूर्णिमा 2023 कब है?
वैशाख पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 04 मई 2023, गुरुवार 11:44 pm |
वैशाख पूर्णिमा तिथि समाप्त | 05 मई 2023, शुक्रवार 11:03 pm |
महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में 80 साल की आयु में हुआ था. भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, सत्य का ज्ञान और महापरिनिर्वाण एक ही दिन यानी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ. इसी के चलते वैशाख माह में पूर्णिमा के दिन ही Buddha Purnima मनाई जाती है.
कहां-कहां मनाई जाती है बुद्ध जयंती:
भारत के अलावा चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया आदि विश्व के कई देशों में पूर्णिमा के दिन Buddha Purnima मनाई जाती है. बिहार में स्थित बोद्ध गया बुद्ध के अनुयायियों सहित हिंदुओं के लिए भी पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है.
कुशीनगर में Buddha Purnima के अवसर पर करीब एक माह का मेला लगता है. हालांकि, कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन प्रभावी है. इसलिए हो सकता है साल 2021 में मेले का आयोजन न किया जाए. श्रीलंका जैसे कुछ देशों में इस उस्तव को वैशाख उत्सव के रूप में मनाते हैं. बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दीपक जलाते हैं और घरों को दीपों और फूलों से सजाते हैं. इस दिन बौद्ध धर्म के ग्रंथों का पाठ किया जाता है.
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बुद्ध पूर्णिमा का महत्त्व :
Buddha Purnima हिन्दू यानी सनातन धर्म के अनुयाइयों के लिए भी विशेष महत्व रखती है. हिन्दू धर्म के लोग भगवान् बुध को विष्णु जी के अवतार के रूप में पूजते हैं और इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से विष्णु भगवान् और बुध भगवान् की पूजा करते हैं. Buddha Purnima बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए भी विशेष मायने रखती है और विशेष रूप से बुध भगवान को पूजा जाता है.
हिंदू धर्म प्राचीन पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने वैशाख पूर्णिमा का महत्त्व अपने परम-मित्र सुदामा को उस समय बताया था जब वे द्वारिका नगरी उनसे मिलने पहुंचे थे. भगवान कृष्ण जी के बताने के अनुसार, सुदामाजी ने इस दिन व्रत किया था इससे उनकी दरिद्रता और दुःख दूर हो गए थे. साथ ही उनके जीवन में खुशहाली आई थी. इसके बाद से वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि जिसे Buddha Purnima कहा जाता है उसका महत्त्व और बढ़ गया. हिन्दुओं में इस दिन उपवास करना और विष्णु जी का पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है. Buddha Purnima के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं.
पवित्र नदियों का स्नान है शुभ :
Buddha Purnima के धार्मिक महत्वता रखने वाली पवित्र नदियों का स्नान करना शुभ माना जाता है और इस दिन लोग दीये प्रज्ज्वलित करके घर को फूलों से सुसज्जित करते हैं. वैसे इस दिन पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाना शुभ है लेकिन कोरोना काल में जब आप नदियों के स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करना भी नदी स्नान के बराबर ही फल देगा. इस दिन धार्मिक कार्य करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है और दान -पुण्य करना भी शुभ माना जाता है.
मानसिक रोगों से मिलती है मुक्ति:
भगवान बुद्ध को उत्तरी भारत में भगवान श्री विष्णु का 9वां अवतार माना जाता है. हालांकि दक्षिण भारत में बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं माना जाता है. दक्षिण भारतीय बलराम को विष्णु का 8वां अवतार तो श्री कृष्ण को 9वां अवतार मानते हैं. बौद्ध धर्म के अनुयायी भी बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार नहीं मानते हैं. ऐसी मान्यताा है कि बुद्ध पूर्णिमा पर वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है. इस दिन चंद्रमा पूर्णिमा पृथ्वी और जल तत्व को पूर्ण रूप से प्रभावित करता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा पूर्णिमा तिथि के स्वामी माने जाते हैं. इसलिए Buddha Purnima के दिन हर तरह की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है.
Q & A :
महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ और गौतम था.
गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी.
महात्मा बुद्ध का जन्म नेपाल में कपिलवस्तु के समीप लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था.
गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति बोधगया में पीपल के बृक्ष के निचे हुई थी.
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